...तो अब बर्बाद हो जाएगा ग्रीस, भारत पर भी होगा इसका असर

punjabkesari.in Tuesday, Jun 30, 2015 - 12:37 PM (IST)

ग्रीसः कभी दुनिया का सिकंदर माना जाने वाला ग्रीस बर्बाद होने किनारे पर है। अगर ग्रीस ने ने 11 लाख करोड़ से ज्यादा रुपए का कर्ज़ नहीं उतारा तो 21वीं सदी का वह पहला देश होगा, जो दिवालीया कहलाया जाएगा। आज ग्रीस के पास आखिरी मौका है और बाजी पलटने की कोई उम्मीद दिखाई नहीं दे रही।

ग्रीस ने हमेशा अपनी हैसियत से ज्यादा खर्चा किया। इस लिए उस ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा फंड (आई.एम.एफ.) से काफी कर्जा लिया और उस के कर्ज वापस करने की डेडलाइन आ चुकी है पर ग्रीस के पास वापस करने के लिए कुछ नहीं है। ऐसे में आई.एम.एफ. ने उस आगे कुछ शर्तें रखी हैं, जो वह मानने को तैयार नहीं है। 5 जुलाई को देश में इस संबंधी वोटिंग करवाई जाएगी कि आई.एम.एफ. की शर्तें मानी जाएं या नहीं। यदि देश के लोगों ने इस के खिलाफ फैसला दिया तो 20 जुलाई को ग्रीस को दिवालीया ऐलान कर जाएगा।

आर्थिक संकट के कारण 6 जुलाई तक ग्रीस के सभी बैंक बंद कर दिए गए हैं। ए.टी.एम. से भी लोग 60 यूरो से अधिक नहीं निकाल सकते और ग्रीस का स्टाक एक्सचेंज बंद हो गया है। 

ग्रीस संकट के कारण भारतीय शेयर बाजार में सोमवार को भारी गिरावट देखने को मिली। भारत के शेयर बाजार की कुछ कंपनियां और कुछ आई.टी. फर्मों यूरो में लेन-देन करती हैं। ग्रीस के संकट कारण यूरोप की बाकी बैंकों की ब्याज दर बढ़ेगी और इस का प्रभाव भारतीय कंपनियों और बैंकों पर देखने को मिलेगा। यह देश भारत से अपना पैसा निकालने की कोशिश करेंगे। हालांकि भारत पर इस का प्रभाव थोड़ी देर का ही होगा परंतु यदि ग्रीस का कर्ज़ और 10 सालों के लिए माफ न किया गया तो यह संकट पूरी दुनिया में फैलेगा।

ग्रीस की तरफ से आई.एम.एफ. की शर्तें न माने जाने पर ग्रीस को यूरो यूनियन से बाहर निकाला जा सकता है और ग्रीस को अपनी पुरानी मुद्रा ड्रैकमा पर आना पड़ेगा। यह अदला-बदली आसान नहीं होगी। इस के साथ ग्रीस की आमद-दरामद पूरी तरह बंद हो सकती है। 

ग्रीस के आर्थिक संकट के कारण
ग्रीस में आए 1999 के भूचाल कारण इस देश का ज्यादातर हिस्सा बर्बाद हो गया। देश ने 50,000 से ज्यादा घरों का पुनर्निमान किया परंतु सरकारी खर्चे पर।

2001 में ग्रीस यूरो जोन में शामिल हो गया, जो उस की भूल थी। 

2004 में ग्रीस ने ओलम्पिक खेल पर अंधाधुन्ध पैसा बहाया।

2010 में ग्रीस ने यूरोपियन सैंट्रल बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा फंड से 10 अरब डॉलर का राहत पैकेज ले लिया। परंतु इन सभी मामलों से कोई सबक नहीं सिखा और कर्जों का बोझ बढ़ता गया।


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