''भारत के विरुद्ध जहर उगलने के बजाय'' ''कुरैशी(पाक विदेश मंत्री) अपने घर पर ध्यान दें''

punjabkesari.in Tuesday, Jun 22, 2021 - 05:47 AM (IST)

अस्तित्व में आने के समय से ही पाकिस्तान कुशासन, लाकानूनी, गरीबी, पिछड़ेपन जैसी समस्याओं से घिरा हुआ है और अब कंगाली के कगार पर पहुंच गया है। भारी महंगाई से लोगों की कमर टूट गई है। लाहौर में एक रोटी की कीमत 10 रुपए से भी बढ़ गई है जबकि 20 किलो आटे का पैकेट 860 रुपए से बढ़कर 1070 रुपए हो गया है। मई महीने में देश में महंगाई दर 10.9 प्रतिशत के शिखर पर तथा चिकन 60 प्रतिशत, अंडे 55 प्रतिशत, सरसों का तेल 31 प्रतिशत महंगे हो गए। 

ऐसे हालात के बीच विरोधी दलों ने इमरान सरकार के विरुद्ध मोर्चा खोल रखा है तथा देश के 11 विरोधी दलों द्वारा प्रधानमंत्री के विरुद्ध आंदोलन के कारण इमरान खान की सत्ता पर पकड़ ढीली होती जा रही है। गत 4 मार्च को सिंध विधानसभा के अधिवेशन के दौरान पाकिस्तान में सत्तारूढ़ पार्टी ‘पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ’ (पी.टी.आई.) के सदस्य आपस में ही उलझ पड़े व एक-दूसरे पर जम कर लात-घूंसे चलाए। माहौल इतना बिगड़ गया कि महिला नेताओं को वहां से इज्जत बचाकर भागना पड़ा। 

15 जून को नैशनल एसैंबली में बजट पर चर्चा के दौरान सत्तारूढ़ व विरोधी दलों के सांसदों ने एक-दूसरे से धक्कामुक्की की और मां-बहन की गंदी-गंदी गालियां तक दीं। यहां तक कि ‘तहरीक-ए-इंसाफ’ के सांसदों ने अपनी ही सरकार के बजट की प्रतियां एक-दूसरे पर फैंकीं। इसके 4 ही दिन बाद 19 जून को ब्लूचिस्तान विधानसभा में बजट सत्र के दौरान विरोधी दलों के सदस्यों ने पूरे सदन को घेर कर सभी दरवाजे अंदर से बंद कर दिए और मुख्यमंत्री ‘जाम कमाल’ के साथ हाथापाई करने के अलावा जूते, चप्पल और पानी की बोतलें फैंकीं। 

एक ओर पाकिस्तान में घरेलू हालात इस कदर बिगड़े हुए हैं तो दूसरी ओर सरकार के ही कुछ नेता अपने विवादास्पद बयानों और कृत्यों से देश-विदेश में पाकिस्तान की हेठी करवाने के साथ-साथ इसकी समस्याएं बढ़ा रहे हैं। इनमें से एक हैं वहां के विदेश मंत्री ‘शाह महमूद कुरैशी’। 6 अगस्त, 2020 को कुरैशी ने सऊदी अरब के नेतृत्व वाले ‘इस्लामिक सहयोग संगठन’ (ओ.आई.सी.) को ‘सत्त चेतावनी’ देते हुए कह दिया कि ‘‘यदि आप कश्मीर मुद्दे पर भारत के विरुद्ध कड़ा रुख नहीं अपनाते और इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते तो मैं प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व में उन इस्लामिक देशों की बैठक बुलाने के लिए मजबूर हो जाऊंगा, जो कश्मीर के मुद्दे पर हमारे साथ खड़े होने को तैयार हैं।’’ 

हमेशा पाकिस्तान की मदद को तैयार रहने वाले सऊदी अरब के शासक कुरैशी के उक्त बयान से भड़क उठे और उन्होंने पाकिस्तान से स तीपूर्वक अपना कर्जा तुरंत लौटाने की मांग शुरू कर दी, जिस पर पाकिस्तान को अब चीन से कर्ज लेकर सऊदी अरब का कर्ज चुकाना पड़ रहा है।अब 18 जून को शाह महमूद कुरैशी ने एक बार फिर आतंकवादी संगठन तालिबान को ङ्क्षहसा के लिए जि मेदार मानने से इंकार करके और उसे ‘शांतिदूत’ बताकर बखेड़ा खड़ा कर दिया है। 

कुरैशी ने तो भारत पर ही अफगानिस्तान से आतंकवादी गतिविधियां चलाने का आरोप तक लगा दिया और अफगानिस्तान में भारत की उपस्थिति पर चिंता जताते हुए कहा, ‘‘भारत और अफगानिस्तान के बीच कोई सीमा सांझी नहीं है। फिर भी इन दोनों देशों के बीच इतने घनिष्ठï संबंध क्यों हैं?’’ 

अगले ही दिन 20 जून को कुरैशी ने दावा किया कि वह तो भारत से सुलह करना चाहते थे लेकिन भारत ने ही अपना नजरिया नहीं बदला और संबंधों को खराब करने वाले काम किए। इसी दिन कुरैशी ने एक बार फिर तालिबान का बचाव करते हुए कहा कि तालिबान को अफगानिस्तान में सुरक्षा बलों और नागरिकों पर हमलों के लिए जि मेदार मानना अतिशयोक्ति होगी। 

विदेश मंत्री कुरैशी के उक्त बयानों से स्पष्ट है कि ऐसा करके वह मुसीबतों के पहाड़ तले दबी अपनी सरकार की परेशानियां और बढ़ा रहे हैं। जानकारों का कहना है कि जब तक इमरान सरकार में ऐसे मंत्री मौजूद रहेंगे, इसे अपनी जड़ें खोदने के लिए बाहर से कोई दुश्मन ढूंढने की जरूरत नहीं है।

कुरैशी जैसे नेताओं के कारण ही आजादी के 73 वर्ष बाद भी पाकिस्तान विकास के मामले में पिछड़ा हुआ है जबकि 24 वर्ष बाद 1971 में पाकिस्तान से ही अलग होकर बना बंगलादेश विकास में उससे कहीं आगे निकल गया है। अत: बेहतर होगा यदि कुरैशी भारत के विरुद्ध जहर उगलने की बजाय अपना घर संभालने पर ध्यान दें। ऐसा नहीं करने पर पाकिस्तान का पतन इसी तरह जारी रहेगा।—विजय कुमार 
 


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