सपा में चल रहा ‘घमासान’ ‘थमने वाला नहीं’

punjabkesari.in Tuesday, Oct 25, 2016 - 01:09 AM (IST)

इस समय देश के अनेक बड़े राजनीतिक दल भाजपा, कांग्रेस, बसपा, सपा, आप, पी.डी.पी., जद (यू), कम्युनिस्ट, राजद आदि भारी अंतर्कलह के शिकार हैं। भाजपा में नवजोत सिंह सिद्धू की नाराजगी और संघ के गोवा प्रमुख सुभाष वेलिंगकर ने संघ के विरुद्ध विद्रोह का झंडा बुलंद करते हुए अगले चुनावों में भाजपा को हराने के लिए नई पार्टी बना ली है।

उत्तर प्रदेश में ‘बसपा’ अंतर्कलह की शिकार है और यहां तक कि देश की ग्रैंड ओल्ड पार्टी ‘कांग्रेस’ में गुटबाजी जोरों पर है तथा अरविंद केजरीवाल की ‘आप’ भी इससे अछूती नहीं रही।

बंगाल पर 34 वर्षों तक शासन करने वाले कम्युनिस्टों का वाममोर्चा बिखराव का शिकार हो चुका है और इसमें भी दूसरी पाॢटयों जैसी कमियां  आ जाने के कारण यह भाकपा, माकपा, फारवर्ड ब्लाक, आर.एस.पी. आदि कई खेमों में बंटकर लगातार क्षरण का शिकार हो रहा है।

और अब अपनी स्थापना की रजत जयंती मनाने जा रही मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी में इन दिनों कलह चरम शिखर पर है। इसका पहला संकेत उस समय मिला जब अखिलेश ने मुख्तार अंसारी की पार्टी ‘कौमी एकता दल’ के सपा में विलय का विरोध किया और फिर भ्रष्टाचार के आरोप में अपने चाचा शिवपाल यादव के करीबी 2 मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया।

इसके बाद मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश से पार्टी के राज्याध्यक्ष का पद लेकर शिवपाल यादव को दे दिया जिस पर अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव से सभी महत्वपूर्ण विभाग छीन लिए। 

इस पर 15 सितम्बर को शिवपाल ने न सिर्फ मंत्री पद व सपा के प्रदेश प्रधान सहित सभी पदों से इस्तीफा दे दिया बल्कि अपनी पत्नी सरला और बेटे आदित्य से भी विभिन्न पदों से इस्तीफे दिलवा कर धमाका कर दिया।

बात इतनी बढ़ी कि मुलायम सिंह ने स्वयं यह मामला हाथ में लिया और शिवपाल का इस्तीफा नामंजूर करके और उनके समर्थक दोनों मंत्रियों की बर्खास्तगी रद्द करके अखिलेश और शिवपाल में युद्ध विराम तो करवा दिया परंतु यह युद्ध विराम हुआ नहीं तथा मुलायम सिंह यादव का परिवार गंभीर सत्ता संघर्ष में उलझ कर रह गया है।

मुलायम सिंह द्वारा ‘सी.एम. चेहरे’ के रूप में अखिलेश के नाम को आगे किए बिना उत्तर प्रदेश के चुनावों में उतरने की घोषणा से परिवार में कलह और बढ़ी। इस सारे घटनाक्रम और आपस में पत्र व्यवहार के चल पड़े सिलसिले के बीच पार्टी नेताओं ने 22 अक्तूबर को 4 अलग-अलग बैठकें कीं परंतु कोई परिणाम नहीं निकला।

23 अक्तूबर को सपा में चल रहा घमासान और तेज हो गया जब अखिलेश ने शिवपाल और उनके तीन साथी मंत्रियों की मंत्रिमंडल से छुट्टी कर दी और अमर सिंह की करीबी पूर्व अभिनेत्री जया प्रदा को भी उत्तर प्रदेश विकास परिषद से हटा दिया। 

दूसरी ओर शाम होते-होते मुलायम सिंह के आदेश पर शिवपाल यादव ने पार्टी के महासचिव और राष्ट्रीय प्रवक्ता रामगोपाल यादव को पार्टी से निष्कासित करने की घोषणा कर दी। इसके साथ ही जहां शिवपाल ने प्रो. रामगोपाल यादव पर घोटालों में फंसे अपने बेटे अक्षय यादव और बहू को बचाने के लिए भाजपा से सांठगांठ करने का आरोप लगाया, वहीं रामगोपाल यादव ने कहा कि मुलायम सिंह राक्षसों से घिर गए हैं।

बैठक में मुलायम सिंह ने अखिलेश से कहा कि शिवपाल तुम्हारे चाचा हैं इनसे गले मिलो। इसके बाद शिवपाल और अखिलेश गले तो मिले परंतु इसके तुरंत बाद दोनों में हाथापाई की नौबत आ गई और शिवपाल ने अखिलेश से माइक छीनते हुए कहा कि क्यों झूठ बोलते हो। दोनों के बीच इस कदर कटुता दिखाई दी कि सुरक्षा कर्मियों को दोनों को अलग करना पड़ा। 

कुल मिलाकर मुलायम सिंह परिवार का सत्ता संघर्ष और गहरा गया है और मुलायम के प्रयासों के बावजूद अखिलेश यादव तथा शिवपाल यादव के बीच मेलमिलाप होने की बजाय विवाद बढ़ गया है। इससे लगता है कि यह घमासान थमने वाला नहीं है और इसका भारी खामियाजा आगामी चुनावों में भुगतने के लिए मुलायम सिंह यादव तथा उनके परिवार को तैयार रहना होगा।     
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News