कांग्रेस में राहुल गांधी को लेकर अलग-अलग ‘राय’

punjabkesari.in Monday, Jun 22, 2020 - 02:43 AM (IST)

कांग्रेस पार्टी के भीतर इस समय गहन आंतरिक लड़ाई चल रही है। पार्टी के भीतर शक्तिशाली लॉबी नेतृत्व संकट को लेकर निराश है और तर्क दे रही है कि राहुल गांधी का पिछली सीट पर बैठकर नेतृत्व करना अस्वीकार्य है। इस समूह का मानना है कि राहुल को इस मामले को लेकर आगे बढऩा चाहिए, वरिष्ठ सदस्यों के साथ प्रासंगिक मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए और एक बार नेतृत्व के सवाल को हमेशा के लिए हल करना चाहिए। कांग्रेसियों का एक वर्ग राहुल की वापसी का विरोध कर रहा है। 

उनका तर्क है कि नेता को चुनने के प्रति रूढि़वादी दृष्टिकोण अपनाने की बजाय एक छोटा समूह उनकी वापसी की वकालत कर रहा है और इससे संगठन के भीतर उलझनें पैदा हो सकती हैं। लॉकडाऊन ने पार्टी के पुनर्गठन में देरी की है लेकिन अधिकतर सदस्यों का मानना है कि इस साल के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को नियमित अध्यक्ष मिल जाना चाहिए। कुछ नेताओं ने निजी तौर पर कानाफूसी करना शुरू कर दिया है कि राहुल को पर्दे के पीछे से शासन करने की बजाय निर्णायक कदम उठाना चाहिए यदि वह पार्टी का नेतृत्व करने में कोई दिलचस्पी नहीं रखते। 

वह जोर देकर कहते हैं कि सभी निर्णय अभी भी उनके द्वारा लिए जा रहे हैं और सोनिया गांधी निश्चित रूप से अंतिम निर्णय नहीं लेतीं। बेसब्री का स्तर बढ़ रहा है और कइयों का कहना है कि  राहुल के लिए वापसी करने का यह सही समय नहीं है और इस बारे निर्णय महामारी के बाद स्थिति के सामान्य हो जाने तक स्थगित कर देना चाहिए। इस बीच राहुल गांधी ने रघुराम राजन, अभिजीत बनर्जी और राजीव बजाज जैसी प्रख्यात हस्तियों के साथ वीडियो चैट्स का नेतृत्व किया  जो दिखाता है कि पार्टी राहुल गांधी की फिर से ब्रांङ्क्षडग कर रही है और उन्हें शीर्ष पद पर वापस लाने की दिशा में काम कर रही है।

महाविकास आघाड़ी गठबंधन में अंदरूनी कलह
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के व्यवहार और नौकरशाहों पर उनकी निर्भरता के कारण महाविकास आघाड़ी गठबंधन इन दिनों मुश्किल में है। मुख्य सचिव की मंजूरी के बाद ही मुख्यमंत्री फाइलें क्लीयर करते हैं, जिससे कांग्रेस नेता शोर मचाते हैं। वर्तमान में सबसे अधिक चिंतित राकांपा प्रमुख शरद पवार हैं जिन्होंने मुख्यमंत्री के सतर्क नौकरशाही दृष्टिकोण पर कई बार आपत्ति जताई है।

जैसा कि पवार का मानना है कि अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने का एकमात्र तरीका लॉकडाऊन उठाना है। जबकि उद्धव ठाकरे नौकरशाहों के तर्क के अनुसार धीरे-धीरे लॉकडाऊन हटाने के पक्षधर हैं। इस बीच ठाकरे मुंबई के उद्योग को आकर्षित करने में असमर्थ रहे जो राहत और स्वास्थ्य देखभाल के कार्यों में प्रमुख भूमिका निभा सकता है। चक्रवात के समय ठाकरे ने अपने सहयोगियों से सलाह नहीं ली और रायगढ़ जिले के हवाई सर्वेक्षण पर अकेले चले गए, जबकि कैंसर को हराने वाले 79 साल के पवार ने चक्रवात से तबाह हुए क्षेत्र की सड़क यात्रा की। राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार महागठबंधन में आंतरिक कलह के कारण सरकार गिर सकती है। 

अशोक गहलोत : एक विजेता
राजस्थान राज्यसभा चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जोड़-तोड़ से दो राज्यसभा सीटें जीतकर अपनी क्षमता दिखाई है। हालांकि कांग्रेस के पास 126 विधायकों का समर्थन है जिसमें से 107 कांग्रेस के हैं और दोनों राज्यसभा सीटों को जीतने के लिए 101 विधायकों  की ही जरूरत थी, लेकिन गुजरात और मध्य प्रदेश की स्थिति को देखते हुए जहां कांग्रेस के विधायक पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे, अशोक गहलोत ने तुरंत कार्रवाई की और भाजपा के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में शिकायत की और अपने विधायकों को जयपुर के एक रिसॉर्ट में ले गए तथा राजस्थान-हरियाणा सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी  ताकि काला धन राजस्थान में हरियाणा से प्रवेश न करे और चुनाव में खरीद-फरोख्त न हो सके। इस परिणाम ने अशोक गहलोत को दिल्ली हाईकमान के सामने कांग्रेस के तारणहार के रूप में दिखाया और उनके प्रतिद्वंद्वी उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट की महत्ता कम कर दी। 

प्रधानमंत्री ने सर्वदलीय बैठक में छोटे दलों को आमंत्रित नहीं किया
भारत-चीन सीमा पर विवाद को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुक्रवार को आहूत सर्वदलीय बैठक में राजद, आप, जद (एस) और अन्य कुछ छोटे दलों को आमंत्रित नहीं कर सरकार ने उन्हें नाराज कर दिया जबकि कुछ ने तो गुस्से में पत्र भी लिख दिए। राजद, ‘आप’ और ए.आई. एम.आई.एम. जैसी पाॢटयों ने सरकार पर राष्ट्रीय संप्रभुता के मुद्दे पर राजनीति करने और सभी को साथ लेकर नहीं चलने का आरोप लगाया। सूत्रों ने कहा कि सरकार ने डिजिटल मीटिंग के लिए उन पार्टियों को आमंत्रित करने का मानदंड निर्धारित किया था जिनके संसद में 5 या उससे अधिक सांसद हैं। प्रधानमंत्री ने बैठक में पार्टियों के शीर्ष नेताओं को आगे के रास्ते के बार में संक्षिप्त रूप से बताया और उनके विचार ठीक उसी प्रकार सुने जैसे उन्होंने अप्रैल में कोविड-19 की स्थिति को लेकर हुई बैठक में सुने थे।-राहिल नोरा चोपड़ा 
 


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