किसान अब स्वयं ही अपना ‘भाग्य विधाता’ होगा

punjabkesari.in Thursday, Sep 24, 2020 - 02:00 AM (IST)

एक किसान पुत्र के रूप में बचपन में मेरे द्वारा देखा गया सपना आज साकार हो रहा है। बचपन में जब मैं मंडी जाता था और व्यापारियों द्वारा बोली लगाकर धान की खरीद-फरोख्त देखता था तो मन में अक्सर यह विचार आता था कि काश हम भी इस मंडी के अलावा कहीं भी ऐसी जगह जाकर अपना अनाज बेच पाते जहां हमें इस मंडी से बेहतर और उचित दाम मिल सकते लेकिन कानूनों की पाबंदी ऐसा करने नहीं देती थी। आज मेरा वह सपना फलीभूत हो गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने किसानों को नई आजादी प्रदान की है और उन्हें यह हक दिया है कि वे अपनी उपज कहीं भी, किसी भी व्यक्ति या संस्था को बेच सकते हैं, जहां उन्हें इच्छित और उचित मूल्य मिल सके। 

नए कानून और उनके मुख्य प्रावधान
वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत कृषि के आधारभूत ढांचे के निर्माण हेतु 1 लाख करोड़ की विशाल धनराशि स्वीकृत की गई। अनेक नवीन योजनाओं का सूत्रपात किया गया है और कानूनों का सरलीकरण कर ऐसे कानून बनाए जा रहे हैं जिससे किसानों को उनका वाजिब हक मिले और खेत में लहलहाती फसल के समान ही उनकी जिंदगी भी समृद्धि  की हरियाली में लहलहा सके। केंद्र सरकार द्वारा कृषि उत्पाद एवं व्यापार वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक-2020 प्रस्तुत किया गया जो लोकसभा ने दिनांक 17 सितम्बर को पारित कर दिया और राज्यसभा ने भी 20 सितम्बर को इसे पारित कर दिया। 

यह नया विधेयक एक किसान को यह आजादी देता है कि वह अपनी उपज देश में कहीं भी किसी भी पैन कार्ड धारक को बेच सकता है। इस विधेयक के माध्यम से देश में किसान अपनी उपज को किसी भी ऐसे स्थान पर बेच सकता है जहां उसे सर्वोत्तम मूल्य मिल सके। साथ ही यह विधेयक कृषि व्यापारियों एवं खाद्य प्रसंस्करणकत्र्ताओं आदि को भी लाभ पहुंचाएगा क्योंकि वे अब अपनी औद्योगिक इकाई या गोदाम के आसपास ही किसानों से कृषि उपज खरीद सकेंगे जिससे बिचौलिए कम हो जाएंगे। लॉकडाऊन के दौरान जहां अधिकांश व्यापार बंद थे और कुछ समय के लिए मंडियां भी बंद थीं तब यद्यपि थोड़ी परेशानी हुई परन्तु धीरे-धीरे कृषि क्षेत्र में सरकार द्वारा प्राप्त विशेष रियायतों के परिणामस्वरूप कार्य आरंभ हो गया।

कई बार मंडियों में व्यापारी किसान की इस मजबूरी का फायदा उठाते हैं ताकि वह किसान संबंधित मंडी के अलावा और कहीं जा नहीं पाए। इससे बिचौलियों और कई व्यापारियों को अपनी मनमानी करने का मौका मिल जाता था। ऐसे में किसान को अपनी लागत के अनुसार फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पाता था। साथ ही यह भी देखा गया कि प्रत्येक गांव या कस्बे में मंडी नहीं है और लाखों किसान तो ऐसे भी हैं जिनके वहां से मंडी की दूरी भी बहुत होती है। ऐसे में किसान के लिए अपनी फसल को वहां लेकर जाना भी एक दुष्कर एवं महंगा कार्य हो जाता है। किसान की इस मजबूरी का फायदा बिचौलिए और मुनाफाखोर उठाते हैं तथा सस्ते दामों में ही किसानों की उपज को खरीद कर तेज भाव आने पर मंडी में जाकर बेचते हैं। नए कानून के तहत अब किसान को इस मजबूरी से मुक्ति मिल गई। 

महामारी के संकट के दौर में देश की करीब 1.30 अरब आबादी को खाने-पीने की चीजों समेत रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में कृषि एवं संबंधित क्षेत्र की अहमियत काफी हद तक महसूस की गई। यही वजह थी कि कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम को लेकर जब देशव्यापी लॉकडाऊन किया गया तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार ने कृषि व संबंधित क्षेत्रों को इस दौरान भी छूट देने में देरी नहीं की। फसलों की कटाई, बुवाई समेत किसानों के तमाम कार्य चलते रहे। 

मोदी सरकार ने कोरोना काल में कृषि की उन्नति और किसानों की समृद्धि हेतु तीन अध्यादेश लाकर ऐतिहासिक फैसले लिए हैं जिनकी मांग कई दशकों से चली आ रही थी। इन फैसलों से किसान और कारोबारी दोनों को फायदा मिला है क्योंकि नए  कानून के लागू होने के बाद ए.पी.एम.सी. का एकाधिकार समाप्त हो जाएगा और ए.पी.एम.सी. मार्कीट यार्ड के बाहर किसी भी जीन्स की खरीद-बिक्री पर कोई शुल्क नहीं लगेगा जिससे बाजार में स्पर्धा बढ़ेगी। कृषि बाजार में स्पर्धा बढऩे से किसानों को उनकी फसलों का बेहतर व लाभकारी दाम मिलेगा। केंद्र सरकार ने अध्यादेश के माध्यम से आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में बदलाव किया है जिससे खाद्यान्न दलहन, तिलहन व खाद्य तेल समेत आलू और प्याज जैसी सब्जियों को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटा दिया है।इस फैसले से उत्पादक और उपभोक्ता दोनों को लाभ मिलेगा। 

नए कानून में इलैक्ट्रॉनिक ट्रेङ्क्षडग और इससे जुड़े हुए मामलों या आकस्मिक उपचार के लिए एक सुविधाजनक ढांचा प्रदान करने का भी प्रावधान है। एक महत्वपूर्ण कानून और भी बनाया जा रहा है जोकि मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा पर किसान (सशक्तिकरण एवं सरलीकरण) करार विधेयक-2020 कृषि समझौतों पर एक राष्ट्रीय ढांचा प्रदान करता है जो कृषि व्यवसाय फर्मों, प्रोसैसर, थोक व्यापारी, निर्यातकों एवं कृषि सेवाओं के लिए बड़े खुदरा विक्रेताओं और आपस में सहमत पारिश्रमिक मूल्य ढांचे पर भविष्य में कृषि उपज की बिक्री के लिए स्वतंत्र और पारदर्शी तरीके से किसानों की रक्षा करता है और उन्हें अधिकार प्रदान करता है। 

मोदी सरकार ने इन कानूनी बदलावों के साथ-साथ कृषि क्षेत्र के संवर्धन और किसानों की समृद्धि के लिए कोरोनाकाल में कई अन्य महत्वपूर्ण फैसले भी लिए हैं जिनमें कृषि क्षेत्र में बुनियादी संरचना तैयार करने के लिए एक लाख करोड़ रुपए के कोष की व्यवस्था काफी अहम है। मेरे देश का किसान मजबूत है और उनके पास ज्ञान और क्षमता की कोई कमी नहीं है। अपने फैसले खुद लेने के लिए किसान सक्षम है। खुद के फैसले लेने के लिए मोदी सरकार नई योजनाओं और नए कानूनों के माध्यम से किसानों को यह अधिकार भी दे रही है। 

केंद्र सरकार की नई योजना किसान उत्पादक संगठन यानी एफ.पी.ओ. के माध्यम से किसान अपने संगठन बनाकर अपनी उपज का मूल्य और उसके लिए बाजार खुद निर्धारित कर सकते हैं। अब किसान के भाग्य का निर्धारण कोई नहीं करेगा बल्कि किसान स्वयं ही अपना भाग्य विधाता होगा।-कैलाश चौधरी (केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री)


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News