चीन के लिए आर्थिक बोझ बन गईं सड़क परियोजनाएं

punjabkesari.in Friday, Dec 09, 2022 - 06:08 AM (IST)

चीन ने अपनी आर्थिक तरक्की के लिए देश में सड़कों का जाल बुन दिया जिससे उसे आर्थिक गति को आगे बढ़ाने में बहुत लाभ मिला। इस लाभ के कारण ही चीन दुनिया की फैक्टरी बना और इस समय चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति बन चुका है। लेकिन अगर चीन की बड़ी परियोजनाओं खासकर सड़क निर्माण के काम को देखा जाए तो इंगलैंड की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में छपी एक रिपोर्ट ऑक्सफोर्ड रिव्यू ऑफ इकोनॉमिक पॉलिसी के आधार पर चीन के आधारभूत विनिर्माण की लागत औसतन 30.6 फीसदी अधिक थी अगर इसकी तुलना दूसरे विकसित राष्ट्रों से की जाए। इसके अलावा चीन की 3/4 परियोजनाएं जरूरत से ज्यादा महंगी थीं। 

इन परियोजनाओं का जो बजट तय था उससे कहीं अधिक धन इन पर खर्च किया गया। चीन में बने 90 बड़े राजमार्गों में सिर्फ एक-तिहाई ऐसे हैं जिनसे सरकार को आर्थिक लाभ मिल रहा है, बाकी तीन-चौथाई सड़कों पर इतना ट्रैफिक ही नहीं है जिससे टोल वसूला जाए। इस तरह देखा जाए तो बड़े पैमाने पर जो सड़कें बनाई गईं उनपर सरकार का अच्छा खासा पैसा तो खर्च हुआ लेकिन उनसे सरकार को आॢथक लाभ नहीं मिला। 

चीन में सड़कें, पुल, रेलवे लाइनें, शहर, शॉपिंग मॉल समेत कई ऐसे निर्माण किए गए हैं जो सिर्फ सरकार को निर्माण दिखाने के लिए किए गए हैं, उनका कोई आॢथक लाभ नहीं है। इसीलिए चीन के भूतहा शहर बहुत मशहूर हैं, जहां पर चीन सरकार ने पहले से ही निर्माण कराना शुरू कर दिया जिससे बड़ी आबादी वाले चीन में लोग उस जगह आकर बसने लगेंगे और सरकार की परियोजना चल निकलेगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। चीन में सबसे अधिक आबादी  दक्षिण-पूर्वी हिस्से में रहती है जो देश का समुद्री किनारा है। 

चीन सरकार चाहती थी कि उसकी आबादी चीन के बाकी हिस्सों में भी फैले, वहां से भी आर्थिक क्रियाकलापों को शुरू किया जाए इसलिए सरकार ने देश भर में सड़कों का जाल बुनना शुरू किया। लेकिन बाकी सारी सड़क परियोजनाएं सरकार के लिए आर्थिक बोझ बन गईं। इससे सरकार को नुक्सान होने लगा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि खराब आर्थिक प्रबंधन के कारण बुनियादी ढांचे में होने वाला निवेश चीन को आर्थिक परेशानियों में डाल देगा। सिर्फ सड़क ही नहीं सड़क पुलों की बात करें तो इस समय चीन में 50 ऊंचे और बड़े सड़क पुल निर्माणाधीन हैं जबकि पूरी दुनिया में इस स्तर के मात्र 10 सड़क पुलों को बनाने का काम चल रहा है। चीन के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार चीन ने वर्ष 2016 में ही 26100 सड़क पुल बनाए थे। इनमें से 363 बहुत विशाल सड़क पुल थे जिनकी औसत लंबाई 1.6 किलोमीटर थी। 

चीन में जानकारों का मानना है कि सड़क निर्माण के बिना चीन में तरक्की नहीं आ सकती, इन जानकारों का मानना है कि छोटे शहरों में ‘मेगा रोड’ बनाने की जगह दूसरी और तीसरी श्रेणी की सड़कें बनाकर भी आॢथक विकास किया जा सकता है। लेकिन चीन में स्थानीय शहरी और प्रांतीय सरकारें बड़ी परियोजनाओं में ज्यादा दिलचस्पी दिखाती हैं क्योंकि इन बड़ी परियोजनाओं में घोटाले भी बड़े स्तर के होते हैं जिसमें लाखों डॉलर की रकम का हेर-फेर होता है और कई लोगों की झोलियां भरी जाती हैं। 

पिछले एक दशक में चीन में एक लाख किलोमीटर से ज्यादा सड़कें और सड़क पुल बनाए गए हैं जिनसे चीन के गरीब इलाकों को जोड़ा गया है, इन सड़कों और सड़क पुलों पर इंजीनियरों का काम वाकई काबिले तारीफ है लेकिन चीन में लाल फीताशाही और कम्युनिस्ट राज में भ्रष्टाचार इतना व्यापक है कि वो इंजीनियरों के अथक परिश्रम को ढंक देता है और इससे लाभ होने की जगह सरकार का ज्यादा धन खर्च हो जाता है। 

चीन में जो सड़कें बनाई जाती हैं उसके लिए वित्तीय सहायता चीन के राष्ट्रीय बैंक देते हैं, ये सड़कें चीन की प्रांतीय सरकारों द्वारा बनाई गई कंपनियां बनाती हैं। सड़कें बनने के बाद इसपर चलने वाले ट्रैफिक से टोल वसूला जाता है जिससे सड़क बनाने का खर्च ब्याज सहित बैंकों को दिया जाता है और इसका एक हिस्सा राज्य सरकारें मुनाफे के रूप में कमाती हैं। लेकिन भारी स्तर पर फैले भ्रष्टाचार के कारण इन सड़कों की लागत 30 से 50 फीसदी अधिक आती है। 

इतने व्यापक स्तर पर फैले भ्रष्टाचार से चीन सरकार को लंबे समय से आर्थिक नुक्सान हो रहा है। बढ़ती अर्थव्यवस्था में इस नुक्सान का असर सरकार के राजकोष पर नहीं पड़ा था लेकिन कोरोना महामारी और अमरीका सरकार से व्यापार संघर्ष बढऩे के बाद से सब कुछ बदल गया है। इस समय चीन सरकार का सकल घरेलू उत्पाद 3.2 पर है जो पहले की तुलना में बहुत कम है। इस समय चीन सरकार की आय कम और खर्च बहुत ज्यादा हो रहा है जिससे सरकार के बाहर निकलने का फिलहाल कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है। 


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