अपनों के ही हाथों हो रही बेटियों की हत्या

punjabkesari.in Saturday, Sep 28, 2019 - 02:13 AM (IST)

बेशक केंद्र सरकार ने बालिकाओं के संरक्षण और उनके सशक्तिकरण के लिए 22 जनवरी, 2015 को ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना आरंभ की थी परंतु अभी यह योजना अपने लक्ष्य से बहुत दूर है। इसका प्रमाण है देश में रोज हो रही कन्याओं की हत्याएं। एक ओर गर्भ में पल रही बेटियों को जन्म से पहले ही मारा जा रहा है तो दूसरी ओर सामाजिक रुढिय़ों और मजबूरियों के नाम पर माता-पिता और रिश्तेदार अपने ही हाथों से अपनी बेटियों की जान ले रहे हैं जिसके चंद ताजा उदाहरण निम्र में दर्ज हैं : 

04 सितम्बर को हरियाणा में कैथल के गांव कुलतारण में मात्र 10 दिन की मासूम को उसकी दादी अपनी बहू की गोद से नहलाने के लिए बोल कर ले गई और कुछ समय बाद जब वह बच्ची को वापस लाई तो उसकी मौत हो चुकी थी। इस बारे पुलिस ने मृतक बच्ची की मां की शिकायत पर उसकी सास बिमला, पति सोनू और जेठ के विरुद्ध हत्या के आरोप में केस दर्ज किया है। 10 सितम्बर को महाराष्टï्र के पुणे में श्वेता पाटिल नामक महिला ने अपनी 6 वर्षीय बेटी अक्षरा की कलाई काट कर उसकी जीवन लीला समाप्त कर दी। 

10 सितम्बर को दिल्ली के द्वारका में बेटी के जन्म से अप्रसन्न मुकेश नामक  व्यक्ति ने पत्नी से झगड़ कर अपनी 21 दिन की बेटी की हत्या कर दी। 18 सितम्बर को गोवा के एक गांव में ‘एजिया एविस रोड्रिग्ज’ नामक महिला ने सास से झगड़े के बाद गुस्से में आकर अपनी 2 वर्ष की बेटी को मार डाला। 18 सितम्बर को उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में पत्नी से विवाद के चलते माया राम नामक व्यक्ति अपनी अढ़ाई मास की बेटी की गला घोंट कर हत्या करने के बाद लाश को बाजरे के खेत में फैंक कर फरार हो गया। 22 सितम्बर को मुजफ्फरनगर के भिक्की गांव में एक माता-पिता ने अपनी ़20 दिन की जुड़वां बेटियों को तालाब में डुबो कर मार डाला। गिरफ्तारी के बाद बेटियों के पिता वसीम ने कहा कि बेटियों के पालन-पोषण का खर्च उठाने में असमर्थ होने के कारण उसने तथा उसकी पत्नी नजमा ने यह पग उठाया। 

और अब 26 सितम्बर को पंजाब के बठिंडा में 2 बच्चियों को जन्म के 7 घंटे बाद ही बच्चियों की नानी मलकीत कौर और मामा बलजिंद्र सिंह ने अस्पताल से ले जाकर नहर में फैंक कर मार डाला। इसी दिन कुरुक्षेत्र के डबखेरा गांव में स्कूल की फीस मांगने पर गुस्साए पिता जसबीर सिंह ने अपनी 6 वर्षीय बेटी की हत्या कर दी। जहां बेटा एक वंश को आगे चला कर एक परिवार का नाम रोशन करता है वहीं बेटियां अपने मायके और ससुराल दो-दो परिवारों का नाम रौशन करती हैं। लिहाजा बेटियों को इस प्रकार मौत के मुंह में धकेलने वालों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई करना ही इस समस्या का एकमात्र उपाय है। बेटियों की हत्या रोक कर उनके सही पालन-पोषण और सही शिक्षा द्वारा ही ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का सरकार का नारा सफल हो सकता है।—विजय कुमार 


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