मोदी ज्यादा से ज्यादा ‘भाषण तथा घोषणाओं’ की गारंटी दे सकते हैं

punjabkesari.in Monday, Jul 27, 2020 - 01:58 AM (IST)

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अयोध्या में नए राम मंदिर का नींव-पत्थर रखेंगे। निश्चित तौर पर यह एक भव्य समारोह होगा क्योंकि जो चीजें मोदी के संग जुड़ी होती हैं उनके साथ ऐसा ही होता है। यह नींव पत्थर 5 अगस्त को रखा जाएगा और इस दिन कश्मीर के संवैधानिक स्थिति खोने की पहली बरसी होगी। अनुच्छेद 370 अभी तक निरस्त नहीं हुआ है जैसा कि गलत तरीके से दावा किया जाता है। संविधान में अभी भी उसी तरह, यदि कुछ हुआ है तो इसका गैर-संचालन हुआ है। इसकी जानकारी नहीं है कि उस कार्रवाई का असली बिंदू क्या है। 

इस वर्ष के पहले 6 माह में कश्मीर में पहले से ही 200 से ज्यादा लोग ङ्क्षहसा में मारे जा चुके हैं। यह पिछले वर्ष की दर से दुगुनी दर है। सरकार के अधीन कश्मीर में हिंसा बढ़ रही है। यह हिंसा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तथा डा. मनमोहन सिंह के अधीन मारे गए लोगों के ट्रैंड से बिल्कुल उलट है। कश्मीर को अनिवार्य तौर पर सैन्य प्रशासन के तहत नियंत्रित किया गया है। कश्मीरियों के पास इंटरनैट नहीं है तथा वह अपने आपको प्रकटाने के लिए योग्य नहीं हैं। सुप्रीमकोर्ट को दी गई याचिकाएं  सुनवाई के बिना रह गईं या फिर अन्य चीजों की तरह ठंडे बस्ते में डाल दी गईं। 

मगर बेशक निरस्त करने का भव्य इशारा ही मुख्य बात थी। अब हम युद्ध के दूसरे क्षेत्रों की बात करते हैं जिसमें कोविड के विरुद्ध महाभारत का युद्ध छेडऩा भी है। प्रधानमंत्री मोदी ने सायं 8 बजे की घोषणाओंं पर विराम लगा दिया है और लगता है वह इस विषय से बिल्कुल ही बोर हो गए हैं। यह सत्य है कि यह महामारी सरकार द्वारा आंशिक रूप से नियंत्रित की गई है। कुछ अन्य चीजें भी हैं जिन्हें सरकार कर सकती है। ऐसा प्रतीत होता है कि पॉजिटिव मामलों में वृद्धि के मोड को पाकिस्तान ने सीधा कर दिया है। जहां एक ओर 14 जून को पाकिस्तान में 6800 कोरोना के मामले थे वह गिर कर 28 जून  को 4000 हो गए और उसके बाद 24 जुलाई को 1200 रह गए। 

भारत में इसके विपरीत 14 जून को 11000 मामलों से बढ़ कर 28 जून को 20,000 मामले हो गए। 24 जुलाई तक यह मामले 49000 हो गए। भारत की तुलना में पाकिस्तान में आधे केस हैं। हालांकि उनकी जनसंख्या हमारी जनसंख्या का पांचवां हिस्सा है। ऐसा प्रतीत होता है कि वहां स्थिति नियंत्रण में है जबकि भारत में ऐसा नहीं है। बंगलादेश में कोरोना वायरस के मामले भी इसी अवधि के दौरान नीचे गिर गए। अपनी भव्य घोषणा के साथ मोदी आगे बढ़ रहे हैं। एक ऐसी घोषणा जिसके बारे में वह बेहद उत्साहित थे। 8 नवम्बर 2016 को रात्रि 8 बजे की गई घोषणा ने भारतीय गवर्नर सी. रंगराजन को निराश किया। तब उन्होंने कहा कि जी.डी.पी. को आंकने की स्थिति को लेकर सरकार को विवाद को खत्म करना चाहिए। मोदी सरकार के पूर्व आॢथक सलाहकार अरविंद  सुब्रमण्यम ने अपने आप यह हिसाब लगाया कि वास्तविक आंकड़ों में देखी गई वृद्धि से ज्यादा भारत ने 2.5 प्रतिशत की ऊंची जी.डी.पी. वृद्धि देखी है। 

शनिवार को ‘मिंट’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार कहा गया कि सभी आर्थिक सूचक यह दर्शाते हैं कि सरकार झूठ बोल रही थी। फैक्टरी आऊटपुट में वृद्धि गिर कर 9 प्रतिशत हो गई 2011 से पहले यह 2 प्रतिशत थी। मोदी सरकार का अपना नैशनल सैंपल सर्वे दर्शाता है कि ग्रामीण उपभोग माइनस 1.5 प्रतिशत की दर से बढ़ा।  मतलब यह कि मोदी के कार्यकाल में यह गिर गया। यहां तक कि शहरी उपभोग भी 3.4 प्रतिशत से गिर कर 0.3 प्रतिशत रह गया। कार्पोरेट निवेश 28 प्रतिशत वृद्धि से माइनस 1.8 प्रतिशत हो गया। बैंक उधार वृद्धि गिर कर 14 प्रतिशत  से 4 प्रतिशत हो गई मगर जी.डी.पी. वृद्धि आंकड़े वैसे के वैसे बने रहे जोकि मोदी के आने से पहले 7 प्रतिशत थे और उनके आने के बाद भी 7 प्रतिशत रहे जोकि अविश्वसनीय थे। 

बेरोजगारी दर उस स्तर पर रही जिसने इतिहास में कभी इस दर को छुआ ही नहीं। यह 8 प्रतिशत से अधिक रही। शुक्रवार को आर.बी.आई. ने कहा कि बैंकों के साथ गैर-निष्पादित परिसम्पत्तियां (मतलब व्यर्थ के कर्ज) वर्तमान दर 8.5 प्रतिशत से बढ़ कर 12.5 प्रतिशत मार्च तक हो जाएंगी या शायद इससे भी अधिक हो सकती हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अर्थव्यवस्था में हरियाली देखकर बड़बड़ाती हैं। वह मानती हैं कि अभी यहां पर जीवन के चिन्ह हैं। कोई भी उन पर विश्वास नहीं करता या फिर उनके विचारों को गंभीरता से नहीं लेता। 

‘मेक इन इंडिया’ पर अपनी भव्य घोषणा पर मोदी ने अपनी रुचि खो दी है। भारत में जी.डी.पी. की निर्माण हिस्सेदारी घोषणा से पूर्व 15 प्रतिशत से  गिर गई है जबकि घोषणा के बाद 14 प्रतिशत रह गई।  मोदी को ऐसे बयान देने की क्या आवश्यकता थी? यह स्पष्ट नहीं है मगर वह एक  उत्तेजित चीज से दूसरी उत्तेजित चीज तक बढ़ जाते हैं। मैंने पिछले सप्ताह उनके इस भाषण को पढ़ा। वह काफी दिलचस्प है और कई वायदों को निभाने के लिए कहता है मगर मोदी ज्यादातर अपने वायदे नहीं निभाते मगर कम से कम वह ज्यादा से ज्यादा भाषण तथा घोषणाओं की गारंटी दे सकते हैं।-आकार पटेल


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