जेलें हो रही हैं अव्यवस्था की शिकार गुरदासपुर जेल में कैदियों ने किया हंगामा

punjabkesari.in Friday, Mar 15, 2024 - 04:20 AM (IST)

भारतीय जेलों में कैदियों से मोबाइल फोनों की बरामदगी, गैंगवारों में हत्या और नशों आदि की बरामदगी आज आम बात हो गई है। इसके परिणामस्वरूप भारतीय जेलें आज ‘सुधार घर’ की बजाय ‘बिगाड़ घर’ बन कर रह गई हैं। यह समस्या कितना गंभीर रूप धारण कर चुकी है, यह निम्न उदाहरणों से स्पष्ट है :

  • 26 फरवरी, 2023 को गोइंदवाल साहिब (पंजाब) की केंद्रीय जेल में गैंगस्टरों के 2 गिरोहों के बीच गैंगवार के परिणामस्वरूप 2 गैंगस्टर मारे गए। 
  • 7 अक्तूबर, 2023 को पटियाला (पंजाब) सैंट्रल जेल में बाहर से फैंकी तम्बाकू की पुडिय़ां हासिल करने के लिए कैदियों के 2 गुटों में हुई खूनी झड़प में 6 कैदी घायल हो गए। 
  • 3 दिसम्बर, 2023 को धनबाद (झारखंड) की सैंट्रल जेल में बंद 4 लोगों की हत्या के आरोपी उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर अमन सिंह की विरोधी गुट के कैदियों नेे 7 गोलियां मार कर हत्या कर दी।
  • 23 दिसम्बर, 2023 को अमरावती (महाराष्ट्र) की केंद्रीय जेल में कैदियों के 2 गुटों के बीच मारपीट के परिणामस्वरूप एक गुट ने दूसरे गुट के कैदी को घेर कर बुरी तरह पीटकर गंभीर रूप से घायल कर दिया। 
  • 20 फरवरी, 2024 को अजमेर (राजस्थान) की केंद्रीय जेल में किसी विवाद को लेकर 2 कैदियों ने एक हैडकांस्टेबल और कांस्टेबल पर लोहे की छड़ों से हमला कर दिया। इसके परिणामस्वरूप वे दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए और इसी दौरान कैदियों के गुटों में जारी ङ्क्षहसक लड़ाई के परिणामस्वरूप एक कैदी के सिर पर चोट लगने से उसकी मौत हो गई। 
  • 26 फरवरी, 2024 को लुधियाना (पंजाब) की सैंट्रल जेल में मोबाइल फोन के इस्तेमाल को लेकर कैदियों के 2 गुटों के बीच लड़ाई के परिणामस्वरूप 2 कैदी गंभीर रूप से घायल हो गए।
  • 5 मार्च, 2024 को हाजीपुर (बिहार) क ी जेल में कैदियों के 2 गुटों के बीच खूनी झड़प के परिणामस्वरूप हत्या के मामले में जेल में बंद एक कैदी अशोक राय की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई।
  • और अब 14 मार्च को गुरदासपुर (पंजाब) स्थित केंद्रीय जेल में बंद कैदियों ने अपनी मांगों को लेकर कुछ दिनों से व्याप्त नाराजगी तथा तकरार के बाद जेल कर्मचारियों पर हमला कर दिया। 

कैदियों ने छत पर पड़े कुछ कपड़ों को आग भी लगा दी। इस दौरान पत्थरबाजी व तोड़-फोड़ के कारण धारीवाल थाने के प्रमुख सहित 4 पुलिस कर्मचारी तथा कुछ कैदी घायल हो गए जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। स्थिति बिगड़ती देख बाहर के जिलों से पुलिस फोर्स बुलानी पड़ी तथा कैदियों को रोकने के लिए सुरक्षा कर्मियों को आंसू गैस के गोले भी छोडऩे पड़े। घटना की सूचना मिलते ही उच्चाधिकारी फोर्स सहित मौके पर पहुंच गए और हालात काबू में न आने के कारण जेल के आसपास अद्र्धसैनिक सुरक्षा बल भी तैनात किए गए।

देर शाम तक स्थिति तनावपूर्ण बनी रही। अंतत: उच्च अधिकारियों ने कैदियों के साथ बातचीत करके उनको शांत किया। अधिकारियों ने उनकी कठिनाइयां और मांगें सुनीं जिसके अंतर्गत कैदियों ने चिकित्सा सुविधाओं के अभाव, जेल में कैदियों की संख्या अधिक होने, उनके साथ अनुचित व्यवहार किए जाने तथा अन्य शिकायतें बताईं। अधिकारियों द्वारा 3 दिनों में उनकी समस्याएं हल करने का आश्वासन देने के अलावा इस मामले की मैजिस्ट्रेट जांच करवाने और उसकी रिपोर्ट के अनुसार कार्रवाई करने का आश्वासन देने के बाद मामला शांत हुआ।

स्वतंत्रता के बाद से देश में जेलों के सुधार के लिए अनेक कमेटियां गठित की गईं परंतु लगभग सभी के सुझाव ठंडे बस्ते में डाल दिए जाने के कारण जेलों का हाल लगातार बुरा होता चला गया है। बड़ी संख्या में मुकद्दमे लंबित रहने के कारण भी जेलों में कैदियों की संख्या बढ़ती जा रही है जिनमें बड़ी संख्या विचाराधीन कैदियों की है जो जेलों में भीड़ बढऩे से होने वाले उपद्रवों का बड़ा कारण है।

अत: जहां मुकद्दमों के जल्दी निपटारे के लिए अदालतों में जजों के खाली पद बिना देर किए भरना तथा नई जेलों का निर्माण जरूरी है, वहीं गैंगवार और हिंसा जैसी बुराइयां रोकने के लिए बेहतर सुरक्षा प्रबंधों, कैदियों पर नजर रखने के लिए सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाने, जेलों में मोबाइल आदि ले जाने और इनका इस्तेमाल रोकने के लिए तुरंत जैमर लगाना भी जरूरी है। -विजय कुमार


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