बगैर अपनी जड़ें तलाश करने भारत आईं 2 अमरीकी महिलाओं को अपने असली मां-बाप मिलने की पूरी उम्मीद

punjabkesari.in Saturday, Feb 17, 2018 - 04:52 AM (IST)

‘‘कभी हिम्मत न हारो, कभी मैदान न छोड़ो।’’ ‘लायन’ फिल्म की ये पंक्तियां भारतीय मूल की दो महिलाओं स्टीफानी कृपा कूपर-ल्यूटर और रिबेका निर्मला पीकॉक के दिल के तारों में झंकार छेड़ देती हैं। इन दोनों को उनके जन्म के शीघ्र ही बाद लावारिस छोड़ दिया गया था और अनाथालयों में उनका पालन-पोषण हुआ था। वहीं से दो अमरीकी नागरिकों ने उन्हें 40 वर्ष से भी अधिक समय पूर्व गोद लिया था। आजकल ये दोनों अपने जैविक माता-पिता की तलाश करने के लिए भारत आई हुई हैं। 

25 वर्ष तक पीड़ादायक इंतजार करने के बाद अपनी जैविक माता को आस्ट्रेलिया में मिलने वाली पुरस्कार विजेता फिल्म ‘लायन’ की नायिका सारू ब्रियरली की तरह ही कृपा और निर्मला दोनों का एक-दूसरे से परिचय 2007 में याहू के माध्यम से हुआ था, क्योंकि  दोनों ही लम्बे समय से भारत में मौजूद अपने माता-पिता की तलाश में सक्रिय थीं। 1975 की गर्मियों में कृपा को कानपुर के एक अनाथालय से अमरीका के मिन्नेसोटा राज्य के एटकिन नगर की रहने वाली इकलौती (सिंगल मदर) महिला मैरिलीन बैकस्ट्रोम ने गोद लिया था जबकि निर्मला को इसी संस्थान से 1976 में अमरीका के उटाह प्रांत के साल्टलेक सिटी के रहने वाले दम्पति लियोनार्ड जैनसन तथा जूडी जैनसन ने गोद लिया था।

आजकल ये दोनों महिलाएं आगरा आई हुई हैं और दोनों ने लगभग एक आवाज में मुझे बताया, ‘‘हम अपनी जड़ें तलाश करना चाहती हैं। हम अपने माता-पिता को मिलना और उनके साथ बातें करना चाहती हैं। हम उनके गले लग कर रोना और उनसे यह पूछना चाहती हैं कि वे हमें अनाथालय के पालने में क्यों फैंक गए थे। हम उनकी व्यथा जानना चाहती हैं और पता करना चाहती हैं कि किस मजबूरी के चलते उन्होंने हमें लावारिस छोड़ दिया।’’ निर्मला ने कहा, ‘‘मैं गत 4 दशकों से अमरीका में हूं फिर भी मेरा दिल भारत में अपने घर को याद करके रोता है। मेरे अभिभावकों ने मेरी जैविक जड़ें तलाश करने में मुझे बहुत समर्थन दिया है।’’ गोद ली हुई 8 वर्षीय बच्ची तृषा तथा अपने ग्राफिक डिजाइनर पति डेविड पीकॉक के साथ सियाटल शहर में रहने वाली इस गृहिणी ने कहा कि वह किसी भी हालत में अपने जैविक माता-पिता की तलाश नहीं छोड़ेगी। 

कृपा अपने पति निकोलस कूपर-ल्यूटर के साथ नार्थ कैरोलिना प्रांत के चार्लट शहर में रहती है जहां वे दोनों वंचित परिवारों के बच्चों के कल्याण हेतु काम करते हैं। दोनों महिलाओं ने फेसबुक पर ‘जर्नी विद ए पर्पस’ के नाम तले एक अभियान चला रखा है, ताकि वे अपने अनुवांशिक माता-पिता को खोज सकें। शुक्रवार उन दोनों ने कानपुर की मेयर प्रमिला पांडे से मुलाकात की और इस अभियान में उनसे समर्थन मांगा। कृपा ने कहा, ‘‘अपने दिल की गहराइयों में मैं जानती हूं कि ‘लायन’ फिल्म की सारू की तरह मैं भी अपने माता-पिता को तलाश कर लूंगी और तब सारू की तरह उनके गले लग कर रोऊंगी। मैं उम्मीद छोडऩे वाली नहीं हूं।’’-अरविंद चौहान 


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