जो कुछ राजस्थान में हो रहा है इससे लोकतंत्र को बढ़ रहा है खतरा

punjabkesari.in Wednesday, Jul 15, 2020 - 02:54 AM (IST)

कांग्रेस नेताओं के बार-बार आग्रह के बावजूद 13 जुलाई को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आवास पर हुई विधायक दल की बैठक में सचिन पायलट नहीं पहुंचे। वहां गहलोत के साथ लगभग 97 विधायक थे। गहलोत ने बैठक के बाद विजयी मुद्रा दिखाई जिसे उनके शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा गया और कांग्रेस ने दावा किया कि गहलोत सरकार को कोई खतरा नहीं है। उसी दिन बैठक के बाद गहलोत ने अपने समर्थक विधायकों को अपने आवास से सीधे एक रिसोर्ट में शिफ्ट करवा दिया। 

उधर, पायलट खेमे की ओर से 13 जुलाई को देर रात जारी एक वीडियो में 15-16 विधायक बैठे दिखाई दिए जिन्हें पायलट के समर्थक बताया गया परन्तु यह नहीं बताया गया कि ये तस्वीरें कहां की हैं। वीडियो में सचिन पायलट भी नजर नहीं आ रहे थे। सचिन पायलट ने लगभग 30 विधायकों का समर्थन प्राप्त होने का दावा किया था लेकिन उनकी ओर से अभी तक इसका कोई प्रमाण नहीं दिया गया। परन्तु वह लगातार दावा कर रहे हैं कि गहलोत सरकार बहुमत खो चुकी है। 14 जुलाई को एक बार फिर हुई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में न आने वाले सचिन पायलट तथा उनके साथियों के विरुद्ध कड़ा रुख अपनाया गया तथा कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुर्जेवाला के अनुसार सचिन पायलट को राज्य के उपमुख्यमंत्री पद व राज्य कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है। 

यही नहीं, सचिन पायलट के साथ जाने वाले 2 मंत्रियों विश्वेन्द्र सिंह और रमेश मीणा के अलावा राजस्थान युवा कांग्रेस के अध्यक्ष मुकेश भाकर, राजस्थान प्रदेश कांग्रेस सेवा दल के अध्यक्ष राकेश पारीक तथा 2 अन्य विधायकों को भी उनके पदों से हटा दिया गया है। मुकेश भाकर ने 13 जुलाई को गहलोत पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया था कि ‘‘हमें गहलोत की गुलामी मंजूर नहीं है। जिंदा हो तो जिंदा नज़र आना जरूरी है। असूलों पर आंच आए तो टकराना जरूरी है। कांग्रेस में निष्ठा का मतलब है अशोक गहलोत की गुलामी। वह हमें मंजूर नहीं।’’ राजनीतिक क्षेत्रों में इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है कि कांग्रेस ने सिर्फ सचिन समर्थक 3 मंत्रियों तथा 2 विधायकों को ही हटाया है जबकि सचिन समर्थक शेष विधायकों पर हाथ नहीं डाला। 

उपमुख्यमंत्री पद और राज्य कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद अपनी प्रथम प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सचिन पायलट ने ट्वीट किया, ‘‘सत्य को परेशान किया जा सकता है पराजित नहीं।’’ इसके साथ ही उन्होंने अपने ट्विटर प्रोफाइल से ‘उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष’  का उल्लेख भी हटा दिया है। इस बीच अशोक गहलोत ने आरोप लगाया है कि भाजपा 6 महीनों से उनकी सरकार को अस्थिर करने की साजिश करती आ रही थी और सचिन पायलट इसमें शामिल थे। सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस में हुए इस विद्रोह में भारतीय जनता पार्टी एक अवसर तलाश कर रही है।भाजपा नेता ओम माथुर ने तो बयान भी जारी कर दिया है कि ‘‘सचिन पायलट के लिए भाजपा के दरवाजे खुले हैं।’’  वहीं भाजपा की पूर्व सहयोगी रही शिव सेना ने राजस्थान के राजनीतिक संकट के लिए भाजपा नेतृत्व की आलोचना की है। 

शिव सेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में लिखा है कि ‘‘राजग का घटक दल कांग्रेस शासित राज्य में अपने विरोधियों को अस्थिर करने का काम कर रहा है और विधायकों की खरीद-फरोख्त को बढ़ावा दे रहा है। रेगिस्तान में राजनीतिक उपद्रव से तूफान पैदा करके भाजपा क्या हासिल करना चाहती है? ऐसे कदम देश के संसदीय लोकतंत्र को रेगिस्तान में बदल देंगे।’’ इस समय जबकि देश एक ओर चीन तथा अन्य पड़ोसी देशों की ओर से चुनौतियों का सामना कर रहा है तथा दूसरी ओर देश में कोरोना महामारी एवं अन्य प्राकृतिक आपदाओं का प्रकोप जारी है, ऐसे हालात में अपने तमाम मतभेद भूल एकजुट होकर देश को दरपेश इन संकटों का सामना करने की जरूरत है न कि आपस में कलह और एक-दूसरे के विरुद्ध षड्यंत्र रचने की। ऐसा करना लोकतंत्र के लिए घातक सिद्ध होगा।-विजय कुमार 


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