मोदी अमरीका में किए वायदों को अब ठोस शक्ल दें

punjabkesari.in Friday, Oct 02, 2015 - 02:58 AM (IST)

(कल्याणी शंकर): प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अमरीका के 6 दिवसीय सफल दौरे, जो प्रधानमंत्री बनने के बाद उनका दूसरा था, के बाद इस सप्ताह भारत लौट आए हैं। यदि गत वर्ष उन्होंने ईस्ट कोस्ट तथा वाशिंगटन को लुभाया, इस बार वैस्ट कोस्ट तथा विशेषकर सिलिकॉन वैली की बारी थी, जहां बहुत से भारतीय अवसरों का इस्तेमाल कर रहे हैं और अरबपति बन गए हैं। इसके साथ ही लगभग 5 लाख भारतीय अमरीकी, जो अमरीका में दूसरा सबसे बड़ा समूह है, खाड़ी क्षेत्र में रहता है। इसलिए वैस्ट कोस्ट राजनीतिक तथा आर्थिक, दोनों तरह से महत्वपूर्ण है।

इस सप्ताह की उपलब्धियों में से एक यह रही कि भारत को संयुक्त राष्ट्र प्रमुख बान की मून द्वारा 70वीं आमसभा में भाग लेने आई हस्तियों के सम्मान में दिए गए लंच में ऊंचा स्थान मिला। मोदी आस्ट्रिया के राष्ट्रपति हेंज फिशर तथा नाइजीरिया के राष्ट्रपति मुहाम्मादु बुहारी के बीच बैठे थे।
 
दूसरी थी मोदी की अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ द्विपक्षीय बैठक, जो एक वर्ष में उनके साथ तीसरी मुलाकात थी। मोदी जानते हैं कि एक वर्ष से कुछ अधिक समय बाद उन्हें एक नए अमरीकी राष्ट्रपति से बातचीत करनी होगी लेकिन इसके बावजूद बैठक गर्मजोशी भरी थी जिसमें दोनों नेताओं ने एक-दूसरेको गले लगाया। मोदी की तीसरी शिखर बैठक से पूर्व बातचीत का रुख अमरीका के उपराष्ट्रपति जो बिडेनने कुछ दिन पूर्व यह कह कर निर्धारित कर दिया था कि ‘‘हमारा लक्ष्य भारत का सर्वश्रेष्ठ मित्र बनने का है।’’
 
मोदी के दौरे से पूर्व भारत ने बोइंग हैलीकाप्टरों के अरबों डालर के सौदे को स्वीकृति दे दी थी। ओबामा, जो अपने राष्ट्रपति काल के अंतिम वर्ष में दाखिल हो रहे हैं, आर्थिक एकीकरण, बाजारों तक बेहतर पहुंच के साथ-साथ दिसम्बर में पैरिस में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मिट के लिए भारत का समर्थन भी हासिल करना चाहेंगे।
 
मोदी के लिए निर्माण क्षेत्र हेतु अमरीकी निवेश प्राप्त करना तथा अमरीकी कम्पनियों से मिले कोष का इस्तेमाल स्वच्छ जल, स्वास्थ्य तथा साफ-सफाई के लिए करना प्राथमिकता के क्षेत्र हैं। मोदी ने शिखर बैठक का इस्तेमाल भारत के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए दावे को पेश करने के लिए किया। सबसे महत्वपूर्ण यह कि मोदी ने संयुक्त राष्ट्र शांति बैठक की मेज पर खुद को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का हाथ हिला कर अभिवादन करने तक सीमित रखा, जो कश्मीर मुद्दे का अन्तर्राष्ट्रीयकरण करने की जी-तोड़ कोशिश कर रहे हैं।
 
तीसरी थी न्यूयार्क में मोदी द्वारा जी4 सम्मिट की मेजबानी करना। जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल, जापानी प्रधानमंत्री शिंजो अबे तथा ब्राजीलियन राष्ट्रपति डिलमा रौसेफ, जो प्रस्तावित विस्तारित सुरक्षा परिषद में सीट के लिए चाहवान हैं, के साथ यह विशेष ‘हाई-पावर्ड’ कार्यक्रम एक अच्छा प्रयास है। उन सभी ने एक-दूसरे के दावे का समर्थन किया।
 
चौथी व सबसे महत्वपूर्ण, मोदी ने अपने पिछले दौरे में ‘अमरीका को जानने’ की बजाय इस बार अर्थव्यवस्था तथा व्यापार पर ध्यान केन्द्रित किया।उन्होंने न केवल वाल स्ट्रीट की बड़ी कम्पनियों को लुभाया बल्कि बड़ी आई.टी. तथा स्टार्टअप कम्पनियों के सी.ई.ओका से मिलने के लिए वैस्ट कोस्ट की यात्राभी की। न्यूयार्क में फार्चून 500 कम्पनियों के 42 सी.ई.ओका से उनकी बैठक के दौरान उन्होंने नम्रतापूर्वक मोदी को स्पष्ट बता दिया कि जब तक वे व्यापार में आसानी नहीं लाते, वे अपने अरबों डालर निवेश नहीं करेंगे।
 
हालांकि वैस्ट कोस्ट में कहानी अलग थी जहां वह पहली बार आई.टी. जायंट्स से मिले, जो भारत में निवेश करने की कुछ अच्छी योजनाओं के साथ आगे आए। मोदी को अपने महत्वाकांक्षी ‘डिजीटल इंडिया’ तथा ‘मेक इन इंडिया’ परियोजनाओं के लिए गर्मजोशी भरी प्रतिक्रियाएं मिलीं। भारत के लिए तकनीकी सहयोग हेतु प्रधानमंत्री की एप्पल के टिम कुक, फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग तथा इलैक्ट्रिक कार निर्माता टेस्ला के एलोन मस्क के साथ सतर्कतापूर्वक तैयार की गई बैठकें महत्वपूर्ण थीं।
 
सिलिकॉन वैली में गूगल द्वारा 500 रेलवे स्टेशनों पर वाई-फाई सेवा उपलब्ध करवाने का वायदा ग्रामीण भारत के लिए अत्यंत उत्साहवद्र्धक होगा। माइक्रोसॉफ्ट के सी.ई.ओ. एवं भारतवंशी सत्या नडेला ने भी भारत सरकार के साथ मिलकर देश के 5 लाख गांवों को कम लागत के ब्राडबैंड से जोडऩे का वायदा किया।
 
एप्पल के सी.ई.ओ. टिम कुक के साथ बैठक के दौरान मोदी ने एप्पल को भारत में निर्माण आधार स्थापित करने को आमंत्रित किया और यदि ऐसा होता है तो इससे स्थानीय तौर पर बहुत-सी नौकरियां उपलब्ध होंगी। मार्क जुकरबर्ग के साथ अपनी टाऊन हाल बैठक में मोदी ने बताया कि कैसे फेसबुक तथा सोशल मीडिया का इस्तेमाल सरकार के साथ जुडऩे के लिए भी किया जा सकता है। मोदी के वैस्ट कोस्ट के दौरे के प्रमुख उद्देश्यों में से एक था भारत में स्टार्टअप्स को प्रोमोट करना और इसे भी अच्छी प्रतिक्रिया मिली। कुल मिलाकर सिलिकॉन वैली से प्रारम्भिक प्रतिक्रिया गर्मजोशी भरी थी मगर इसे कार्रवाई में कैसे परिभाषित किया जाता है, यह आने वाले महीनों में दिखेगा।
 
एक अन्य उपलब्धि थी वैस्ट कोस्ट में मोदी का भारतीय अमरीकी समुदाय से सम्पर्क। पिछली बार वाशिंगटन तथा न्यूयार्क की तरह सैन जोस बैठक में भी भारतीय समुदाय ने उनकी लोकप्रियता को दिखाया।
 
अब जबकि मोदी वापस लौट आए हैं, यह समय है कि वह सिलिकॉन वैली तथा फार्चून 500 सी.ई.ओका के साथ किए गए वायदों को ठोस शक्ल दें। सबसे पहले उन्हें वैस्ट कोस्ट में हासिल की गई गति को आगे बढ़ाना और निवेश के लिए स्थितियां बनाना है।
 
दूसरा है सुधारों की गति को बढ़ाना और परिणाम दिखाना। बैंकिंग, कार्मिक तथा अन्य वित्तीय क्षेत्रों में सुधारों की जरूरत है। तीसरा है लालफीताशाही को कम करना और मंत्रियों को अपने स्तर पर तेजी से निर्णय लेने की आज्ञा देना, विशेषकर वे जो आॢथक मंत्रालयों के प्रमुख हैं। चौथा है मंत्रिमंडल में फेरबदल करना और कौशल को आगे लाना, यहां तक कि बाजार से भी तथा अकुशल मंत्रियों को हटाना।
 
सबसे बढ़कर घर पर कनैक्टिविटी, मूलभूत ढांचा, निर्माण, कौशल विकास तथा अर्थव्यवस्था में सुधार उनके कार्यों की सूची में शीर्ष पर होने चाहिएं।

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