वाराणसी में मोदी के बारे में मिलीजुली प्रतिक्रिया

punjabkesari.in Wednesday, May 01, 2019 - 03:42 AM (IST)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 5 वर्ष तक वाराणसी का प्रतिनिधित्व करने के बाद क्या इस लोकसभा क्षेत्र में बेहतरी की दिशा में कोई तबदीली आई है? क्या बुनकरों के जीवन में सुधार हुआ है? क्या वायु प्रदूषण घटा है? क्या गंगा नदी पहले के मुकाबले साफ हुई है? क्या आधारभूत ढांचे में सुधार हुआ है? इन सब प्रश्रों का जवाब जनता की अदालत की ओर से 23 मई को सुनाया जाएगा जब चुनाव परिणाम घोषित होंगे। मोदी ने वाराणसी से 26 अप्रैल को दूसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया। इस दौरान 25 अप्रैल को मोदी के मेगा रोड शो में खूब भीड़ उमड़ी। 

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफैसर ए.के. श्रीवास्तव का मानना है कि वाराणसी के दौरे से पता चलता है कि मोदी ने काफी काम किया है लेकिन अभी ‘कार्य प्रगति पर है।’ मैंने पाया कि वाराणसी दो तरह के गुटों में बंटी हुई है-एक वे जो मोदी की महत्वाकांक्षी विकास योजना का समर्थन करते हैं और दूसरे वे जो इसका विरोध करते हैं। 2014 में उन्होंने मैट्रो, मोनो रेल, 6 लेन के राजमार्ग, फ्लाईओवरों, सैटेलाइट कस्बों, 24 घंटे बिजली और पानी, स्वच्छ गंगा, गंगा में लग्जरी क्रूज, ठोस कचरा प्रबंधन तथा अन्य विकास कार्यों के वायदे किए थे। 

मोदी के समर्थकों का कहना है कि उन्होंने न केवल सड़कों को सुधारा है बल्कि वाराणसी और इसके आसपास पूरे आधारभूत ढांचे में सुधार किया है। मल्टी मॉडल टर्मिनल और ट्रेड फैसिलिटेशन सैंटर, वाराणसी के इर्द-गिर्द स्थापित की गई हैरीटेज लाइटें कुछ उदाहरण हैं। कागज पर, मोदी इन 5 वर्षों में लगभग 30 हजार करोड़ के प्रोजैक्ट लेकर आए हैं। लाल बहादुर शास्त्री एयरपोर्ट पर उतरने पर पहली चीज जो आपके ध्यान में आती है वह है शहर के लिए 4 लेन सड़क जिसमें 3 फ्लाईओवर हैं। हमारे कैब ड्राइवर कमलेश बताते हैं कि शहर पहुंचने में अब केवल 45 मिनट लगते हैं जबकि पहले 3 घंटे लगते थे। वाराणसी में प्रवेश करने पर गंगा का स्पष्ट दीदार, चौड़ी सड़कें, फ्लाईओवर तथा पुल आपका स्वागत करते हैं। 

मोदी के कट्टर समर्थक आनंद चौबे के अनुसार यहां हुए सुधारों में गैस पाइप लाइन, रिंग रोड, गंगा और वरुणा पर पुल शामिल हैं। लेकिन मोदी के आलोचक बताते हैं कि अंडरग्राऊंड केबल बिछाने के लिए सड़कों के किनारों को खोद दिया गया है। शहर में गंदगी है और पुल ढहने के कगार पर हैं। कांग्रेस के उम्मीदवार अजय राय मानते हैं कि स्वच्छता में सुधार हुआ है लेकिन खराब ड्रेनेज सिस्टम एक अन्य समस्या है। राय मंदिर के लिए विश्वनाथ कॉरीडोर की आलोचना करते हैं। 

इस प्रोजैक्ट में लगभग 250 ढांचों को तोडऩे के बाद 50 फीट चौड़ा पाथ-वे भी शामिल है। तोड़े जाने वाले ढांचों में कुछ 17वीं शताब्दी के हैं। 600 करोड़ रुपए के इस प्रोजैक्ट से 45000 वर्ग मीटर स्थान बनेगा। मैंने पाया कि कुछ स्थानीय निवासी जिनसे घर खरीदे गए थे, खुश नहीं हैं। कुछ धार्मिक नेताओं ने भी इस प्रोजैक्ट का विरोध किया है। उनका दवा है कि इस प्रोजैक्ट से ‘काशी की आत्मा’ को कुचला जा रहा है। मुसलमानों की ओर से मुफ्ती मौलाना अब्दुल बत्तिन नोमानी मंदिर के साथ सटी मस्जिद की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। आर.एस.एस. नेता रमेश और वी.एच.पी. नेता दिवाकर यह दावा करते हैं कि अब श्रद्धालु स्वतंत्र तौर पर यहां घूम सकते हैं। इस बीच मंदिर के दौरे के दौरान यह साबित हुआ कि श्रद्धालु भी कॉरीडोर का स्वागत कर रहे हैं। 

मोदी के फैन हैं बोटमैन
आपको 90 घाटों की सैर कराने वाले बोटमैन मोदी के बड़े फैन हैं। नदी के किनारे स्थापित की गई लाइटों को दिखाते हुए हमारे बोटमैन महेश सैनी इस बात पर गर्व करते हैं कि घाटों में सुधार हुआ है। वह कहते हैं, ‘‘मोदी जी ने बहुत काम किया है।’’ असी, दशाश्वमेध तथा कुछ अन्य घाटों में फर्क साफ नजर आता है। नोर्डिक क्रूज लाइन द्वारा चलाई जा रही 60 सीटर अलकनंदा लग्जरी नाव  गंगा नदी में शानदार सवारी कराती है। 

समाजवादी पार्टी की डमी उम्मीदवार शालिनी यादव बताती हैं कि असी घाट से कुछ दूरी पर वाराणसी का कचरा गंगा नदी में फैंका जाता है। शहर में पैदा होने वाला 3/4 से अधिक सीवेज असी और अन्य ड्रेन्ज के माध्यम से गंगा में डाला जाता है। वाराणसी में प्रदूषण की भी गंभीर समस्या है। संकटमोचन मंदिर के महंत विश्वम्भरनाथ मिश्रा सीवेज सिस्टम की कमी और गंगा की स्वच्छता इत्यादि पर काफी मुखर आवाज हैं। मोदी ने इस नदी को साफ करने के लिए 21 हजार करोड़ रुपए की घोषणा की थी, जिसमें से 600 करोड़ विशेष तौर पर वाराणसी लोकसभा क्षेत्र के लिए थे। 

बुनकरों की स्थिति
एक मुस्लिम बुनकर हाजी हबीबुल्ला बताते हैं कि मशहूर बनारसी सिल्क उद्योग अत्यधिक कपड़ों के उत्पादन और चीनी प्रतियोगिता के कारण खत्म होने के कगार पर है। शहर में लगभग 6 लाख बुनकर हैं; जिनमें से अधिकतर मुसलमान हैं और उन्होंने यह पेशा छोड़ दिया है क्योंकि अब इसमें लाभ नहीं रहा। मोदी की मुद्रा लोन योजना ने उनकी सहायता की है लेकिन इसके लाभार्थियों की संख्या घट रही है। उन्हें जी.एस.टी. के फार्म भरने में दिक्कत पेश आती है क्योंकि अधिकतर बुनकर अनपढ़ हैं। 

मोदी को गंगा पर भरोसा
वाराणसी में मोदी को चुनौती देने वाला कोई नहीं है। भाजपा और आर.एस.एस. कार्यकत्र्ता अपने काम में लगे हुए हैं। अजय राय और शालिनी यादव कमजोर उम्मीदवार हैं। यदि प्रियंका गांधी चुनाव लड़ रही होतीं तो कुछ मुकाबले वाली बात होती। अब केवल एक ही चर्चा है कि मोदी की जीत का अंतर कितना रहता है। 2014 में वह 5,80,000 मतों के अंतर से जीते थे। मोदी ने नामांकन भरने के बाद अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मां गंगा मेरा ध्यान रखेंगी।’’-कल्याणी शंकर


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