जानिए एड्स से जुडी 10 महत्वपूर्ण गलत धारणाओं के बारे में

punjabkesari.in Tuesday, Dec 01, 2015 - 05:59 PM (IST)

नई दिल्ली: एड्स एक ऐसी बीमारी है जिसमें मरीज की मौत हो जाती है। अक्सर लोग जानकारी के अभाव में  एड्स और एचआईवी  को एक ही समझते हैं लेकिन ऐसा नही है। ये दोनों अलग-अलग तरह की बीमारियां हैं। एचआईवी (ह्यूमन इम्‍यूनोडिफिसिएंशी वायरस) एक प्रकार का सेल है जो बीमारियों से लडऩे में मदद करता है। इसे सीडी4 इम्‍यून सेल्‍स कहते है। एचआईवी पॉजीटिव होना और एड्सग्रस्‍त होना दोनों अलग-अलग बातें हैं। उपचार द्वारा एचआईवी को रोका जा सकता है। जबकि एड्स (एक्‍वायर्ड इम्‍यूनोडिफिसिएंशी सिंड्रोम) एचआईवी संक्रमण के कारण होता है।

एड्स के बारे में कुछ गलतफहमियां जिन्हें जानना बहुत जरूरी है-
 
 
1- एड्स के बारे में सबसे बड़ी गलत धारणा यह है कि एड्स किसी अन्य के साथ शारीरिक संबंध बनाने से होता है यह गलत है, एड्स शरीर में किसी भी लिक्विड एक्‍सचेंज जैसे - खून, स्‍पर्म, सैलाइवा आदि से फैल सकता है। कई बार एक ही निडिल से सुई लगाने या संक्रमित रक्‍त चढ़ाने पर भी एड्स हो जाता है
 
2- एचआईवी/एड्स संक्रामक बीमारी नही है। यह छूने से, पसीने से, आंसुओं से, साथ बैठने से, खाने से नही फैलता। यह संक्रमित रक्‍त चढ़ाने से, संक्रमित सुई इस्‍तेमाल करने से, असुरक्षित यौन संबंध बनाने से या फिर मां के दूध से फैलता है।
 
3- मच्‍छर के काटने से एचआईवी होता है , लोगों में यह भ्रम है कि मच्‍छरों के काटने से एचआईवी फैल सकता है। जबकि ऐसा नहीं है। मच्‍छर अगर एचआईवी ग्रस्‍त आदमी को काटने के बाद स्‍वस्‍थ्‍य व्‍यक्ति को काटता है तो उसे एचआईवी नहीं हो सकता। क्‍योंकि किसी भी कीट के अंदर कोई भी वायरस बहुत ही कम समय के लिए होता है।
 
 
4 -कुछ लोगों के साथ ही ऐसा होता है, जिनकी प्रतिरोधक क्षमता इस वायरस के कारण कमजोर हो जाती है। एचआईवी से ग्रस्‍त आदमी कई सालों तक सामान्‍य जीवन जी सकता है।
 
6- एचआईवी संक्रमण होने बाद भी कुछ लोगों में कई सालों तक उसके लक्षण दिखायी नहीं देते हैं। इसलिए इस बीमारी को साइलेंट एपेडेमिक यानी खामोश महामारी कहा जाता है। एचआईवी संक्रमण का पता लगाने के लिए जांच की जानी बहुत जरूरी होती है।
 
7- एड्स होने से मृत्‍यु हो जाती है एड्स होने से मौत हो जाती है ये गलत है। एड्स बीमारी होने का मतलब यह बिलकुल नहीं होता है कि मरीज की मौत हो जाएगी। एड्स होने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पर असर पड़ता है लेकिन अगर पूरी देखभाल और रखरखाव रखा जाएं तो एड्स पीडित काफी लम्‍बी जी सकते है। 
 
8- टैटू या बॉडी पियर्सरिंग सुरक्षित है कई लोगों को शरीर में टैटू गुदवाने से भी एड्स हो जाता है। एक ही निडिल से टैटू या बॉडी पियर्सरिंग करने से एड्स होने की संभावना रहती है। इसलिए जब भी टैटू बनवाएं तो उसके सभी टूल्‍स को सही तरीके से स्‍टरलाइज करवाएं और उसके बाद नई निडिल से ही बनवाएं।
 
 9) ऐसा माना जाता है कि एड्स पीडित दम्‍पति से एड्स पीडित बच्‍चा ही जन्‍म लेता है। ऐसा नहीं है, अगर किसी जोड़े को पता है कि वह एड्स पीडित है तो उन्‍हे गर्भधारण करने से पहले डॉक्‍टरी सलाह ले लेनी चाहिए और पूरी देखभाल रखनी चाहिए। प्रसव के बाद बच्‍चे को मां का दूध नहीं देना चाहिए। इस प्रकार बच्‍चा सामान्‍य ही होगा। 
 
10) दो एड्स पीडित लोग बिना प्रोटेक्‍शन के सेक्‍स कर सकते है : लोगों को ऐसा लगता है कि एड्स पीडित दो लोग आराम से बिना प्रोटेक्‍शन के सेक्‍स कर सकते है। ऐसा हरगिज नहीं है, हर किसी को अलग प्रकार का एड्स होता है या किसी को एड्स होता है और किसी को एचआईवी। एड्स पीडि‍त किसी मरीज को सीडी4 का कांउट ड्रॉप 200 होता है और किसी को संक्रमण या कैंसर होता है। ऐसे में जब भी सेक्‍स करें तो प्रोटेक्‍शन जरूर इस्‍तेमाल करें। सबसे बड़ी बात एड्स और एचआईवी में अंतर जरूर समझें।

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