Byju Raveendran मुश्किल में, US कोर्ट ने दिया $107 करोड़ चुकाने का आदेश
punjabkesari.in Saturday, Nov 22, 2025 - 03:41 PM (IST)
बिजनेस डेस्कः अमेरिका की एक बैंकरप्सी कोर्ट ने बायजूस के फाउंडर बायजू रवींद्रन के खिलाफ बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने उन्हें लगभग $107 करोड़ (₹9,591 करोड़) का भुगतान करने का आदेश दिया है। यह कार्रवाई इसलिए की गई क्योंकि रवींद्रन कई बार कोर्ट में पेश होने और जरूरी दस्तावेज जमा कराने में नाकाम रहे। डेलावेयर बैंकरप्सी कोर्ट के जज ब्रेंडन शैनन ने 20 नवंबर को यह आदेश दिया और उन्हें Byju’s Alpha से जुड़े फंड्स के गलत इस्तेमाल तथा जानकारी छिपाने के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया है।
Byju’s Alpha विवाद क्या है?
Byju’s Alpha वर्ष 2021 में डेलावेयर में एक विशेष उद्देश्य वाहन (SPV) के रूप में बनाई गई थी। इसका उद्देश्य वैश्विक लेंडर्स से लगभग $120 करोड़ का टर्म लोन जुटाना और उसे मैनेज करना था। इस इकाई का अपना कोई संचालन नहीं था और यह केवल लोन राशि को रखने एवं आगे ट्रांसफर करने का काम करती थी।
कोर्ट फाइलिंग्स से सामने आया है कि जिस $55.3 करोड़ के लेन-देन पर सवाल उठे, वह इसी इकाई के माध्यम से हुआ। यह पैसा पहले मियामी के हेज फंड Camshaft Capital को भेजा गया, जिसके बाद इसे अन्य एंटिटीज के जरिए Byju’s और उससे जुड़ी कंपनियों तक पहुंचाया गया। कोर्ट ने माना कि इस पूरी प्रक्रिया में रवींद्रन की व्यक्तिगत भूमिका रही और ट्रांसफर की गई राशि का उचित हिसाब नहीं दिया गया।
कोर्ट ने क्या कहा?
सुनवाई के बाद कोर्ट ने रवींद्रन को $107 करोड़ चुकाने का आदेश दिया है और साथ ही उन्हें Byju’s Alpha के सभी फंड्स का पूरा विवरण पेश करने को भी कहा है। इसमें Camshaft Capital को भेजे गए $53.3 करोड़, उस निवेश से जुड़े लिमिटेड-पार्टनरशिप इंटरेस्ट और बाकी रकम कहां ट्रांसफर हुई—इन सभी की जानकारी शामिल है।
फाइलिंग्स में यह तथ्य सामने आया कि Byju’s Alpha ने Camshaft Capital को $53.3 करोड़ भेजे, जिसे आगे Inspilearn नाम की एक इकाई और फिर एक ऑफशोर ट्रस्ट को भेज दिया गया। इसके बदले में Byju’s Alpha को कोई रिटर्न या लाभ नहीं मिला।
पैसे तुरंत नहीं देने होंगे
हालांकि आदेश में $107 करोड़ चुकाने को कहा गया है, लेकिन रवींद्रन को यह रकम तुरंत देने की जरूरत नहीं है। इसके लिए लेनदारों को उन देशों में कानूनी कदम उठाने होंगे, जहां रवींद्रन की संपत्तियां मौजूद हैं और स्थानीय अदालतों में डेलावेयर कोर्ट के फैसले को मान्यता दिलानी होगी।
