कोरोनिल को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत, चेन्नई की कंपनी की अर्जी खारिज

punjabkesari.in Thursday, Aug 27, 2020 - 06:24 PM (IST)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को पंतजलि की दवा कोरोनिल के नाम को लेकर मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। उच्च न्यायालय ने एकल पीठ के उस आदेश पर रोक लगा दी थी जिसमें पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को ट्रेडमार्क 'कोरोनिल' का उपयोग करने से रोक दिया गया था। उच्च न्यायालय के इस आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी गयी थी।

मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायाधीश ए एस बोपन्ना और नयायाधीश वी रामासुब्रमणियम की पीठ ने कहा, ‘अगर हम महामारी के दौरान केवल इस आधार पर कोरोनिल के नाम के उपयोग को रोकते हैं कि इसके नाम पर कीटनाश्क है, यह इस उत्पाद के लिये अच्छा नहीं होगा।’ पीठ ने इस बात पर गौर किया कि मामला पहले ही उच्च न्यायालय में सितंबर महीने में सुनवाई के लिये सूचीबद्ध है, ऐसे में मामले को वापस लिया मानते हुए खारिज किया जाता है।

मद्रास उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के आदेश पर अमल को दो सप्ताह के लिये रोक लगा दी है। एकल पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद और दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट को अपनी दवा (टैबलेट) के लिये कोरोनिल शब्द का उपयोग करने से मना किया और कोविड-19 को लेकर भय का वाणिज्यिक लाभ उठाने के लिये 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। उच्च न्यायालय की एकल पीठ के न्यायाधीश ने चेन्नई की कंपनी अरूद्र इंजीनियरिंग प्राइवेट लि. की याचिका पर अंतरिम आदेश दिया। कंपनी का दावा है कि कोरोनिल ट्रेडमार्क उसके पास 1993 से है।

कंपनी के अनुसार कोरोनिल-213 एसपीएल और कोरोनिल.92बी का पंजीकरण उसने 1993 में कराया था और उसके बाद से ट्रेडमार्क का नवीनीकरण कराया गया। अरूद्र इंजीनियरिंग रसानयन और सैनिटइाजर बनाती है। कंपनी ने कहा, ‘फिलहाल, ट्रेडमार्क पर हमारा अधिकार 2027 तक वैध है।’ अरूद्र इंजीनियरिंग ने कहा कि हालांकि कंपनी जो उत्पाद बेचती है, वह अलग है, लेकिन एक जैसे ट्रेडमार्क के उपयोग से हमारे बौद्धिक संपदा अधिकार का उल्लंघन होता है।



 


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rajesh kumar

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