निराशा से बढ़कर कोई शत्रु नहीं

punjabkesari.in Tuesday, Apr 23, 2024 - 06:05 AM (IST)

मन ही मन यदि आपने किसी कठिन कार्य को करने का संकल्प ले लिया तो निरंतर जिजीविषा और संयम के साथ संघर्ष हर बड़ी जीत और सफलता के उत्तम मार्ग हैं। निराशा से बढ़कर कोई अवरोध नहीं अत: निराशा, हताशा को त्यागें और ऊर्जा उत्साह के साथ आगे बढ़ें, सफलता आपके कदमों पर होगी। हर बड़ा व्यक्ति जो हमें समाज से अलग हटकर खड़ा दिखाई देता है, जिसे हम विलक्षण मानते और प्रतिभा संपन्न मानते हैं और आज के संदर्भ में हम उसे सैलीब्रिटी कहते हैं तो नि:संदेह उसकी इस सफलता के पीछे अनवरत श्रम, अदम्य मानसिक शक्ति और संयम छुपा होता है। 

बड़ी सफलता प्राप्त करने का कोई सरल उपाय या शॉर्टकट नहीं होता है। विपरीत परिस्थितियों में मनुष्य की मानसिक दृढ़ता एवं संकल्पित कठिन श्रम ही सफलता के रास्ते खोलते हैं। यूं तो हर इंसान के जीवन में विशेषताएं, मान्यताएं, प्रतिबद्धताएं और आकांक्षाएं होती हैं। सभी लोग मूलभूत आवश्यकताओं के साथ-साथ सामाजिकता, प्रसिद्धि और प्रतिष्ठा जैसी उच्च स्तरीय आवश्यकताओं की पूर्ति करना चाहते हैं, मानव की स्वाभाविक और अदम्य इच्छा की पूर्ति के संपूर्ण जीवन और उसके अस्तित्व के लिए अत्यंत आवश्यक है किंतु व्यक्ति की इच्छा,आकांक्षा सफलता उसके मूल्यों, सिद्धांतों और आदर्शों की कीमत पर कतई नहीं होनी चाहिए। 

यदि व्यक्ति की आकांक्षा,सफलता और इच्छा उसकी अदम्य इच्छा, भूख और मूल्यों को समाविष्ट न करते हुए दूसरी दिशा में जाती हो तो ऐसे में उसकी सफलता पूरे मानव समाज और मानवता के लिए संकट का कारण भी बन सकती है। जिस तरह एक वैज्ञानिक मेहनत, लगन, प्रयोगशाला में मानवीय संविधान मूल्यों से ओतप्रोत मानव कल्याण के उपकरण न बनाकर जैविक व रासायनिक हथियार बनाकर व्यापक नरसंहार जैसे अमानवीय आविष्कार को मूर्त रूप दे, तो यह समाज के लिए खतरनाक हो सकता है, यही वजह है कि सफलता का नक्शा और इच्छा के पीछे मानवीय मूल्यों का होना अत्यंत आवश्यक भी है।-संजीव ठाकुर
 


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