UN Report: इस देश में सबसे ज्यादा होती है पतियों की पिटाई,भारत किस नंबर पर?

punjabkesari.in Monday, May 26, 2025 - 10:07 PM (IST)

नेशनल डेस्कः  हाल ही में प्रकाशित संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट ने घरेलू हिंसा के मुद्दे पर एक नई और चौंकाने वाली जानकारी सामने रखी है: कई देशों में महिलाएं भी घरेलू हिंसा की आरोपी हैं और पुरुष, विशेषकर पतियों, इसके शिकार बन रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, मिस्र में पतियों को सबसे ज्यादा घरेलू हिंसा का शिकार होना पड़ता है, इसके बाद यूनाइटेड किंगडम और फिर भारत का स्थान है। यह आंकड़ा भारत जैसे पारंपरिक समाज में चौंकाने वाला है, जहां पुरुषों को हमेशा मजबूत और हिंसा से दूर रहने की उम्मीद की जाती है।

भारत में पतियों पर घरेलू हिंसा: एक अनदेखा पहलू

भारत में घरेलू हिंसा के मामलों में पुरुषों की स्थिति अक्सर अनदेखी रहती है। हालांकि, हाल के अध्ययनों और रिपोर्टों से यह स्पष्ट हुआ है कि पुरुष भी घरेलू हिंसा का शिकार होते हैं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS-4) के अनुसार, भारत में प्रति 1,000 विवाहित पुरुषों में से 29 को शारीरिक हिंसा का सामना करना पड़ा है। तमिलनाडु में यह आंकड़ा 90 प्रति 1,000 तक पहुंच जाता है। हरियाणा के एक ग्रामीण अध्ययन में पाया गया कि 52.4% पुरुषों ने जीवन में कम से कम एक बार घरेलू हिंसा का सामना किया है। 

इसके अतिरिक्त, Save Family Foundation और My Nation द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 98% शहरी भारतीय पुरुषों ने किसी न किसी रूप में घरेलू हिंसा का सामना किया है, जिसमें शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और यौन हिंसा शामिल हैं। 

सामाजिक धारणाएं और कानूनी चुनौतियां

भारत में पुरुषों के खिलाफ घरेलू हिंसा को लेकर कई सामाजिक और कानूनी चुनौतियां हैं। समाज में यह धारणा है कि पुरुष शारीरिक रूप से मजबूत होते हैं और वे हिंसा का शिकार नहीं हो सकते, जिससे पुरुषों को अपनी पीड़ा व्यक्त करने में कठिनाई होती है। इसके अलावा, घरेलू हिंसा के मामलों में केवल महिलाओं को कानूनी संरक्षण प्राप्त है, जबकि पुरुषों के लिए कोई समान प्रावधान नहीं है। 

अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में मिस्र को घरेलू हिंसा के मामलों में शीर्ष पर रखा गया है, जहां 66% पति जो घरेलू हिंसा के शिकार होते हैं, तलाक के लिए अर्जी देते हैं। इसके बाद यूनाइटेड किंगडम और फिर भारत का स्थान है। यह आंकड़ा यह दर्शाता है कि घरेलू हिंसा केवल महिलाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि पुरुष भी इसके शिकार होते हैं।

समाधान की दिशा

इस मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाने और पुरुषों के खिलाफ घरेलू हिंसा को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। समाज को यह समझना होगा कि हिंसा किसी भी लिंग के खिलाफ हो सकती है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसके लिए कानूनी प्रावधानों में सुधार, जागरूकता अभियानों और समर्थन प्रणालियों की आवश्यकता है, ताकि पुरुष भी अपनी समस्याओं को खुलकर व्यक्त कर सकें और न्याय प्राप्त कर सकें।

यह रिपोर्ट समाज के सामने एक आईना है, जो यह दर्शाती है कि घरेलू हिंसा केवल महिलाओं का मुद्दा नहीं है, बल्कि पुरुष भी इसके शिकार होते हैं। समाज को अब इस वास्तविकता को स्वीकार करना होगा और समानता की दिशा में कदम बढ़ाना होगा।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Pardeep

Related News