रुपए की गिरावट से महंगे होंगे TV, नए साल में जेब पर बढ़ेगा बोझ
punjabkesari.in Monday, Dec 15, 2025 - 11:59 AM (IST)
बिजनेस डेस्कः रुपए की रिकॉर्ड गिरावट का असर अब आम लोगों की जेब पर पड़ता दिख रहा है। नए साल की शुरुआत यानी जनवरी से टेलीविजन की कीमतों में इजाफा हो सकता है। इंडस्ट्री रिपोर्ट्स के मुताबिक, कमजोर रुपए और मेमोरी चिप की बढ़ती कीमतों के चलते टीवी सेटों के दाम 3 से 4 फीसदी तक बढ़ सकते हैं। हाल ही में रुपए ने पहली बार डॉलर के मुकाबले 90 का स्तर पार किया है, जिससे इंपोर्ट पर निर्भर इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर पर दबाव बढ़ गया है।
क्यों महंगे हो रहे हैं टीवी?
टीवी मैन्युफैक्चरिंग में भारत की घरेलू वैल्यू एडिशन हिस्सेदारी अभी भी करीब 30 फीसदी ही है। एलईडी टीवी के प्रमुख कंपोनेंट जैसे ओपन सेल, सेमीकंडक्टर चिप और मदरबोर्ड बड़े पैमाने पर आयात किए जाते हैं। ऐसे में रुपये की कमजोरी सीधे लागत बढ़ा देती है।
इसके साथ ही वैश्विक स्तर पर मेमोरी चिप संकट भी गहराता जा रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सर्वर्स के लिए हाई-बैंडविड्थ मेमोरी (HBM) की भारी मांग के कारण DRAM और फ्लैश मेमोरी की कीमतों में तेज उछाल आया है। चिप मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां ज्यादा मुनाफे वाले AI चिप्स पर फोकस कर रही हैं, जिससे टीवी जैसे पारंपरिक इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों के लिए सप्लाई सीमित हो रही है।
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कितनी बढ़ सकती हैं कीमतें?
हायर अप्लायंसेज इंडिया के अध्यक्ष एनएस सतीश के मुताबिक, मेमोरी चिप की कमी और कमजोर रुपए के कारण एलईडी टीवी की कीमतों में करीब 3 फीसदी तक बढ़ोतरी हो सकती है। कुछ कंपनियों ने अपने डीलर्स को संभावित मूल्य वृद्धि के संकेत पहले ही दे दिए हैं।
वहीं, थॉमसन, कोडक और ब्लाउपुंक्ट जैसे ग्लोबल ब्रांड्स के लाइसेंस रखने वाली कंपनी सुपर प्लास्ट्रोनिक्स प्राइवेट लिमिटेड (SPPL) का कहना है कि बीते तीन महीनों में मेमोरी चिप की कीमतें करीब 500 फीसदी तक बढ़ चुकी हैं। SPPL के सीईओ अवनीत सिंह मारवाह के अनुसार, इन हालातों में जनवरी से टीवी की कीमतों में 7 से 10 फीसदी तक की बढ़ोतरी से इनकार नहीं किया जा सकता।
GST कटौती का फायदा भी हो सकता है खत्म
यह स्थिति ऐसे समय सामने आई है जब हाल ही में सरकार ने 32 इंच और उससे बड़े टीवी पर जीएसटी 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी किया था, जिससे कीमतों में औसतन करीब 4,500 रुपए की राहत मिली थी। हालांकि, इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि बढ़ती लागत इस टैक्स कटौती से मिलने वाले फायदे को काफी हद तक खत्म कर सकती है।
वीडियोटेक्स के डायरेक्टर अर्जुन बजाज ने कहा कि मेमोरी चिप की कीमतों में तेज उछाल के कारण कंपनियों पर लगातार दबाव बना हुआ है और सप्लाई एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। उनका कहना है कि फ्लैश मेमोरी और DDR4 की कीमतें स्रोत स्तर पर 1,000 फीसदी तक बढ़ चुकी हैं, क्योंकि सप्लाई का बड़ा हिस्सा AI डेटा सेंटर्स की ओर शिफ्ट हो गया है।
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भारत का टीवी बाजार कितना बड़ा?
बाजार में फिलहाल सुस्ती के संकेत भी दिख रहे हैं। काउंटरपॉइंट रिसर्च के मुताबिक, 2025 की दूसरी तिमाही में भारत में स्मार्ट टीवी की बिक्री सालाना आधार पर 4 फीसदी घटी है। इसके पीछे छोटे स्क्रीन साइज की बढ़ती मांग, नए टीवी की कमजोर डिमांड और उपभोक्ता खर्च में कमी जैसे कारण रहे।
इसके बावजूद लॉन्ग टर्म आउटलुक सकारात्मक बना हुआ है। 2024 में 10–12 अरब डॉलर के अनुमानित आकार वाला भारतीय टीवी बाजार आगे चलकर बढ़ती डिस्पोजेबल इनकम, बड़े स्क्रीन की मांग और ओटीटी कंटेंट की लोकप्रियता के चलते विस्तार की उम्मीद रखता है। हालांकि निकट भविष्य में ग्राहकों को अगला टीवी अपग्रेड पहले से ज्यादा कीमत पर करना पड़ सकता है।
