कोरोना के खिलाफ लड़ाई में ‘अमरीका-भारत सांझेदारी’ महत्वपूर्ण होगी

punjabkesari.in Wednesday, Aug 26, 2020 - 03:08 AM (IST)

भारत और अमरीका दोनों ही अभूतपूर्व पैमाने की एक महामारी का मुकाबला कर रहे हैं। दोनों देशों ने अपने लम्बे समय से चली आ रही स्वास्थ्य देखभाल संबंधों के बल पर कोरोना वायरस को समझने में मदद करने और व्यावहारिक समाधान खोजने में मदद की है। 

भारत ने सरकारी और निजी क्षेत्र में चिकित्सा आपूॢत शृंखलाओं की अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए एक साथ काम किया है और भारत से आवश्यक दवाएं अमरीका और कुछ 150 भागीदार देशों तक पहुंचती रहीं। भारत-अमरीका सहयोग महामारी से उत्पन्न स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो रहा है, जिसमें भविष्य के टीका विकास और वितरण शामिल हैं। चिकित्सीय से लेकर निदान तक, भारत में चिकित्सा आपूर्ति उद्योग ने घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए उत्पादन में तेजी आई है और वैश्विक जरूरतों के लिए, जहां संभव है, का जवाब भी दिया है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के नेताओं को एक साथ लाने की पहल की ताकि सार्क एमरजैंसी रिस्पांस फंड की स्थापना सहित बीमारी से निपटने के लिए सहयोगी प्रयासों पर विचार-विमर्श किया जा सके। नोवेल कोरोना वायरस के लिए भारत एक प्रभावी वैक्सीन की तरफ बढ़ रहा है। भारत की अनुसंधान प्रयोगशालाएं और निर्माण सुविधाएं जोकि विश्व की वैक्सीन का एक साधारण वर्ष में 60 प्रतिशत से ज्यादा का उत्पादन करती हैं, प्रयास का अभिन्न अंग है। भारत तथा अमरीकी फर्मों तथा अनुसंधान संस्थानों के बीच कम से कम 4 वैक्सीन विकास कार्यक्रम चल रहे हैं। 

वर्षों से सहकारी अनुसंधान अमरीका की तरफ बढ़ रहे भारत के रणनीतिक संबंधों का एक महत्वपूर्ण तत्व बन गया है। पिछले वर्ष भारत और अमरीका के वैज्ञानिक आदान-प्रदान, सहकारी अनुसंधान परियोजनाओं और अभिनव सार्वजनिक निजी भागीदारी की स्थापना को बढ़ावा देने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। 

वैक्सीन एक्शन कार्यक्रम के तहत रोटावायरस के परिणामस्वरूप बच्चों में गंभीर दस्त होते हैं, के खिलाफ रोटावैक वैक्सीन का विकास किया गया। एक भारतीय कम्पनी द्वारा एक सस्ती वैक्सीन के रोल आऊट ने कई विकासशील देशों में इसके उपयोग को सक्षम किया है। यह सफलता मानवता के बड़े हित के लिए भारत-अमरीकी सांझेदारी के लाभों के लिए एक सच्चे वसीयतनामे के रूप में है। आज यू.एस. नैशनल इंस्टीच्यूट ऑफ हैल्थ नैटवर्क और भारत में प्रमुख अनुसंधान एजैंसियों के बीच 200 से अधिक सक्रिय सहयोग हैं और इन सभी ने सस्ते स्वास्थ्य देखभाल समाधान देने पर ध्यान केंद्रित किया है। चिकित्सा अनुसंधान में भारत-अमरीकी सांझेदारी को फार्मास्युटिकल्स में हमारे सहयोग की ताकत से पूरित किया गया है। आर. एंड डी. तथा विॢनर्माण क्षेत्र में भारत की क्षमताओं ने अपने फार्मास्युटिकल क्षेत्र को दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा वॉल्यूम बना दिया है। 

भारतीय जैनेरिक दवाओं ने दुनिया भर में एक तैयार बाजार पाया है। भारतीय कम्पनियों ने संयुक्त राज्य अमरीका में करीब 40 प्रतिशत सामान्य फार्मूले की आपूर्ति् की है। इसने अमरीकी स्वास्थ्य देखभाल उपभोक्ताओं को अरबों को बचाने और गुणवत्ता वाली दवाओं तक पहुंच बढ़ाने की अनुमति दी है। दवा क्षेत्र भी अमरीका में एक महत्वपूर्ण नौकरी निर्माता रहा है। जब कोरोना वायरस का प्रकोप शुरू हुआ तो हमारे देशों के बीच मौजूदा सहयोग का जाल फैल गया। भारत-अमरीका विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंच का उपयोग करते हुए दोनों सरकारों के नेतृत्व में एक पहल, संयुक्त अनुसंधान का समर्थन करने और स्टार्टअप संलग्न करने के लिए काल किए गए। एक देश के रूप में हम 2025 तक स्वास्थ्य देखभाल के खर्च को सकल घरेलू उत्पाद के 2.5 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। विनियामक सुधार, नीतिगत कार्य और निवेश प्रोत्साहन भारत में स्वास्थ्य देखभाल के लिए गतिशीलता प्रदान कर रहे हैं। 

आयुष्मान भारत, राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण मिशन, दुनिया का सबसे बड़ा सार्वजनिक वित्त पोषित कार्यक्रम है। महामारी ने भी भारत को साहसिक पहल करने से नहीं रोका है। हाल ही में शुरू किया गया राष्ट्रीय डिजीटल स्वास्थ्य मिशन एक पुण्य स्वास्थ्य तंत्र के निर्माण की सुविधा प्रदान करेगा, जो अब तक की वंचित आबादी तक पहुंच का विस्तार करेगा। यह सब बातें भारत-अमरीका स्वास्थ्य देखभाल सांझेदारी के विस्तार के अपार अवसरों को खोलती हैं। इस बीच हम घर पर वायरस का मुकाबला करना जारी रखेंगे। भारत में कोरोना वायरस के मामलों की संख्या 3 मिलियन से भी अधिक हो गई है।  रिकवरी की दर भी काफी अधिक है जोकि 70 प्रतिशत से अधिक है। कोरोना वायरस में मृत्यु दर 2 प्रतिशत से कम है। 

भारत के स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं, जिनमें एक मिलियन ज्यादातर महिला कार्यकत्र्ता शामिल हैं, चुनौती के लिए आगे बढ़ रही हैं। महामारी नियंत्रण में यह कार्यकत्र्ता एक आवश्यक भूमिका निभा रही हैं।  वर्तमान महामारी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि स्वास्थ्य देखभाल के लिए सस्ती और समय पर पहुंच सुनिश्चित करना सभी के लिए प्राथमिकता है। इसने स्वास्थ्य आपूॢत शृंखलाओं में विविधता लाने और वैश्विक स्वास्थ्य  सुरक्षा के लिए नई अन्तर्राष्ट्रीय सांझेदारी को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया है। भारत विनिर्माण और नवाचार में अपनी ताकत और अपने कुशल कर्मचारियों के साथ एक विश्वसनीय विकल्प प्रदान करने के लिए पूरी तरह से तैनात है। भारत और अमरीका कोरोना महामारी के समाधान और एक स्वस्थ, सुरक्षित दुनिया का निर्माण करने के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं।-तरनजीत सिंह संधू (अमरीका में भारत के राजदूत)


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