Anil Ambani की बढ़ी मुश्किलें, ₹17,000 करोड़ लोन फ्रॉड में ED का समन, 5 अगस्त को पेशी
punjabkesari.in Friday, Aug 01, 2025 - 10:48 AM (IST)

बिजनेस डेस्कः दिग्गज उद्योगपति अनिल अंबानी की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने ₹17,000 करोड़ के लोन फ्रॉड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में समन भेजा है। उन्हें 5 अगस्त को दिल्ली स्थित मुख्यालय में पेश होने को कहा है। यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत की जा रही है।
इससे पहले पिछले सप्ताह मुंबई में रिलायंस ग्रुप से जुड़ी 35 लोकेशनों पर छापेमारी की गई थी। जांच में करीब 50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों की भूमिका को लेकर पड़ताल की जा रही है।
सेबी की रिपोर्ट से खुलासाः ₹10,000 करोड़ की फंड डायवर्जन की आशंका
इस मामले से जुड़े एक अहम घटनाक्रम में मार्केट रेगुलेटर SEBI ने ED, NFRA और IBBI को रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर (R-Infra) से जुड़ी फंड डायवर्जन की रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट में आरोप है कि कंपनी ने Inter-Corporate Deposits (ICD) के जरिये बड़ी राशि एक गुप्त रिलेटेड पार्टी कंपनी CLE Pvt Ltd को ट्रांसफर की।
SEBI की रिपोर्ट के अनुसार,
- ₹8,302 करोड़ तक के लेनदेन CLE से जुड़े रहे।
- FY17-FY21 के बीच R-Infra ने ₹10,110 करोड़ राइट ऑफ किए।
- FY13-FY23 के बीच CLE पर एक्सपोजर कंपनी की कुल संपत्ति का 25–90% रहा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि CLE को जानबूझकर रिलेटेड पार्टी के रूप में डिस्क्लोज नहीं किया गया, जिससे शेयरहोल्डर अप्रूवल और ऑडिट प्रोसेस से बचा जा सके।
रिलायंस ग्रुप की सफाई: सभी तथ्य पहले से सार्वजनिक, सेबी की रिपोर्ट भ्रामक
रिलायंस ग्रुप से जुड़े एक प्रवक्ता ने SEBI की रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि R-Infra ने 9 फरवरी 2025 को सारी जानकारी सार्वजनिक की थी। CLE को लेकर जारी रिपोर्ट को "सनसनीखेज" बताते हुए उन्होंने कहा कि ₹6,500 करोड़ के एक्सपोजर को लेकर समझौता सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की मध्यस्थता से हुआ, जिसे बॉम्बे हाई कोर्ट में प्रस्तुत किया गया है।
अनिल अंबानी का नियंत्रण और प्रमोटर कनेक्शन भी जांच के घेरे में
SEBI की रिपोर्ट के अनुसार
- CLE के बैंक दस्तावेजों और ईमेल आईडी relianceada.com डोमेन से जुड़ी थीं।
- CLE के डायरेक्टर्स और साइनिंग अथॉरिटी, रिलायंस ग्रुप से जुड़े कर्मी थे।
- अनिल अंबानी मार्च 2022 तक R-Infra के नॉन-एग्जीक्यूटिव चेयरमैन और डायरेक्टर थे और 40% से अधिक हिस्सेदारी रखते थे।
क्या है आगे?
अब मामले की जांच ED, SEBI, NFRA और IBBI जैसी एजेंसियां अलग-अलग कर रही हैं। अगर आरोप साबित होते हैं तो यह हाल के वर्षों में कॉर्पोरेट गवर्नेंस से जुड़ा सबसे बड़ा फाइनेंशियल फ्रॉड मामला बन सकता है।