देश में तेजी से बढ़ रहा ‘राजनीतिक हत्याओं का रुझान

punjabkesari.in Thursday, May 31, 2018 - 02:48 AM (IST)

’देश में कुछ समय से राजनीतिक हत्याएं काफी बढ़ गई हैं। पहले यह सिलसिला मुख्यत: दक्षिण भारत में केरल तक ही सीमित था परंतु कुछ वर्षों से देश के अन्य हिस्सों में भी राजनीतिक हत्याएं तेजी से होने लगी हैं : 

19 जनवरी को केरल के कन्नूर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकत्र्ता श्याम प्रसाद की हत्या कर दी गई। 13 फरवरी को केरल के कन्नूर में एक युवा कांग्रेस नेता की हत्या कर दी गई जिसका आरोप कांग्रेस ने माक्र्सी पार्टी के कार्यकत्र्ता शिहाईब पर लगाया। 22 अप्रैल को मुम्बई में कांदीवली के गोकुल नगर इलाके में 2 अज्ञात बदमाशों ने शिव सेना नेता सचिन सावंत को मार डाला। 

29 अप्रैल को महाराष्टï्र के अहमद नगर में 3 मोटरसाइकिल सवारों ने राकांपा के 2 कार्यकत्र्ताओं योगेश रालेभात और राजेश रालेभात पर अंधाधुंध गोलियां चला कर उन्हें मार डाला। 01 मई को उत्तर प्रदेश के दिनपुर गांव में 2 हमलावरों ने सपा नेता पर्वत सिंह यादव व उसके अंगरक्षक उमराव सिंह की हत्या कर दी। 05 मई को बंगाल में मालदा के कुमारगंज गांव में तृणमूल कांग्रेस के समर्थक नयन मंडल की गोली मार कर हत्या कर दी गई। इसका आरोप तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस पर लगाया। इससे एक दिन पहले इसी क्षेत्र के ‘झगड़ा पाथर’ गांव में एक कांग्रेस समर्थक की हत्या कर दी गई थी।

06 मई को अम्बाला छावनी के आर्मी एरिया में स्थित तोपखाना बाजार में भाजपा कार्यकत्र्ता संदीप गोयल की गोली मार कर हत्या कर दी गई। 07 मई को उत्तरी केरल के कन्नूर में राजनीतिक रंजिश के चलते एक घंटे के अंतराल में 2 राजनीतिक हत्याएं हुईं। पहले 8 लोगों के गिरोह ने माकपा कार्यकत्र्ता और पूर्व पार्षद ‘बाबू’ की हत्या कर दी और इसके आधे घंटे बाद ही 6 लोगों ने भाजपा कार्यकत्र्ता शेमाज को पीट-पीट कर मार डाला। 08 मई रात को 9.45 बजे इलाहाबाद के फूलपुर क्षेत्र में 4 मोटरसाइकिल सवार बदमाशों ने गोलियां मार कर लोचनगंज निवासी भाजपा सभासद पवन केसरी (40) की हत्या कर दी। इस सिलसिले में एक सपा नेता तथा अन्य के विरुद्ध पुलिस ने मामला दर्ज किया है। 

10 मई को वाराणसी के चौक थाना क्षेत्र के सिंधिया घाट में घात लगाकर बैठे 2 अज्ञात बदमाशों ने समाजवादी पार्टी तथा मल्लाहों के बड़े नेता प्रभु साहनी की गोलियां मार कर हत्या कर दी जब वह मंदिर से लौट रहे थे। 11 मई को बंगाल के 24 परगना जिले में ‘जामी रक्षा कमेटी’ के वर्कर हाफिजुल मल्लाह की गोली मार कर हत्या कर दी गई। 12 मई को बिहार की राजधानी पटना के अनीसाबाद में 10-15 बदमाशों ने एक विवाह समारोह से लौट रहे राजद नेता दीना गोप पर गोलियां चलाकर उनकी हत्या करने के अलावा 2 अन्य को घायल कर दिया। 

15 मई को जिला श्री मुक्तसर साहिब के गांव काऊनी के निकट पूर्व कांग्रेसी सरपंच व पूर्व ब्लाक समिति सदस्य जसविंद्र सिंह उर्फ शिंदा को अज्ञात व्यक्तियों ने दिन-दिहाड़े गोलियां मार कर मार डाला। 20 मई को मानसा के कैंचियां चौक में गांव जटाना कलां के निवासी कांग्रेसी नेता सुखविंद्र सिंह की 6 गोलियां मार कर हत्या कर दी गई। और अब 29 मई को देर शाम बिहार के गोपाल गंज में बदमाशों ने राजद समर्थित मुखिया ‘महातम चौधरी’ के घर में घुस कर मुखिया के साथ ही उनकी पत्नी और उनके दोनों बेटों को गोलियों से छलनी कर डाला जिससे मुखिया के एक बेटे सतेन्द्र यादव की अस्पताल में मृत्यु हो गई। 

उपरोक्त घटनाओं से स्पष्टï है कि हमारे देश में राजनीतिक हत्याएं किस कदर बढ़ गई हैं जबकि पहले ये मुख्यत: दक्षिण भारत के केरल में कांग्रेस, भाजपा, संघ तथा माकपा तक ही सीमित थीं तथा वर्ष दो वर्ष में कभी-कभार ही होती थीं। अब लगातार ऐसी घटनाओं का होना इस बात का प्रमाण है कि विभिन्न दलों में राजनीतिक असहनशीलता अत्यधिक बढ़ती जा रही है जो हमारे लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है।—विजय कुमार 


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Pardeep

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