सोशल मीडिया की लत पर नियंत्रण जरूरी

punjabkesari.in Friday, Mar 29, 2024 - 05:12 AM (IST)

कुछ समय पहले तक एक आम धारणा थी कि जब भी कभी घर की बेटी समझदार हो जाए तो उसके विवाह के लिए विचार शुरू हो जाता था। उसी तरह यदि घर का बेटा बिगडऩे लग जाए तो उसे ठीक करने की मंशा से भी उसके विवाह के बारे में सोचा जाता था। परंतु आजकल के दौर में ऐसा नहीं है। आजकल का युवा जिस कदर सोशल मीडिया के साथ घंटों बिताता है उसे लेकर भी मां-बाप में चिंता बढ़ती जाती है। पिछले दिनों आपने सोशल मीडिया पर होली के उपलक्ष्य में ऐसे कई वायरल वीडियो देखे होंगे जहां लड़के लड़कियां खुलेआम ऐसी हरकतें करते दिखाई दिए कि सभी शर्मसार हुए। आखिर इस समस्या का क्या कारण है और इससे कैसे निपटा जाए? 

दिल्ली मैट्रो में दो लड़कियों द्वारा अश्लील वीडियो रील बनाने को लेकर काफी बवाल मचा। जैसे ही इस वीडियो को लेकर दिल्ली वालों ने मैट्रो प्रशासन से सवाल पूछे तो दिल्ली मैट्रो ने इसे ‘डीप फेक’ कह कर इससे पल्ला झाडऩे का प्रयास किया। परंतु जब कुछ लोगों ने इसकी जांच की तो यह वीडियो सही पाया गया और वीडियो में देखी गई लड़कियों ने भी इसे स्वीकारा। यह लड़कियां यहीं नहीं रुकीं, उन्होंने दिल्ली से सटे नोएडा में एक स्कूटी पर बैठ ऐसा ही एक और अश्लील वीडियो बना डाला। वीडियो सामने आने के बाद नोएडा पुलिस ने कार्रवाई करते हुए इन लोगों का 33 हजार रुपए का चालान भी काटा। परंतु क्या सिर्फ चालान ही इस समस्या का हल है? ऐसा देखा गया है कि न सिर्फ ऐसे अश्लील वीडियो बनते हैं बल्कि ऐसे अनेकों अन्य वीडियो भी बनाए जाते हैं जहां युवा खतरनाक स्टंट करते हुए दिखाई देते हैं। कभी-कभी तो ऐसे वीडियो जानलेवा भी साबित होते हैं। 

परन्तु क्या किसी ने सोचा है कि ये युवा इतने बेलगाम क्यों होते जा रहे हैं? सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो डाल कर आखिर वह क्या हासिल करना चाहते हैं? ऐसी हरकतें कर वे कुछ समय तक तो सोशल मीडिया पर प्रसिद्ध अवश्य हो जाएंगे, पर उसके बाद क्या? क्या इस प्रसिद्धि से उन्हें कुछ आॢथक लाभ होगा? क्या इस प्रसिद्धि का उनकी शैक्षिक योग्यता पर अच्छा असर पड़ेगा? क्या ऐसा करने से उनका मान-सम्मान बढ़ेगा? इन सभी सवालों का उत्तर ‘नहीं’ ही है। तो फिर ये प्रसिद्धि या ऐसी हरकतें किस काम कीं? 

वहीं यदि इन युवकों के नजरिए से देखा जाए तो इन हरकतों के पीछे न सिर्फ सही संगत की कमी है बल्कि उससे भी ज्यादा रोजगार की कमी है। यदि इन युवकों को समय रहते उनकी योग्यता के मुताबिक सही रोजगार मिल जाते तो शायद ऐसे दृश्य देखने को न मिलते। जिस तरह मोबाइल फोन के जरिए सोशल मीडिया ने हर घर में अपनी जगह बना ली है, ऐसे क्रियाकलापों से छुटकारा पाना असंभव होता जा रहा है। बच्चा हो, युवा हो या घर का कोई बड़ा सदस्य जिसे देखो उसकी गर्दन झुकी ही रहती है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि आज के दौर में वही सिर उठा कर रह सकता है जिसके पास स्मार्ट फोन नहीं है। यह तो हुई मजाक की बात। परंतु क्या वास्तव में इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है? ऐसे कई छोटे और सरल उपचार हैं जिससे इस समस्या से निदान पाया जा सकता है। 

सबसे पहले तो स्क्रीन टाइम को नियंत्रित करना जरूरी है। क्या आपने कभी सोचा है कि दिन के 24 घंटों में आप कितना समय अपने मोबाइल फोन या कम्प्यूटर पर बिताते हैं? क्या आप अपने परिवार, समाज व सहकर्मियों के साथ उसका कुछ हिस्सा भी बिताते हैं? आज के दौर में मोबाइल फोन और सोशल मीडिया ही हैं जो हमें अपने समाज से दूर कर अराजक बना रहे हैं। यदि हम अपने परिवारों में एक बात निश्चित कर लें कि दिन के 24 घंटों में एक निर्धारित समय ऐसा हो जब परिवार का हर सदस्य अपना-अपना मोबाइल छोड़ एक-दूसरे से बात करे, साथ बैठ कर भोजन या भजन करे तो इस समस्या का अंत आसानी से हो जाएगा। 

एक बार कुछ मित्रों ने मिलने का प्लान बनाया। एक महंगे से रैस्टोरैंट में मिलना तय हुआ। सभी मित्र अपने-अपने कार्य क्षेत्रों में काफी प्रसिद्ध और संपन्न थे। सभी के हाथ में महंगे मोबाइल फोन भी थे। जैसे ही सभी मित्र इकट्ठा हुए तो जिस मित्र ने इस पार्टी का आयोजन किया उसने खड़े हो कर एक घोषणा की। उसने सभी मित्रों से कहा कि आज की पार्टी हमेशा की तरह नहीं है। जैसा कि हम सभी मित्र हमेशा करते हैं कि रैस्टोरैंट के बिल का भुगतान मिल-बांट कर करते हैं, आज ऐसा नहीं होगा। सभी ने पूछा तो फिर आज पार्टी कौन दे रहा है? इससे पहले कि उत्तर मिलता आयोजक ने टेबल के बीचों बीच रखी एक टोकरी की ओर इशारा किया और सभी से अपना-अपना फोन उसमें रखने को कहा। फिर वह बोला कि यह समय हम सभी एक-दूसरे के साथ बिताएं और अपने फोन को भी आराम करने दें। फोन की घंटी बजने पर, जो भी व्यक्ति सबसे पहले इस टोकरी में से अपना फोन उठाएगा वो ही सबका बिल भरेगा। 

इस अटपटी शर्त को सभी ने माना। बस फिर क्या था भले ही कइयों के फोन की घंटी बजी लेकिन जितनी भी देर पार्टी चली किसी ने भी फोन नहीं उठाया। अंत में हमेशा की तरह बिल सभी के बीच बराबर बंटा और सभी मित्र कुछ पल के लिए ही सही परंतु काफी ताजा महसूस करने लगे। यह तो एक उदाहरण है यदि आप खोजेंगे तो आपको इस समस्या के कई हल मिल जाएंगे और युवा हों या अन्य सभी नियंत्रित हो जाएंगे।-रजनीश कपूर
 


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