मानसिक स्वास्थ्य भी बेहद जरूरी

punjabkesari.in Friday, Dec 17, 2021 - 05:08 AM (IST)

हमारे शरीर पर लगी हुई चोट तो सबको दिखाई देती है, लेकिन मन पर कितनी भी गहरी चोट क्यों न लगी हो, वह किसी को पता नहीं चलती। शरीर के जख्म तो दवा लगाने से भर जाते हैं, लेकिन मन के जख्मों की कोई दवा नहीं बनी। हम बाहर से कितने भी सुंदर कपड़े पहन लें, शारीरिक तौर पर कितने भी सुंदर दिखें, कितनी ही चकाचौंध भरी दुनिया में रह लें, लेकिन मन की गहराइयों में झांक कर देखेंगे तो खुद को अकेला पाएंगे? आज के बड़े-बड़े सैलिब्रिटीज हों या कोई सामान्य व्यक्ति, सभी ऐसा ही जीवन जीने को मजबूर हैं। वे भीतर से परेशान तो हैं, पर दुनिया को दिखाना नहीं चाहते। 

अभी हाल में अमरीका की सुपर मॉडल एवं अभिनेत्री बेला हदीद ने सोशल मीडिया पर अपनी कुछ तस्वीरें पोस्ट की थीं, जिनमें उन्हें बुरी तरह से रोते हुए देखा जा सकता है। उनकी तस्वीरों से साफ समझ में आ रहा था कि उनके दिल पर गहरे जख्म हैं और उन जख्मों का खून उनकी आंखों से आंसू बनकर निकल रहा है। बेला हदीद की उम्र केवल 25 वर्ष है। वह दुनिया की सबसे ज्यादा पैसे कमाने वाली मॉडल हैं। बेला हदीद ने खुद इन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि वर्षों से उनके दिन-रात ऐसे ही बीत रहे हैं, मतलब उनके दिन की शुरुआत रोते हुए होती है और दिन का अंत भी आंसुओं के साथ होता है। उन्होंने अपनी पोस्ट में यह भी लिखा कि वह कई बार बर्न आऊट और ब्रेकडाऊन का शिकार हो चुकी हैं। 

बेला हदीद ने मशहूर अमरीकी अभिनेता विल स्मिथ की बेटी एवं गायिका विलो स्मिथ का एक वीडियो भी शेयर किया, जिसमें वह मानसिक स्वास्थ्य पर बात कर रही हैं। विलो स्मिथ भी बेला हदीद की तरह बर्नआऊट और ब्रेकडाऊन का शिकार रह चुकी हैं। बेला हदीद की कहानी बताती है कि बड़े-बड़े स्टार, मॉडल और सैलिब्रिटीज, जिन्हें हम अपने नायक या नायिकाएं समझ बैठते हैं, वास्तव में एक दुख भरी और दोहरी जिंदगी जी रहे हैं। 

लैंसों की मदद से वे अपने विकारों को दुनिया से तो छुपा लेते हैं, पर खुद से ही छुपा नहीं पाते। असल में ये लोग कभी खुद को समय नहीं दे पाते। आलीशान जीवन इन्हें मुफ्त में नहीं मिलता, इन्हें अपने मानसिक स्वास्थ्य के साथ बहुत से समझौते करने पड़ते हैं। जब इन समझौतों का दबाव बहुत बढ़ जाता है, तब इनकी जिंदगी में ब्रेकडाऊन जैसी स्थितियां पैदा होती हैं। जब एक इंसान मशीन या रोबोट की तरह दिन-रात काम करता रहेगा तो उसका मन एक न एक दिन जरूर टूटेगा, उसे एक न एक दिन जरूर थकावट होगी क्योंकि वह कोई रोबोट नहीं है। एक जमाने में कहा जाता था कि गलती तो इंसानों से ही होती है लेकिन अब गलती करने वाले इंसान से पूछा जाता है कि तुम कैसे इंसान हो जो गलतियां करते हो। 

बेला हदीद के अलावा मशहूर कॉमेडियन टिफनी हैडिश, अमरीका की मशहूर गायिका बियॉन्से, ब्रिटेन के राजकुमार प्रिंस हैरी की पत्नी मेगन मार्कल, अमरीकन सिंगर एवं अभिनेत्री सेलेना गोमेज, अमरीका की मशहूर जिम्नास्ट सिमोन बाइल्स और जापान की प्रसिद्ध टैनिस खिलाड़ी नाओमी ओसाका भी इसी तरह बर्नआऊट का शिकार हो चुकी हैं। 

बर्नआऊट होने की वजह से इनमें से कोई अपनी स्टेज परफार्मैंस पूरी नहीं कर पाया तो कोई डिप्रैशन में चला गया, किसी को साल में केवल 28 दिन ही ऐसे मिले जब वह अपनी नींद पूरी कर पाया। हैरानी की बात तो यह है कि काम के बोझ का शिकार होने वाले इन लोगों की उम्र केवल 28 से 40 वर्ष के बीच है। आजकल हम देखते हैं कि 28 से 40 वर्ष के बीच के युवा खिलाड़ी भी बड़े-बड़े टूर्नामैंट में खेलने से इंकार कर देते हैं, यह जानते हुए भी कि वे जीत जाएंगे, ओलंपिक्स में उन्हें गोल्ड मैडल मिलना पक्का है, ये जानते हुए भी कि वे जब स्टेज पर परफॉर्मैंस करने आएंगे तो करोड़ों रुपए आज रात को ही घर ले जाएंगे, लेकिन इसके बावजूद भी वे परफॉर्म करने से इन्कार कर देते हैं। उन्हें केवल मानसिक शांति की जरूरत होती है। वे रात में चैन से सोना चाहते हैं। 

बर्नआऊट की समस्या से आम लोग भी इससे परेशान हैं। इसलिए हमें खुद पर और अपने परिवार के सदस्यों पर भी ध्यान देने की जरूरत है कि कहीं उनमें से कोई इसी तरह इमोशनल ब्रेकडाऊन या बर्नआऊट का शिकार तो नहीं हो रहा। विश्व स्वास्थ्य संगठन बर्नआऊट को एक मानसिक समस्या मानता है। डब्ल्यू.एच.ओ. के मुताबिक यह एक ऐसा सिंड्रोम है जो काम के दौरान होने वाले तनाव से पैदा होता है और यह कई गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकता है। इसके लक्षण हैं, शरीर में ताकत की कमी महसूस होना और बहुत जल्दी थक जाना। ऐसे में व्यक्ति का काम पर जाने का मन नहीं करता, वह उदास रहता है। बर्नआऊट होने पर दूसरों के प्रति कटुता का भाव भी पैदा हो सकता है और कार्यकुशलता में कमी भी देखी जाती है। 

अमरीकी कंपनी गैलप द्वारा किए गए एक सर्वे से पता चलता है कि दुनिया के करीब 23 प्रतिशत कर्मचारी मानते हैं कि वे अक्सर बर्नआऊट का शिकार हो जाते हैं। ब्रिटेन में किए गए एक और अध्ययन के मुताबिक, कर्मचारियों द्वारा अचानक छुट्टी मांगने के पीछे एक बहुत बड़ी वजह उनकी मानसिक परेशानियां हैं। लाखों करोड़ों लोग अपनी नौकरियों से इस्तीफा दे रहे हैं और उनमें आधे से ज्यादा कर्मचारी यह मानते हैं कि वे बर्नआऊट और इमोशनल ब्रेकडाऊन का शिकार हो रहे हैं। 

यह सब कोविड के बाद से और ज्यादा होने लगा है। काम का दबाव झेलने के बाद जब लोग घर पहुंचते हैं तो उन्हें वहां भी आराम नहीं मिलता, क्योंकि परिवार की उम्मीदों का बोझ उन्हें एक बार फिर से तनाव भरे काम की तरफ लौटने को मजबूर कर देता है। अब सवाल यह है कि इससे बचने के लिए क्या किया जाए? तो इसका एक सरल उपाय यही है कि अपने काम और अपनी महत्वाकांक्षाओं को अपने मानसिक स्वास्थ्य पर हावी न होने दें क्योंकि मन की बीमारी की दवा पैसों से नहीं खरीदी जा सकती।-रंजना मिश्रा


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