हमारे भीतरी मामलों में हस्तक्षेप नहीं करें भारत: नेपाल

punjabkesari.in Monday, Jan 18, 2016 - 08:02 PM (IST)

नई दिल्ली: नेपाल के पर्यावरण मंत्री विश्वेन्द्र पासवान ने मधेसी अधिकारों को लेकर चलाए जा रहे आंदोलन को कुछ गिने चुने नेताओं के स्वार्थों का परिणाम बताते हुए भारत पर आज आरोप लगाया कि वह इन नेताओं को शह देने का काम कर रहा है। पासवान ने यहां भारतीय प्रेस क्लब में संवाददाताओं से बातचीत में नेपाल में आर्थिक नाकेबंदी के लिए मोदी सरकार की तीखी आलोचना की। उन्होंने सीमा पर नाकेबंदी में कुछ  लोगों को जिम्मेदार ठहराया। 
 
उन्होंने कहा कि मधेसी आंदोलन ना तो जनसंख्या का मामला है और ना ही सीमाओं का मामला है। यह सिर्फ सत्ता में बने रहने का आंदोलन है। उन्होंने कहा कि नेपाल के 23 प्रतिशत दलितों का इस आंदोलन से कोई लेना देना नही है। उन्होंने नेपाल के संविधान को आदर्श एवं समावेशी करार देते हुए कहा कि इसमें अगर कोई कमी है तो आरक्षण की जिसे बाद में संशोधन के माध्यम से लाने के प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि नेपाली संविधान में जनता को ज्यादा से ज्यादा अधिकार दिए गए हैं। 
 
उन्होंने संविधान को सर्वसमावेशी बनाने की मांग को फिजूल बताते हुए कहा कि अगर संविधान समावेशी नहीं होता तो उनके जैसा दलित मंत्री नहीं बन पाता। नेपाली सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल बहुजन शक्ति पार्टी के सदस्य  पासवान ने कहा कि भारत में सत्ता परिवर्तन होने के बाद नेपाल में भी सत्ता परिवर्तन हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहली यात्रा की तो खूब सराहना हुई लेकिन दूसरी यात्रा में उनका यह कहना पंसद नहीं आया कि संविधान को सहमति के आधार पर बनाया जाना चाहिए। 
 
इससे ऐसा लगा कि नेपाली जनता को हजार किलोमीटर की ऊंचाई से नीचे पटक दिया। नेपाली जनता को यह मंजूर नहीं है क्योंकि ये नेपाल के भीतर का मामला है। उन्होंने कहा कि सीमा पर नाकेबंदी और मधेसी आंदोलन की अगुआई करने वाले लोग 20 साल से मंत्री रहे हैं। उन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं और उन्हें भारत से शह मिल रही है। उन्होंने कहा कि आंदोलन छह माह क्या, छह साल भी चले तो भी नेपाल के लोग झुकेंगे नहीं। 
 
उन्होंने संविधान में संशोधन की प्रक्रिया पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इस संशोधन से भी बात नहीं बनेगी। बाद में इस संशोधन को भी संशोधित करना पड़ेगा। उन्होंने भारत से अपील की कि वह भारत और नेपाल की दोस्ती को बनाए रखने में योगदान दे। 

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