20 फीसदी घटी पटाखों की बिक्री

punjabkesari.in Friday, Oct 28, 2016 - 06:07 PM (IST)

नई दिल्लीः चीन निर्मित पटाखों के आयात और बिक्री पर प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद घरेलू पटाखा उद्योग को कोई विशेष लाभ नहीं मिला है क्योंकि वायु और ध्वनि प्रदूषण के प्रति बढ़ती चिंता, ऊंची कीमतों और जागरुकता अभियानों के कारण इस साल दिवाली पर पटाखों की बिक्री पिछले वर्ष की तुलना में 20 प्रतिशत से अधिक घट गई है।   

 

उद्योग संगठन एसोचैम के आज जारी सर्वेक्षण के नतीजों के मुताबिक स्कूल और रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों द्वारा चलाए गए जागरुकता अभियानों के साथ ही चीन के पटाखों के आयात और बिक्री को प्रतिबंध किए जाने के बावजूद घरेलू पटाखा उद्योग को खास फायदा नहीं पहुंच पाया है। पटाखों की बिक्री में गिरावट का यह रुख पिछले 5 साल से बना हुआ है एसोचैम ने चीन निर्मित पटाखों के आयात पर लगे प्रतिबंध से घरेलू पटाखा कारोबार को होने वाले लाभ की जानकारी के लिए अहमदाबाद, बैंगलूर, भोपाल, चेन्नई, देहरादून, दिल्ली, हैदराबाद, जयपुर, लखनऊ और मुंबई में पटाखे के 250 थोक विक्रेताओं, फुटकर विक्रेताओं और कारोबारियों की राय ली।  

 

पटाखा कारोबारियों के अनुसार पर्यावरण के बढ़ती जागरुकता, बढते खर्च, पटाखों पर पैसा खर्च करने के बजाय उन पैसों की बचत करने की बढती मानसिकता, त्यौहारी सीजन के दौरान बढता यातायात जाम, समय की बर्बादी और अन्य कई कारणों से इस साल दिवाली में पटाखों की बिक्री सुस्त है। अधिकतर व्यापारियों का कहना है कि पिछले 5 साल से पटाखों की बिक्री लगातार घट रही है और इसमें 20 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। बिक्री कम होता देखकर व्यापारियों ने भी माल खरीदना लगभग 50 फीसदी कम कर दिया है।

 

एसोचैम के महानिदेशक डी एस रावत ने कहा, 'चीन निर्मित पटाखों पर प्रतिबंध लगातार स्वागतयोग्य कदम रहा, जिसका उद्देश्य घरेलू उद्योग को बढ़ावा देना था। हालांकि, पटाखे को लेकर बढ़ती आलोचनायों और वायु तथा ध्वनि प्रदूषण को लेकर जारी प्रचार के कारण भारत में पटाखों का बाजार संकुचित हो गया है।' रावत ने कहा, 'बीते वर्षों में चीनी पटाखों की बढ़ती मांग और व्यापक स्तर पर पटाखों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियानों की वजह से शिवकाशी के लगभग 100 फैक्ट्रियां बंद हो गई हैं और ऐसा अनुमान है कि इससे लगभग 30 हजार लोगों को नौकरियां गंवानी पड़ीं। शिवकाशी में लगभग 800 लाइसेंसी फैक्ट्रियां हैं, जिनका कारोबार 2500 करोड़ रुपए का है।' कारोबारियों का लेकिन यह उम्मीद है कि संभवत दिवाली के दिन पटाखों की बिक्री बढे़गी। 
 


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