नेपाल में चीन के कदमों पर रोक, भारत से बिजली का आयात-निर्यात

punjabkesari.in Tuesday, May 03, 2022 - 06:43 AM (IST)

रूस -यूक्रेन युद्ध का भारत और नेपाल पर भी असर पड़ा है। नेपाल पर पड़े युद्ध के इस असर का लाभ चीन उठाना चाहता था, लेकिन भारत ने पहले ही उसकी बोलती बंद कर दी। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भारत में कोयले की भारी कमी हो रही है, जिसका बड़ा नुक्सान नेपाल के विनिर्माण क्षेत्र को हो रहा है। दरअसल, कोयले की कमी से भारत में बिजली उत्पादन में कमी आ रही है, जिसके चलते भारत ने नेपाल को रात में बिजली देने से मना कर दिया है। 

अपने औद्योगिक क्षेत्र को चलाए रखने के लिए नेपाल ने भारत से ज्यादा दामों पर बिजली खरीदने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन भारत ने यह प्रस्ताव नहीं माना, क्योंकि इस समय भारत खुद बिजली की कमी से जूझ रहा है। नेपाल में इस्तेमाल होने वाली आधी से अधिक बिजली भारत से आती है। इसके पीछे की वजह यह है कि नेपाल पानी से बिजली बनाता है और गर्मियां आते ही नदियों में पानी कम हो जाता है जिससे नेपाल के पनबिजली संयंत्र पूरी शक्ति से काम नहीं कर पाते। 

ऐसे में नेपाल भारत से बिजली आयात करता है, क्योंकि भारत में 75 प्रतिशत से अधिक भूतापीय बिजली संयंत्र लगे हैं, जो कोयले से चलते हैं। बिजलीघरों के लिए जरूरत के कोयले का खनन देश में तो होता ही है, साथ ही विदेशों से भी भारी मात्रा में आयात किया जाता है। वहीं बरसात के दिनों में नेपाल में बिजली का अतिरिक्त उत्पादन होता है जिसे वह भारत के साथ अन्य पड़ोसी देशों को बेचता है। 

वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कोयले के दामों में बढ़ौतरी से भारत में कुछ पावर प्लांट बंद कर दिए गए हैं, कुछ राज्यों में बिजली की कटौती की जा रही है। कोयले के आयात में रुकावट के चलते आने वाले कुछ महीनों में कुछ और शहरों, कस्बों और गांवों में बिजली की कटौती देखने को मिल सकती है। इसके लिए भारत के पास पिछले 9 वर्षों में कोयले का सबसे कम जमा स्टॉक जिम्मेदार है। इसका सकारात्मक पक्ष यह है कि भारत की इस मजबूरी को नेपाल के अधिकारियों ने समझा और अपने उद्योगों को 15-16 घंटे की बिजली आपूॢत में काम चलाने को कहा है। भारत ने पहले नेपाल को बिजली बेचने की कीमत प्रति यूनिट 20 रुपए रखी थी, लेकिन केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग के हस्तक्षेप के बाद इसकी कीमत प्रति यूनिट 12 रुपए तक घटा दी गई है, जिसका नेपाली अधिकारियों और सरकार ने आभार भी व्यक्त किया। 

भारत में कोयले पर निर्भरता कम करने के लिए वैकल्पिक ऊर्जा, अक्षय ऊर्जा के संसाधनों, जैसे पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, समुद्र की लहरों से ऊर्जा बनाने पर तेजी से काम जारी है। अक्षय ऊर्जा और गैर पारंपरिक ऊर्जा से संबंधित पावर प्लांट बनाए जा रहे हैं, जिससे आने वाले दिनों में भारत की ऊर्जा जरूरतों के लिए अक्षय ऊर्जा का प्रतिशत बढ़ाया जा सके। कुछ समय पहले जब नेपाल में कम्युनिस्ट सरकार थी, तब नेपाल का रुझान चीन की तरफ अधिक था।

चीन ने नेपाल को अपने पाले में खींचने के लिए कम्युनिस्ट सरकार के समय कई पावर प्लांट बनाए और कई पावर प्लांट बनाने में सहयोग किया। भारत ने नेपाल के साथ बिजली समझौता करने से पहले उसे चेतावनी दी थी कि वह उसके उन पावर प्लांट्स से बिजली नहीं खरीदेगा, जिन्हें चीनी मदद या चीनी निवेश या फिर नेपाल-चीन ज्वाइंट वैंचर में या फिर किसी चीनी कंपनी, कान्ट्रैक्टर द्वारा बनाया गया हो। क्योंकि भारत अब किसी भी ग्रुप में अपने माध्यम से चीन को कोई फायदा नहीं पहुंचाना चाहता। 

नेपाल में चीन और भारत की मदद से कई पनबिजली परियोजनाएं बनाई गई हैं। भारत नेपाल के उन बिजली घरों से बिजली खरीदता है जिन्हें भारतीय कांट्रैक्टरों ने बनाया है। चीन अपने निवेश के जरिए नेपाल से भारत का पत्ता साफ करने की फिराक में लगा हुआ है। भारत ने नेपाल के सामने अपना स्पष्ट रुख रखा, जिसके बाद नेपाल से भारत को कई और परियोजनाओं के लिए प्रस्ताव मिलने लगे हैं। 


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