‘अर्थव्यवस्था में सुधार दिखाई देने लगा’

punjabkesari.in Sunday, Feb 28, 2021 - 04:19 AM (IST)

हाल ही में 26 फरवरी को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी किए गए सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) के आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही (अक्तूबर-दिसंबर 2020) में विकास दर में 0.4 फीसदी की वृद्धि हुई है। देश में विकास दर पहली तिमाही में माइनस 24.4 फीसदी और दूसरी तिमाही में माइनस 7.3 फीसदी रही थी। ऐसे में अब भारत दुनिया की 10 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में चीन के बाद दूसरा देश बन गया है, जहां विकास दर सकारात्मक हो गई है। 

नि:संदेह चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में लॉकडाऊन के कारण तेज गिरावट और फिर दूसरी तिमाही में सुधार के संकेत के बाद विकास दर बढऩे का आंकड़ा अर्थव्यवस्था में तेज सुधार का परिचायक है। इस सुधार में अहम भूमिका एग्रीकल्चर, कंस्ट्रक्शन, मैन्युफैक्चरिंग सैक्टरों की रही है। हालांकि चालू वित्त वर्ष में जी.डी.पी. में 8 फीसदी गिरावट आने का अनुमान लगाया गया है। पहले 7.7 फीसदी गिरावट का अनुमान जताया गया था। 

जहां चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के जी.डी.पी. आंकड़े सकारात्मक सुधार दर्शाते हैं, वहीं हाल ही में जारी चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के कंपनियों के कारोबारी नतीजे भी कारोबार में सुधार का स्पष्ट संकेत दे रहे हैं। इन नतीजों के मुताबिक कम लागत और बिक्री में सुधार से मुनाफा बढ़ा है। 

खपत आधारित क्षेत्रों में वाहन के साथ-साथ दैनिक उपयोग की वस्तुओं और टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं की बिक्री बढ़ी है। बुनियादी क्षेत्रों में कारोबारी आकार बढ़ा है और इस्पात, गैर लौह धातुओं तथा सीमैंट में सुधार दर्ज हुआ है।  बिजली उत्पादन, भवन निर्माण और लॉजिस्टिक्स के साथ-साथ खनन क्षेत्र का प्रदर्शन भी बेहतर हुआ है। निर्यात के मोर्चे पर, औषधि और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनियों के साथ-साथ कपड़ा निर्यात भी बढ़ा है। 

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि 25 फरवरी को वैश्विक क्रैडिट रेटिंग एजैंसी मूडीज ने अगले वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि का अनुमान पहले अनुमानित किए गए 10.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 13.7 प्रतिशत कर दिया है। आॢथक गतिविधियों के सामान्य होने और कोविड-19 का टीका बाजार में आने के बाद भारतीय बाजार में बढ़ते विश्वास को देखते हुए यह नया अनुमान लगाया गया है। इस रेटिंग एजैंसी ने इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था में आने वाली गिरावट के अनुमान को भी अपने पहले के 10.6 प्रतिशत में सुधार लाते हुए इसे 7 प्रतिशत कर दिया है। 

नि:संदेह वर्ष 2021 की शुरूआत से ही अर्थव्यवस्था में सुधार दिखाई दे रहा है, लेकिन अर्थव्यवस्था को तेजी से गतिशील करने और आगामी वित्त वर्ष 2021-22 में भारत को दुनिया में सबसे तेज विकास दर वाला देश बनाने की वैश्विक आर्थिक रिपोर्टों को साकार करने के लिए कई बातों पर ध्यान देना होगा। देश में जी.डी.पी. की स्थिति सुधरी है, लेकिन परिवारों की खर्च संबंधी धारणा बेहतर नहीं हुई है। भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) का उपभोक्ता भरोसा सर्वे ऐसा रुझान दिखा रहा है। अतएव उपभोक्ताओं के खर्च की धारणा को सकारात्मक करके खर्च की प्रवृत्ति बढ़ाना जरूरी है। भारत की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए जरूरी है कि इसके विशाल उपभोक्ता बाजार में बुनियादी जरूरतों के लिए अधिक खर्च करने की चाह पैदा की जाए। 

वित्तमंत्री ने जहां एम.एस.एम.ई. को बड़ा प्रभावी बजट दिया है, वहीं पर्यटन उद्योग, होटल उद्योग सहित जो विभिन्न उद्योग-कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, उन्हें भी पुनर्जीवित करने के लिए नए बजट में बड़ी धनराशि रखी गई है। सरकार ने ऐसे नए उद्यमों तथा कृषि बाजारों को प्रोत्साहन दिया है, जिनसे कृषि उत्पादों को लाभदायक कीमत दिलाने में मदद करने के साथ उपभोक्ताओं को ये उत्पाद उपयुक्त दाम पर पहुंचाने में मदद हो सके। हम उम्मीद करें कि सरकार मंदी से बाहर निकली देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार और विकास दर बढ़ाने के लिए एक ओर आम आदमी की क्रयशक्ति बढ़ाने के प्रयास करेगी, वहीं दूसरी ओर देश के उद्योग-कारोबार को गतिशील करने के लिए भी हरसंभव प्रयास करेगी।-डा. जयंतीलाल भंडारी


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