शर्मनाक: अखिलेश राज में खून बेंचकर परिवार का पेट पाल रहे हैं किसान

punjabkesari.in Sunday, Aug 02, 2015 - 03:01 PM (IST)

झांसी: उत्तर प्रदेश बुंदेलखंड का नाम आते ही किसानों की दुर्दशा की तस्वीरें सामने आ जाती हैं। अतीत के पन्नों में ये इलाका गौरवशाली इतिहास को समेटे हुए हैं। लेकिन आज हम आपको यहां के दलितों और गरीबों की हालत की वो कहानी बताएंगे कि आप भी सिहर उठेंगे। जहां सरकारें आंकड़ों में उलझाकर देश की तरक्की की झूठी तस्वीरें दिखाती हैं। वहीं झांसी के बडागांव में दलितों को खून बेचकर परिवार चलना पड़ रहा है। इंसानियत के लिए इससे बड़ी शर्मनाक बात और क्या हो सकती है कि गरीब, मजलूम किसानों को अपना पेट पालने के लिए खून का कतरा बेचना पड़ता है। झांसी से मात्र 65 किमी दूर मऊरानीपुर के गांव बडग़ांव में की आबादी 5 हजार के करीब है। जिसमें ज्यादातर दलित किसान रहते हैं। गरीबी, भूखमरी,सूखे ने इन किसानों के पास अब खाने के लिए कुछ भी नहीं है।
 
यहां युवा से लेकर बुजुर्ग को जब भी परिवार के लिए पैसों की जरुरत पड़ती है तो वो अपने हड्डियों के ढांचे में बचा थोड़ा बहुत खून बेच कर कुछ पैसे पाकर काम चलाते हैं। एक बुजुर्ग किसान ने बताया कि हाल ही में उनका बच्चा बीमार हो गया और उसे अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। लेकिन परिवार के पास इतनी कूवत नहीं बची थी को वो दवाईयों का खर्चा और अस्पताल का बिल भर सकें। कोई रास्ता न देख 70 साल के बुजुर्ग को अपना खून बेचना पड़ा जिसकी एवज में 1500 रुपये मिले तब कहीं जाकर उनके बेटे की जान बच पाई। लेकिन डॉक्टरों ने अब दोबारा खून लेने से मना कर दिया है क्यों कि बूढ़े हो चुके शरीर में अब इतना खून नहीं बचा है।
 
गांव में कई ऐसे किसान हैं जो कम से 5 बार खून बेचकर अपने परिवार का पेट पाल चुके हैं। किस्मत के मारे इन किसानों का कहना है कि सूखा, बाढ़ के अलावा सरकारी व्यवस्था भी उनकी इस हालत की जिम्मेदार है। उनका कहना है कि परियोजनाओं के नाम पर किसानों से उनकी जमीन लाखों में खरीदी गई और मुआवजा उनको तब तक नहीं मिला जब तक इलाके की जमीन के भाव करोड़ो में नहीं पहुंच गए। इस हालत में जब मुआवजा मिला तो किसानों की वो हैसियत नहीं रह गई थी कि वो दूसरी जगह जमीन खरीद सके और न वो इतने पढ़े लिखे हैं कि पैसे से कोई बिजनेस शुरू कर देते। किसानों का विकास-प्रदेश का विकास का राग अलापने वाली अखिलेश सरकार को भूखे मर रहे इन किसानों की कोई परवाह नहीं है। वजह कोई भी हो अगर देश में किसानों का खून पड़ रहा है तो इससे ज्यादा दुर्भाग्य की बात और क्या हो सकती है। 

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