राज्य को आर्थिक मजबूती देने वाला है पंजाब सरकार का बजट

punjabkesari.in Wednesday, Mar 28, 2018 - 04:20 AM (IST)

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में बनी कांगे्रस सरकार में वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने अपना दूसरा बजट शे’रो-शायरी और साहिबे जुबां से पेश किया। आर्थिक संकट से गुजर रही सरकार ने बड़ी बखूबी और बड़े ही सकारात्मक तरीके से बजट के प्रावधानों का निर्माण किया। 

पंजाब का पूर्ण बजट 1.29 लाख करोड़ रुपए का है जबकि आमदन 73 हजार 811 करोड़ रुपए है। इसका खर्च 86 हजार 351 करोड़ रुपए है। वर्तमान घाटा 12 हजार 539 करोड़ रुपए के करीब है। बजट का प्रमुख लक्ष्य प्रदेश की परियोजनाओं को अमलीजामा पहनाना, फिजूलखर्ची को रोकना और उज्ज्वल भविष्य के लिए नए-नए संसाधनों को जुटाना है ताकि प्रदेश आर्थिक तौर पर अपने पांव पर पुख्ता तरीके से खड़ा हो सके और आम लोगों के जीवन में भी खुशी व खुशहाली आ सके। सम्पूर्ण बजट की जानकारी हासिल करने के लिए यह अति जरूरी है कि इसके प्रावधानों पर नजरसानी की जाए। 

सरकार ने बजट में चुनाव से पहले अपने वायदों को व्यावहारिक रूप प्रदान करने के लिए कुछ अहम कदम उठाए हैं जिनमें सर्वप्रथम किसानों का कर्जा माफ करने का मामला है। पंजाब में किसान कर्ज के बोझ तले दबकर आत्महत्याएं कर रहे थे। यह समूचे पंजाब के लिए एक बदनुमा धब्बा है कि देश के अन्न के भंडार भरने वाला आत्महत्या करे। इसलिए सरकार ने किसानों की कर्ज माफी के लिए 4250 करोड़ रुपया रखा है और भविष्य में भी ऐसे ही प्रावधान किए जाएंगे ताकि 10 लाख के करीब किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाए। कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की सरकार को यह श्रेय जाता है जिन्होंने अपने राज्य में सबसे पहले किसानों का 2 लाख रुपए तक का कर्ज माफ करने का फैसला किया था। इस हकीकत से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता कि मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और राजस्थान में भी किसान आत्महत्याएं करते हैं परन्तु उनकी सरकारों ने कोई बहुत बड़े ठोस कदम नहीं उठाए। 

पिछली कई शताब्दियों से देश के कई प्रदेशों में और विशेषकर पंजाब, उत्तर प्रदेश और बिहार में पराली को आग लगा दी जाती है जिससे बड़ा गहरा धुआं उठता है जो समूचे वातावरण को प्रदूषित कर देता है और दिल्ली में विशेषकर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की सरकार ने पराली की इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए 100 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। पंजाब सरकार के इस फैसले को दूसरी सरकारों ने भी खूब सराहा है। कृषि और उद्योग किसी भी प्रदेश के विकास एवं प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने के सबसे बड़े साधन हैं। पंजाब में कृषि क्षेत्र में हुए परिवर्तन ने किसानों की आमदन में काफी इजाफा किया है परन्तु पिछले कई वर्षों से पंजाब का उद्योग पिछड़ता जा रहा है। उसका प्रमुख कारण यह है कि केन्द्र सरकार ने 2001 में हिमाचल, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में उद्योग स्थापित करने के लिए हर तरह की सुविधाएं मुहैया करवा दीं जिससे पंजाब के बहुत सारे उद्योगपति यहां से पलायन कर गए। इसके अतिरिक्त पंजाब में उद्योग के लिए जमीन अति महंगी है। बिजली भी दूसरे प्रदेशों से महंगी थी। 

सरकार ने नैशनल हैल्थ मिशन के तहत मरीजों के लिए अत्याधुनिक मशीनों और बुनियादी ढांचे व दवाइयों के लिए 914.57 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। दोराहा व पटियाला के घनौर में 2 नए अस्पताल तथा बङ्क्षठडा के अस्पताल के आधुनिकीकरण तथा सड़कों पर हादसे के शिकार लोगों के लिए ट्रोमा सैंटरों पर 20 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रावधान किया है। पटियाला और अमृतसर के सरकारी डैंटल कालेजों के लिए 5 करोड़ रुपए का प्रबंध किया गया है। पंजाब में कैंसर बड़ी तीव्रता से बढ़ रहा है। यद्यपि पंजाब सरकार की तरफ से कुछ कैंसर सैंटर स्थापित किए गए हैं परन्तु फिर भी मालवा से हजारों लोग कैंसर के इलाज के लिए बीकानेर जाते हैं। पंजाब सरकार ने अमृतसर में स्टेट कैंसर इंस्टीच्यूट पर 45 करोड़ रुपया खर्च करके निर्माण करने का फैसला किया है और 2 नए मैडीकल कालेजों को भी स्थापित किया जाएगा ताकि पंजाब की आवश्यकता के अनुसार और बच्चों को डाक्टर बनने का मौका दिया जा सके। 

कैप्टन सरकार ने चुनाव से पहले पंजाब को नशामुक्त करने के लिए संकल्प किया था और सत्ता में आते ही उन्होंने इस पर सख्त कार्रवाई करके साबित कर दिया कि वह पंजाब को सही मायनों में नशामुक्त करना चाहते हैं। पंजाब में बढ़ रही बेरोजगारी एक बहुत बड़ी समस्या है इसलिए हजारों नौजवान जमीन बेचकर या कर्ज हासिल करके दूसरे देशों में जा रहे हैं। इस प्रचलन को रोकने के लिए सरकार ने 22 जिलों में रोजगार ब्यूरो एंड इंटरप्राइजिज बनाने की घोषणा की है और नौजवानों को मुफ्त में स्किल ट्रेनिंग देने का भी फैसला लिया है। इस पर 20 करोड़ रुपए खर्च करने का फैसला लिया गया है क्योंकि आज के प्रतिस्पर्धात्मक युग में हुनरमंद नौजवानों की आवश्यकता है जो अपने कार्य को अच्छी तरह सरअंजाम दे सकें। शिक्षित नौजवान ही समाज की बुनियाद हैं और राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य के प्रतीक हैं। शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने के लिए सरकार ने कई ठोस कदम उठाए हैं। 

पंजाब में पिछली अकाली-भाजपा सरकार ने बड़ी बेरहमी से पंजाब की अर्थव्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर दिया, जिस कारण 2018-19 में कर्ज बढ़कर 2.11 लाख करोड़ रुपया हो चुका है जबकि पंजाब की जी.डी.पी. के अनुसार सरकार 13 हजार करोड़ रुपया कर्ज ले सकती थी परन्तु पिछली सरकार ने 33 हजार करोड़ रुपया कर्ज लेकर बहुत बड़ी समस्या खड़ी कर दी है। इसलिए आज रैवेन्यू घाटा भी 12539 करोड़ के करीब जा पहुंचा है। हकीकत में सरकार आॢथक संकट के दौर से गुजर रही है। आज भी कर्ज और ब्याज चुकाने के लिए कर्ज लिया जा रहा है। दूसरी तरफ वेतन, पैंशन और रिटायरमैंट लाभ देने की कुल राशि 36012 करोड़ रुपए हो चुकी है जो सरकार के लिए सबसे बड़ी मुश्किल है। इसके साथ ही कृषि क्षेत्र और गरीब वर्ग के लोगों को फ्री बिजली और औद्योगिक क्षेत्र में 5 रुपए प्रति यूनिट देने से सरकार को 2018-19 में 12 हजार 950 करोड़ रुपए की सबसिडी देनी पड़ रही है। 

सरकार ने पहली बार प्रोफैशनल टैक्स लगाने का फैसला किया है। यह विशेष रूप से डाक्टर, वकील, चार्टर्ड अकाऊंटैंट या अन्य धंधों में लगे हुए लोगों को अदा करना होगा। यद्यपि केन्द्र सरकार ही आमदन पर टैक्स लगाती है परन्तु सरकार ने पंजाब में भी इसे शुरू किया है। यह टैक्स भारत के दूसरे प्रदेशों छत्तीसगढ़, असम, गुजरात, आंध्र प्रदेश, मेघालय, महाराष्ट्र, उड़ीसा, कर्नाटक, मध्य  प्रदेश, तमिलनाडु, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, केरल, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली व चंडीगढ़ में पहले ही लगा हुआ है। आर्थिक संकटग्रस्त सरकार ने पंजाब के विकास एवं परियोजनाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए जिस विवेक और साहस से फैसला लिया है, यह अपने आप में एक अति प्रशंसनीय कदम है। हकीकत में यह बजट सकारात्मक, सृजनात्मक, प्रगतिशील और अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने वाला है।-प्रो. दरबारी लाल 


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