सहयोगी दलों में बढ़ रही ‘नाराजगी’ ‘भाजपा नेतृत्व हल्के से न ले’
punjabkesari.in Thursday, Mar 22, 2018 - 03:00 AM (IST)
इस समय देश की ‘ग्रैंड ओल्ड पार्टी’ कांग्रेस हाशिए पर और भाजपा सफलता के शिखर पर है जिसने अपने सहयोगी दलों के साथ केंद्र सहित 21 राज्यों में देश के 75 प्रतिशत हिस्से और 68 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या पर शासन स्थापित कर लिया है।
फिलहाल इसे किसी बड़े दल से तो चुनौती मिलती दिखाई नहीं देती, अलबत्ता कुछ सहयोगी दल भाजपा नेतृत्व सेे नाराज नजर आ रहे हैं। हाल ही में भाजपा के तीन सहयोगी दलों ने इससे किनारा करने की घोषणा की है जिनमें बिहार में ‘हम’ और आंध्र प्रदेश में ‘तेदेपा’ तथा महाराष्ट्र में ‘शिवसेना’ शामिल हैं। अब इस शृंखला में उत्तर प्रदेश में सहयोगी ‘सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी’ के अध्यक्ष एवं कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने योगी आदित्यनाथ की सरकार पर गठबंधन धर्म का पालन न करने का आरोप लगाया है।
18 मार्च को एक रैली में भाजपा नेताओं पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा,‘‘सरकार का ध्यान सिर्फ मंदिरों पर केन्द्रित है न कि गरीबों के कल्याण पर। ये लोग 325 सीटें लेकर पागल होकर घूम रहे हैं।’’ ‘‘गोरखपुर और फूलपुर में भाजपा इसलिए हारी क्योंकि इसने अपनी पिछली विजयों के बाद गरीब मतदाताओं को भुला दिया।’’ सपा और बसपा सहित भाजपा का नाम लेते हुए उन्होंने गरीबों से कभी भी ‘अमीर पाॢटयों’ को वोट न देने की अपील करते हुए कहा, ‘‘दिल्ली और लखनऊ की सरकारों ने गरीबों की उसी प्रकार उपेक्षा कर दी जिस प्रकार राम अपने लिए लडऩे वाले बेचारे वानरों को भूल गए।’’ ‘‘भगवान (राम) वानरों को पीछे छोड़ कर पुष्पक विमान पर सवार होकर अयोध्या चले गए...उसी प्रकार जिन नेताओं को आपने वोट दिए वे आप पर शासन करने के लिए दिल्ली और लखनऊ की उड़ान भर गए।’’
‘‘योगी सरकार में भ्रष्टाचार शिखर पर है। सरकार गरीबों को शौचालय और मकान बनाने के लिए धन देती है परन्तु यह लाभ प्राप्त करने के लिए 2000 से 20,000 रुपए तक रिश्वत देनी पड़ती है। जब कभी भी मैंने भ्रष्टïाचार बारे योगी आदित्यनाथ से बात करनी चाही, उन्होंने कहा कि वह इसे देखेंगे और अब लोगों ने उन्हें उप चुनावों में दिखा दिया है।’’ ओम प्रकाश राजभर की भांति ही बिहार की लोक जनशक्ति पार्टी के नेता व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने 18 मार्च को भाजपा नेतृत्व को सलाह देते हुए कहा कि, ‘‘इसे समाज के सभी वर्गों का विश्वास प्राप्त करने व अल्पसंख्यकों के प्रति अपनी अवधारणा बदलने की जरूरत है।’’ इससे पूर्व 17 मार्च को भी पासवान ने कांग्रेस पार्टी का उदाहरण देते हुए कहा था कि ‘‘इसने कई दशकों तक समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर देश पर शासन किया।’’ उन्होंने सीनियर पार्टनर भाजपा के नेतृत्व को सलाह दी कि वे ‘सबका साथ सबका विकास’ नारे को अमलीजामा पहनाए।
जहां बिहार में जीतन राम मांझी की ‘हम’ द्वारा भाजपा से जुदा होने के बाद पासवान की टिप्पणी को खतरे की घंटी के रूप में देखा जा रहा है, वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी 20 मार्च को केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के उक्त बयान का समर्थन किया और कहा कि, ‘‘भाजपा को अल्पसंख्यकों के प्रति अपनी धारणा बदलनी होगी। पासवान बहुत सीनियर नेता हैं। उन्होंने बहुत सोचने के बाद यह बात कही होगी।’’ परोक्ष रूप से भाजपा पर निशाना साधते हुए नीतीश कुमार ने दो टूक कहा कि भले ही वह किसी भी गठबंधन के साथ रहें परंतु उनकी मूल अवधारणा में परिवर्तन नहीं हुआ है। वह भ्रष्टाचार और समाज को तोडऩे एवं विभाजित करने वाली नीति से समझौता नहीं कर सकते।
उप चुनावों में पराजय और सहयोगी दलों की नाराजगी के बीच ओम प्रकाश राजभर, रामविलास पासवान और नीतीश कुमार के बयान भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से उनकी शिकायतों पर आत्ममंथन करने की मांग करते हैं। यह एक चेतावनी है कि भाजपा नेतृत्व गलतफहमी में न रहे। यदि सहयोगी दलों की नाराजगी बढ़ती चली गई तो वे इसका साथ छोड़ भी सकते हैं और इसका खमियाजा भाजपा को ही आखिर में भुगतना पड़ेगा।—विजय कुमार