ढक्कन रहित सीवरेजों में गिर कर होने वाली मौतों में लगातार वृद्धि

punjabkesari.in Tuesday, Nov 03, 2015 - 02:09 AM (IST)

घरों, कारखानों, अस्पतालों आदि के गंदे पानी की निकासी के लिए बनाई गई भूमिगत सीवरेज प्रणाली जहां स्वच्छता में बड़ी भूमिका निभाती है वहीं सीवरेज पाइपों की सफाई के लिए बनाए गए अनेक मैनहोलों पर ढक्कन लगे न होने या चुरा लिए जाने के कारण होने वाली दुर्घटनाओं के चलते खुले मैनहोल लोगों के लिए एक बहुत बड़ा अभिशाप सिद्ध हो रहे हैं जबकि विदेशों में इस तरह की कोई घटना कभी भी सुनने में नहीं आती। 

एक रिपोर्ट के अनुसार देश में प्रतिदिन कम से कम आधा दर्जन लोग ढक्कन रहित मैनहोलों में गिर कर मौत के मुंह में चले जाते हैं तथा कई बार मवेशी भी इनमें गिर कर जान से हाथ धो बैठते हैं। 
 
ढक्कन रहित मैनहोलों में गिरने से मौतों में महाराष्ट देश में सबसे आगे है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार 2010 में 1743 लोगों की मृत्यु इनमें गिरकर हुई जो 2011 में बढ़कर 1843 हो गई। केंद्र शासित क्षेत्रों में सर्वाधिक मौतें दिल्ली में हुईं। हाल ही में होने वाली मौतों में से चंद निम्र हैं : 
 
6 जून रात को पटना के कोतवाली थाना क्षेत्र में लाइट न होने के परिणामस्वरूप अंधेरे में बिना ढक्कन वाले एक मैनहोल में गिरने से खाना खाने अपने घर जा रहे विशाल नामक एक किशोर की मृत्यु हो गई। 
 
15 जुलाई को नंगल में ‘भाखड़ा-ब्यास मैनेजमैंट बोर्ड कालोनी’ के डबल एफ ब्लॉक में अपने ननिहाल आया पिपली (कुरुक्षेत्र) का रहने वाला अढ़ाई वर्षीय बालक मयंक खेलते-खेलते घर से गली में चला गया और वहां अचानक ढक्कन रहित मैनहोल में गिर जाने से उसकी मृत्यु हो गई।
 
2 अगस्त को नई दिल्ली के झरौड़ा गांव में अपने घर के सामने ढक्कन रहित मैनहोल में गिर जाने से निक्की नामक 4 वर्षीय बच्ची की मृत्यु हो गई। 
 
3 सितम्बर को फिरोजपुर की हाऊसिंग बोर्ड कालोनी में सीवरेज के एक मैनहोल में गिर कर एक गाय की मृत्यु हो गई। शहर में जगह-जगह सीवरेज लाइनों के मैनहोल खुले पड़े हैं। इस घटना से कुछ ही दिन पूर्व एक कार भी बिना ढक्कन के मैनहोल में फंस कर दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। 
 
9 अक्तूबर को फरीदाबाद की राजीव कालोनी में बच्चों के साथ खेलते-खेलते निशा नामक एक 2 वर्षीय बच्ची की खुले मैनहोल में गिर कर मृत्यु हो गई। मृतक बच्ची के परिजनों का आरोप है कि कालोनी में जिस स्थान पर यह दुर्घटना हुई उस क्षेत्र में 80 प्रतिशत मैनहोल तभी से खुले हैं जब 3 वर्ष पूर्व यहां सीवरेज लाइन बिछाई गई थी और जिस प्राइवेट एजैंसी ने सीवरेज लाइन डाली थी उसने इस कालोनी को निगम के सुपुर्द भी नहीं किया। 
 
31 अक्तूबर की रात को जालंधर में मकसूदां के वार्ड नं. 39, गोल्डन व्यू इलाके में अनीश नामक एक 4 वर्षीय बच्चा पैर फिसलने से सड़क के किनारे बने मैनहोल में गिर गया जिसके परिणामस्वरूप उसकी मृत्यु हो गई। इस घटना ने अवैध कालोनियों के मुद्दे तथा स्थानीय निकायों द्वारा इन पर शिकंजा न कसने की समस्या की ओर लोगों का ध्यान खींचा है। 
 
पहले मैनहोल के ढक्कन ज्यादातर ठोस लोहे के लगाए जाते थे परंतु जब उनकी चोरियां बढ़ गईं तो तुलनात्मक दृष्टिï से सस्ते सीमैंट के ढक्कन लगाए जाने लगे परंतु इनकी चोरी का सिलसिला तब भी नहीं रुका। चोर अब इन ढक्कनों में प्रयुक्त थोड़े-बहुत लोहे के लालच में ही ढक्कन चुरा लेते हैं। 
 
सीवर के ढक्कन खुले होने से उनमें गिर कर होने वाली मौतों को लेकर विभिन्न स्थानीय निकायों के अधिकारियों और नगर निगमों आदि पर दोषारोपण होता रहता है क्योंकि खुले सीवरेज पर ढक्कन न होने की जानकारी होने के बावजूद वे इन पर फौरन ढक्कन लगाने की जरूरत नहीं समझते। 
 
स्पष्टत: ये घटनाएं लोगों के जीवन को खतरे में डालने और नागरिक सेवाओं संबंधी बुनियादी ढांचे की देखभाल में स्थानीय निकाय अधिकारियों की लापरवाही का मुंहबोलता प्रमाण हैं। 
 
सीवरेज पाइपों पर मैनहोलों के ढक्कन न होने से सुरक्षा सम्बन्धी अनेक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैंं जिनका गम्भीरतापूर्वक संज्ञान लेकर प्रशासन को तुरन्त समाधान करना चाहिए अन्यथा इसी तरह दुर्घटनाओं में निर्दोष लोग मरते रहेंगे।
 

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