महंगे सोने ने बिगाड़ा खेल, गोल्ड खपत 700 टन से नीचे रहने का अनुमानः WGC

punjabkesari.in Saturday, Dec 20, 2025 - 01:57 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः सोने की कीमतों में रिकॉर्ड तेजी के चलते भारत में इस साल गोल्ड की खपत में बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) के मुताबिक, 2025 में भारत की कुल सोने की खपत 650–700 टन के बीच रह सकती है, जबकि 2024 में यह 802.8 टन रही थी। भारत दुनिया के सबसे बड़े बुलियन बाजारों में से एक है लेकिन ऊंची कीमतों ने मांग पर साफ असर डाला है।

जनवरी से अब तक सोने की कीमतों में 65 फीसदी से ज्यादा की तेजी आ चुकी है। शुक्रवार तक भारत में 10 ग्राम सोने की खुदरा कीमत 1,32,394 रुपए पर पहुंच गई थी।

22 कैरेट की ज्वेलरी ही पहली पसंद

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल इंडिया के CEO सचिन जैन ने कहा कि ऊंची कीमतों के बावजूद भारतीय उपभोक्ता अभी भी 22 कैरेट की हल्की और सिंपल गोल्ड ज्वेलरी को प्राथमिकता दे रहे हैं। वे 18, 14 या 9 कैरेट जैसे कम कैरेट वाले विकल्पों की ओर तेजी से शिफ्ट नहीं हो रहे हैं, भले ही सरकार ने इन पर हॉलमार्किंग की सुविधा शुरू कर दी हो। उनका कहना है कि भारतीयों को कम कैरेट वाले सोने की ज्वेलरी अपनाने में अभी समय लगेगा।

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निवेश मजबूत, ज्वेलरी मांग कमजोर

देश में सोने की मांग दो हिस्सों में बंटी हुई नजर आ रही है। एक तरफ निवेश के लिए सोने की मांग मजबूत बनी हुई है, जबकि दूसरी ओर ज्वेलरी सेगमेंट दबाव में है। सचिन जैन के मुताबिक, मैन्युफैक्चरर्स और रिटेलर्स से मिले फीडबैक से पता चलता है कि शादी के सीजन के बावजूद गोल्ड ज्वेलरी की बिक्री साल-दर-साल घटी है। इसकी वजह ऊंची कीमतें और आम ग्राहकों की घटती खरीद क्षमता है। जनवरी से सितंबर के बीच भारत की कुल गोल्ड खपत 462.4 टन रही है।

आयात बढ़ा लेकिन वॉल्यूम घटा

इस साल अब तक भारत का कुल गोल्ड इंपोर्ट मूल्य के लिहाज से 55 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जो पिछले साल के मुकाबले 2 फीसदी ज्यादा है। हालांकि, मात्रा के लिहाज से आयात करीब 20 फीसदी घटकर लगभग 580 टन रह गया है।

WGC के अनुसार, आयात मूल्य में बढ़ोतरी सिर्फ ऊंची कीमतों की वजह से है, जबकि मिड और स्मॉल टिकट सेगमेंट में वॉल्यूम पर दबाव बना हुआ है।

अमीरों ने खरीदा भारी सोना

दिलचस्प बात यह है कि हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) ने 100 से 400 ग्राम तक के भारी सोने के आभूषणों की खरीदारी की है। वे सोने की कीमतों में जारी तेजी को देखते हुए निवेश के तौर पर भारी ज्वेलरी खरीद रहे हैं। हालांकि, HNI सेगमेंट की यह मांग कुल बाजार की कमजोरी की भरपाई नहीं कर पा रही है।

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छोटे ज्वेलर्स पर दबाव

कीमतों में उतार-चढ़ाव ने रोजमर्रा और डिस्क्रेशनरी ज्वेलरी की खरीद को भी प्रभावित किया है। बड़े और मझोले ज्वेलर्स अभी भी शादी से जुड़ी जरूरतों और ऊंचे टिकट साइज के चलते ठीक-ठाक बिक्री दर्ज कर रहे हैं, लेकिन छोटे और स्वतंत्र ज्वेलर्स पर दबाव साफ नजर आ रहा है।

बार और कॉइन की मांग तेज

सोने में निवेश के लिए बार और कॉइन की मांग मजबूत बनी हुई है। जुलाई से अक्टूबर के बीच भारत का गोल्ड इंपोर्ट 340 टन रहा, जबकि जनवरी से जून के बीच यह 204 टन था। सचिन जैन के मुताबिक, लगातार बढ़ती कीमतों के कारण एंट्री-लेवल निवेशक भी अब गोल्ड कॉइन खरीदकर बाजार में कदम रख रहे हैं।


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Content Writer

jyoti choudhary

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