‘पैसा दो और मजा लो!’ अपराधियों के लिए ‘जन्नत बन रही हमारी जेलें’

punjabkesari.in Thursday, Dec 05, 2019 - 02:40 AM (IST)

हमारी जेलें वर्षों से घोर कुप्रबंधन की शिकार हैं। ये क्रियात्मक रूप से ‘सुधार घर’ की बजाय ‘बिगाड़ घर’ तथा अपराधियों द्वारा अपनी अवैध गतिविधियां चलाने के ‘सरकारी हैडक्वार्टरों’ में तबदील हो गई हैं। जिस प्रकार उत्तर प्रदेश और बिहार में अधिकारियों की मिलीभगत से जेलों में बंद दबंग नेताओं को अपना दरबार तक लगाने और अपनी रातें रंगीन करने की सुविधा मिलती है, उसी प्रकार पंजाब की जेलों में भी जेल अधिकारियों की सांठगांठ से नशे व अन्य प्रतिबंधित चीजें उपलब्ध होने के अलावा अन्य सुविधाएं भी एक निश्चित रकम के बदले में उपलब्ध की जा रही हैं।

यहां पैसे और पावर के आगे सब कुछ फीका पड़ जाता है। अक्तूबर, 2018 में संगरूर जेल की एक कोठरी से एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें दिखाया गया था कि अधिकारियों को रिश्वत देकर मोबाइल फोन व अन्य सुविधाएं वहां उपलब्ध हैं। हाल ही में पंजाब सरकार ने संगरूर, रोपड़, मालेरकोटला, नाभा के 5 जेल अधिकारियों को आई.जी. कुंवर विजय प्रताप की जांच रिपोर्ट पर निलंबित किया है। संगरूर जिला जेल वीडियो स्कैंडल के अनुसार कैदियों के एक समूह को 10,000 रुपए या उससे अधिक की अदायगी पर मोबाइल सैट और हॉट स्पॉट या डोंगल उपलब्ध किया जाता था जिससे 5 या अधिक कैदी वाई-फाई की सुविधा प्राप्त कर सकते थे। 

जांच रिपोर्ट के अनुसार 25,000 रुपए से 1 लाख रुपए मासिक तक देने पर जेल में रहने की आरामदेह और सुरक्षित अच्छी जगह, स्पैशल भोजन और यहां तक कि भोजन पकाने की सुविधा भी उपलब्ध थी। इसके विपरीत मांगी गई राशि देने में असमर्थ रहने वालों को 2-2, 3-3 कैदियों वाली छोटी कोठरियों में ठूंस दिया जाता था। एक कोठरी में 7 कैदी रखे गए जबकि 16 कैदियों को 5 कोठरियों में रखा गया, हालांकि 2 कोठरियां खाली पड़ी थीं। जांच रिपोर्ट के अनुसार ऐसा कैदियों से रुपए वसूलने के लिए किया गया। 

उक्त रिपोर्ट से स्पष्ट है कि हमारी जेलों में भ्रष्टाचार किस कदर बढ़ गया है। जब तक यह भ्रष्टाचार दूर नहीं होगा तब तक जेलों की व्यवस्था सुधरने वाली नहीं है। उनमें बंद दबंग कैदी कानून की धज्जियां उड़ाते रहेंगे और जनता उनके दुष्कृत्यों की चक्की में पिसती रहेगी।—विजय कुमार 


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