नेपाल से मिला दार्जिलिंग चाय को झटका

punjabkesari.in Monday, Jun 26, 2017 - 01:01 PM (IST)

नई दिल्लीः दार्जिलिंग में संपूर्ण बंद के कारण चाय पत्तियों की दूसरी सीजन की तुड़ाई न होने की वजह से यहां के चाय उद्योग को भारी नुकसान हुआ है। इससे अगर कोई फायदे की उम्मीद कर रहा है तो वह भारत का पड़ोसी देश नेपाल है, जो दुनियाभर में पसंद की जाने वाली दार्जिलिंग चाय का विकल्प मुहैया कराता है।
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विकल्प तलाश रहे चाय बागान
दार्जिलिंग में चाय के करीब 87 बागान हैं, लेकिन यहां चाय के दूसरे सीजन की तुड़ाई नहीं हो पाई। इससे दार्जिलिंग का चाय उद्योग यूरोपीय संघ, जापान और अमरीका के साथ पहले से किए हुए निर्यात करार पूरे नहीं कर सकने के कगार पर है। यूरोपीय संघ, जापान और अमरीका चाय की इस किस्म के मुख्य बाजार हैं। इन हालातों को देखते हुए दुनियाभर में दार्जिलिंग की चाय की किल्लत पैदा हो सकती है, लेकिन नेपाल की इलम चाय इस कमी को पूरी कर सकती है।

नेपाल उठाएगा सबसे ज्यादा फायदा
चाय के प्रमुख विनिर्माता इस बात को लेकर चिंतित हैं कि उन्हें दार्जिलिंग की पहाडिय़ों में संपूर्ण बंद की वजह से पहले ही करीब 150 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है और इसका चाय तुड़ाई के अगले सीजन और वर्ष पर भी असर पड़ सकता है। ऐसे हालात का नेपाल सबसे ज्यादा फायदा उठाने की कोशिश करेगा। दार्जिलिंग टी एसोसिएशन के महासचिव कौशिक बसु ने कहा कि जब कभी बागान दोबारा से खुलेंगे तब तक झाडिय़ां ज्यादा बड़ी हो चुकी होंगी, जिनमें भारी कटाई-छंटाई की जरूरत पड़ेगी और ये पत्तियां बिकने लायक नहीं होंगी। जब तुड़ाई लायक नई पत्तियां फूटने लगेंगी, तब तक मॉनसून आ जाएगा और उसके बाद पतझड़ आ जाएगा।
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नेपाल की इलम चाय अाएगी काम
कुर्सियोंग के एक चाय उत्पादक ने कहा कि जब तक उनके बागान से जर्मनी के चाय विनिर्माताओं को आपूर्ति बहाल होगी, तब तक कीमतें घटकर 6.7 डॉलर प्रति किलोग्राम पर आ जाएगी। ये इस समय 13.41 डॉलर प्रति किलोग्राम हैं। इतनी कम कीमत मिलने से लागत की भरपाई भी नहीं हो पाएगी, जो प्राप्त औसत कीमत से 1.5 डॉलर अधिक होगी। उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, 'दार्जिलिंग चाय की आपूर्ति बहुत कम रहेगी, इसलिए नेपाल की चाय दार्जिलिंग की चाय के प्रमुख वैश्विक बाजारों में अपनी जगह बना सकती है।' नेपाल की इलम चाय का निर्यात मुख्य रूप से भारत, जर्मनी, चेक गणराज्य, अमरीका और जापान को होता है। यह चाय दार्जिलिंग चाय का निकटवर्ती विकल्प है और इसका स्वाद और सुगंध दार्जिलिंग चाय जैसी है।

चाय कंपनियों को नुकसान की आशंका
उत्पादक इस बात को लेकर चिंतित है कि जर्मनी की चाय विनिर्माता कंपनियां नेपाल की चाय को तरजीह दे सकती हैं क्योंकि कुछ समय दार्जिलिंग की चाय बाजार में उपलब्ध नहीं होगी। भारत की एक प्रमुख चाय कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'अगर जर्मनी के चाय विनिर्माता अपने पैकेटों पर दार्जिलिंग की जगह हिमालय की चाय मुद्रित करना शुरू कर देंगे तो यह इस उद्योग पर घातक चोट होगी।'


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