असद के रहते सीरिया में शांति असंभव

punjabkesari.in Monday, Apr 16, 2018 - 02:27 AM (IST)

अप्रैल, 2017 में खान शेखों कस्बे पर रासायनिक हमले में 80 लोगों के मारे जाने के बाद अमरीका ने सीरिया के रासायनिक हथियार बनाने के अड्डों को लक्ष्य बना कर हमले किए थे। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अनुसार इसका उद्देश्य रासायनिक हथियारों के निर्माण, विस्तार तथा प्रयोग को मजबूती से रोकना था ताकि भविष्य में कोई ऐसा करने का प्रयास न करे। 

हाल ही में 14 अप्रैल को सीरिया की असद सरकार द्वारा अपने ही लोगों पर दोबारा रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल के बाद सीरियाई रासायनिक ठिकानों पर अमरीकी हमले पिछली बार से कुछ अलग और अधिक शक्तिशाली थे। ये हमले 3 गुणा अधिक ताकत से ही नहीं हुए, इस बार ट्रंप ने पुराने अमरीकी सहयोगी राष्ट्रों यूनाइटेड किंगडम तथा फ्रांस को भी साथ लिया। इन देशों ने भी सीरिया में हमले किए हैं। कनाडा, तुर्की जैसे अन्य कई देशों का भी उन्हें समर्थन है परंतु संयुक्त राष्ट्र के सैक्रेटरी जनरल एंटोनियो गुटेरेस को इस बात पर एतराज है कि युद्ध तथा शांति के इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र को सूचित नहीं किया गया। 

हालांकि, मूल प्रश्न वहीं का वहीं बरकरार है कि क्या ये हमले फिर से रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल करने से असद को रोक सकेंगे? अमरीका के पास अन्य संसाधनों के अलावा भूमध्य सागर में गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर यू.एस.एस. डोनाल्ड कोर्क तथा खाड़ी में तैनात जंगी बेड़ों पर बड़ी संख्या में लड़ाकू जहाज हैं।

एयरक्राफ्ट कैरियर यू.एस.ए. हैरी एस. ट्रूमन के नेतृत्व में एक स्ट्राइक ग्रुप भी भूमध्य सागर की ओर बढ़ रहा है। अमरीकी नौसेना ने यह पुष्टि भी की है कि 2000 अमरीकी सैनिक भी इस वक्त सीरिया में हैं। साइप्रस में यू.के. के सुपरसोनिक टोर्नैडो तैनात हैं और इलाके में 10 रीपर ड्रोन्स के अलावा फ्रांस की मिसाइलें भी तैनात हैं। यूनाइटेड किंगडम नहीं चाहता कि असद सत्ता से हटे परंतु रूस की मौजूदगी हालात को और सुलगा सकती है। कुछ का मानना है कि असद अभी भी मजबूत है और उसके रहते सीरिया में शांति बहाल नहीं हो सकती। 


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Pardeep

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