आतंकवाद के वित्त पोषण पर पाकिस्तान को लगा एक बड़ा झटका

punjabkesari.in Saturday, Aug 24, 2019 - 12:54 AM (IST)

पाकिस्तान के शासकों में इन दिनों भारत विरोधी उन्माद पूरे यौवन पर है और विश्व समुदाय द्वारा नई दिल्ली के साथ बातचीत द्वारा अपनी समस्याएं सुलझाने के दबाव को भी अनसुना करते हुए पाकिस्तानी शासक ‘मैं न मानूं’ की रट लगाए हुए हैं। इसी का परिणाम है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने यह कहते हुए भारत से बातचीत के दरवाजे बंद कर दिए कि ‘‘भारत के साथ बातचीत का कोई लाभ नहीं है। अब ऐसा कुछ नहीं बचा है जो हम कर सकते हैं।’’ 

इस बीच 2 दिवसीय दौरे पर 22 अगस्त को फ्रांस पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वहां रहने वाले मुसलमानों द्वारा भारी स्वागत और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाने से भी पाकिस्तानी शासक तिलमिला उठे हैं और पाकिस्तान के एक मंत्री फवाद चौधरी हुसैन ने तो ट्विटर पर यहां तक लिख दिया कि ‘‘कितने पैसे लगे इस ड्रामे पर?’’ 

बहरहाल भारत सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 रद्द करने पर तिलमिलाए पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के वित्त पोषण की निगरानी करने वाली संस्था ‘फाइनैंशियल एक्शन टास्क फोर्स’ (FATF) ने बड़ा झटका दे दिया है। गत वर्ष जून 2018 से अमरीका, फ्रांस, जर्मनी व इंगलैंड के दबाव के बाद (FATF) ने पाकिस्तान को अपनी संदिग्ध सूची अर्थात ‘ग्रे लिस्ट’ में डाल दिया था व अब एफ.ए.टी.एफ. के एशिया पैसिफिक ग्रुप (ए.पी.जी.) ने टैरर फंडिंग व ‘आतंकियों के वित्त पोषण और मनी लांङ्क्षड्रग को रोकने में असमर्थ रहने पर’ पाकिस्तान को डाऊन ग्रेड कर 23 अगस्त को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया है। 

ए.पी.जी. द्वारा पाकिस्तान को ‘ब्लैक लिस्ट’ में डालने का मतलब यह है कि वह लांड्रिंग और टैरर फाइनैंसिंग के विरुद्ध युद्ध में सहयोग नहीं कर रहा है। अब पाकिस्तान अक्तूबर में ‘ब्लैक लिस्ट’ हो सकता है क्योंकि एफ.ए.टी.एफ. के 27 सूत्रीय एक्शन प्लान की 15 महीने की अवधि इस साल अक्तूबर में समाप्त हो रही है। ए.पी.जी. के इस पग के बाद अब पाकिस्तान के एफ.ए.टी.एफ. के ‘ग्रे लिस्ट’ से निकलने की संभावना और कम हो गई है। 

अक्तूबर, 2019 से पाकिस्तान को नकारात्मक राडार पर रखा जाएगा। वह संदिग्ध सूची में बना रहेगा। उसे संभवत: काली सूची में डालने की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी जिससे उसकी अर्थव्यवस्था चरमरा सकती है। उसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, ए.डी.बी. तथा यूरोपियन यूनियन जैसी संस्थाओं से ऋण मिलना कठिन हो जाएगा। इसके अलावा फिच, मूडीस व स्टैंडर्ड एंड पूअर्स जैसी एजैंसियां उसकी रेटिंग भी घटा सकती हैं। एफ.ए.टी.एफ. और ए.पी.जी. की यह संयुक्त कार्रवाई पाकिस्तान के लिए एक सबक है कि यदि उन्होंने अब अपने तौर-तरीके न बदले तो संभवत: उन्हें अपने ऊपर विश्व समुदाय द्वारा लगाने वाले प्रतिबंधों के चक्रव्यूह से निकलना मुश्किल हो जाएगा।—विजय कुमार 


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