कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच जांच में कमी न आए

punjabkesari.in Thursday, Mar 30, 2023 - 05:09 AM (IST)

हम सबने अब मास्क पहनना छोड़ दिया है। सोशल डिस्टैंसिंग को भी हम भूल चुके हैं। कोरोना के समय ये काम हम बार-बार करते थे लेकिन आज हम हाथ धोने से भी कतराते हैं। यहां तक कि अगर आज हमें कोई मास्क लगाए दिखता है तो उसका मजाक बनाते हैं। कुल मिलाकर हम कोरोना काल में बरती गई सावधानियों को भूल चुके हैं। हम उन दर्दनाक तस्वीरों को भी भूल गए हैं, जब अस्पतालों में चीख-पुकार मची हुई थी। 

अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए बैड तक उपलब्ध नहीं हो पा रहे थे। श्मशान में दाह-संस्कार के लिए भी लम्बी लाइनें लगी हुई थीं। सवाल यह है कि क्या हम उसी रास्ते पर दोबारा से जा रहे हैं? क्योंकि देश में कोरोना वायरस की रफ्तार बहुत तेजी से बढ़ रही है जो बहुत बड़े खतरे का संकेत है। 

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक, अब तक महाराष्ट्र में कोरोना के कुल 2,117 एक्टिव केस पाए गए हैं, जिनमें 161 नए केस पिछले 24 घंटों में दर्ज किए गए हैं। वहीं गुजरात में कोरोना के 1,697 एक्टिव केस मिले हैं, जिनमें 168 नए केस पिछले 24 घंटों में देखे गए हैं। देश की राजधानी दिल्ली में 528 एक्टिव केस हैं और 57 नए केस पिछले 24 घंटों में सामने आए हैं। कर्नाटक में 792 एक्टिव केस हैं और यहां पिछले 24 घंटों में 109 नए केसों का पता चला है। तमिलनाडु में कुल 608 एक्टिव केस हैं और यहां पर भी वायरस ने अपनी रफ्तार बढ़ाई है। यहां पिछले 24 घंटों में 26 नए केस दर्ज किए गए हैं, तो वहीं केरल का सबसे बुरा हाल है। यहां कुल एक्टिव केसों की संख्या 2,471 है जिनमें 160 केस पिछले 24 घंटों में दर्ज किए गए हैं। 

भारत में 8 मार्च तक कोरोना के कुल 2,082 एक्टिव केस थे, जो 15 मार्च तक बढ़कर 3,264 हो गए। वहीं 16 मार्च को एक दिन में कोरोना के 700 से ज्यादा केस दर्ज हुए हैं और अब देश में एक्टिव केस 10,000 से ज्यादा हैं। केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल की सरकारों को चिठ्ठी लिखकर सावधानी बरतने के साथ ‘मैक्रो लैवल’ पर ‘सर्विलांस टैस्टिंगस’ और ‘मॉनिटरिंग’ बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। 

केंद्र सरकार ने कोविड-19 और मौसमी इन्फ्लुएंजा के बढ़ते मामलों के बीच अस्पतालों की तैयारियों को जांचने के उद्देश्य से अप्रैल माह में राष्ट्रव्यापी ‘मॉक ड्रिल अभियान’ चलाने का निर्णय लिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और भारतीय चिकित्सा अनुसन्धान परिषद (आई.सी.एम.आर.) की तरफ से सभी जिलों के सार्वजनिक अथवा निजी स्वास्थ्य केंद्रों को इस अभियान में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है। 

कोरोना के केस जितनी तेजी से दोगुने हुए हैं उससे भारत में कोरोना महामारी की अगली लहर की आशंका बन गई है। कोरोना के नए मामलों में बढ़ौत्तरी के पीछे इसके सब-वैरिएंट XBB.1.16 एंव XBB.1.15 के होने की सम्भावना जताई जा रही है। खतरा इसलिए भी अधिक है क्योंकि यह वैक्सीन से बनी इम्युनिटी को भी बाईपास कर सकता है। इस वेरिएंट को लेकर पूरी दुनिया में ‘जीनोम सीक्वेंसिंग’ भी की गई है, जिसमें XBB.1.16 सब-वेरिएंट के सबसे ज्यादा 48 मामले भारतीय सैंपल में ही मिले हैं। जबकि ब्रुनेई में 22, अमरीका में 15 और सिंगापुर के 14 सैंपलों में यह मिला है। कोरोना और एच3एन2 ‘इन्फ्लुएंजा’ का एक साथ आना बहुत घातक संयोजन हो सकता है। 

इस सबके बीच पिछले कुछ सप्ताह से कुछ राज्यों में कोविड-19 की जांचों में कमी देखी गई है और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानक (प्रति 10 लाख की आबादी पर 140 जांच) की तुलना में वर्तमान जांच का स्तर अपर्याप्त पाया गया है। उत्तर प्रदेश में भी कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है, जहां अब तक कोरोना के 246 एक्टिव केस मिले हैं, 62 नए केस पिछले 24 घंटों में दर्ज किए गए हैं। हालांकि संक्रमण से बचाव के लिए चलाया जा रहा टीकाकरण अभियान भी काफी सुस्त रफ्तार में चल रहा है। किसी भी सरकारी अस्पताल में अब वैक्सीन नहीं है, जिस कारण सरकारी अस्पतालों में टीकाकरण नहीं हो पा रहा। 

प्राइवेट अस्पतालों में ‘कार्बोवैक्स’ का टीका 400 रुपए में लगाया जा रहा है। यह टीका 12 वर्ष से 14 वर्ष तक की उम्र के बच्चों को लगाया जाता है। वहीं वयस्कों को इसकी सतर्कता (प्रीकॉशन) डोज का भी न लग पाना वास्तव में चिन्ता का विषय है। सिर्फ 23 प्राइवेट अस्पताल ऐसे हैं जिनमें कार्बोवैक्स का टीका लग पा रहा है। ‘कोविशील्ड’ व ‘कोवैक्सीन’ का टीका उपलब्ध ही नहीं है। केंद्र सरकार की ओर से टीके उपलब्ध कराने और दिशा निर्देशों का इंतजार किया जा रहा है।-ऋषभ मिश्रा


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