कुंडली से जानें दोस्ती का गणित, मित्र भी बनते हैं आय का साधन
punjabkesari.in Friday, Feb 19, 2016 - 10:06 AM (IST)

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक प्राणी किसी न किसी ग्रह, राशि व लग्न के प्रभाव में होता है और मित्रता जातक की कुंडली तय करती है। ज्योतिष के अनुसार नौ ग्रहों में पांच प्रकार की मित्रता होती है। परम मित्र, मित्र, शत्रु, अधिशत्रु एवं ग्रहों की स्थिति के अनुसार तात्कालिक मैत्री।
इसी प्रकार राशियों में भी आपसी मैत्री संबंध होते हैं। कुंडली के प्रथम, चतुर्थ, द्वितीय, पंचम, सप्तम व एकादश भाव और बुध ग्रह प्रमुख रूप से मित्रता के कारक होते हैं। कुंडली का सीधा संबंध भाव, ग्रह व राशियों से होता है। तीनों प्रकार के संबंध जीवन की दिशा तय करते हैं।
राशियां भी जिम्मेदार
दो विभिन्न व्यक्तियों, प्रेमी-प्रेमिका, पति-पत्नी का आपसी संबंध राशियों के तत्व पर आधारित होता है। हमारा शरीर पंच तत्वों से बना है और 12 राशियां इन्हीं में से 4 तत्वों में विभाजित की गई हैं। ‘अग्नि’ ‘भूमि’, ‘वायु’ (इसमें आकाश तत्व भी शामिल है) व जल। मेष, सिंह व धनु राशियां अग्नि तत्व प्रधान अर्थात ये उग्र व गर्म मिजाज वाली राशियां होती हैं। वृष, कन्या व मकर राशियां भूमि या पृथ्वी तत्व प्रधान होने के कारण धैर्यशाली व ठंडे मिजाज वाली, मिथुन, तुला व कुंभ राशियां वायु तत्व प्रधान होने के कारण अस्थिर चित्त व द्विस्वभाव वाली होती हैं। कर्क, वृश्चिक व मीन राशियां जल तत्व प्रधान हैं। ये धीर-गंभीर व विशाल हृदया होती हैं।
ज्योतिष के मुताबिक एक ही तत्व की राशियों में गहरी मित्रता होती है। पृथ्वी, जल तत्व और अग्नि, वायु तत्वों वाले जातकों की भी पटरी अच्छी बैठती है। अग्नि व वायु तत्व वालों की मित्रता भी होती है लेकिन पृथ्वी, अग्नि तत्व, जल तथा अग्नि तत्व एवं जल तथा वायु तत्वों वाले जातकों में शत्रुता के संबंध होते हैं। तत्व के अलावा राशियों के स्वभाव पर भी मित्रता का असर होता है। राशियों के हिसाब से देखें तो स्वयं की राशि के अलावा मेष, सिंह व धनु राशि वालों की मित्रता मिथुन, तुला व कुंभ राशि वाले लोगों से होती है। वृष, कन्या व मकर राशि वाले लोगों की मित्रता कर्क, वृश्चिक व मीन राशि वाले लोगों से ज्यादा पटती है।
दोस्ती में होता है ग्रहों का बोलबाला
सिर्फ राशियां ही नहीं, ग्रहों की भी मित्रता में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। नवग्रहों में सूर्य-सिंह राशि, चंद्रमा-कर्क राशि, मंगल-मेष व वृश्चिक, बुध-मिथुन व कन्या, गुरु-धनु व मीन राशि, शुक्र-वृष व तुला तथा शनि-मकर व कुंभ राशि के स्वामी होते हैं। शास्त्रों में इनमें नैसर्गिक मैत्री संबंध बताए गए हैं। इसके अलावा ग्रहों में तात्कालिक मैत्री भी होती है, जो इनकी कुंडली में स्थिति के अनुसार होती है जैसे मंगल व शनि कुंडली में एक साथ बैठे हों तो इनमें तात्कालिक मैत्री संबंध होते हैं। मोटे तौर पर हम ग्रहों की तीन प्रकार-मित्रता, शत्रुता व साम्यता के बारे में जानकारी लेते हैं। आइए देखें ग्रहों के नैसर्गिक मैत्री संबंध क्या हैं :
सूर्य : सूर्य के चंद्रमा, मंगल व गुरु मित्र होते हैं। शनि-शुक्र शत्रु व बुध से साम्यता के संबंध हैं। इस प्रकार सिंह राशि वाले की मित्रता मेष, कर्क, वृश्चिक, धनु व मीन राशि वालों से व मकर, कुंभ, वृष व तुला वाले लोगों से शत्रुता होती है। सूर्य तेज व अधिकारिता के स्वामी हैं अत: इनकी चाहत रखने वाले से मैत्री संबंध व शनि व शुक्र क्रमश: सेवा व आराम पसंद होते हैं इसलिए इनसे शत्रुता होती है।
चंद्र : चंद्र ग्रह के अधिकांश ग्रह मित्र होते हैं परंतु बुध, शुक्र, शनि, राहु, केतू इन्हें पसंद नहीं करते। बुध, शुक्र, गुरु, शनि मित्र व सिर्फ मंगल से शत्रुता होती है। चंद्रमा जल प्रधान व मंगल अग्नि तत्व प्रधान होते हैं। जाहिर है कि आग और पानी में मित्रता नहीं हो सकती।
मंगल : मंगल के मित्र शनि व सूर्य होते हैं। चंद्र व गुरु से साम्यता व शुक्र व बुध से शत्रुता के संबंध होते हैं। इस प्रकार मेष व वृश्चिक राशि वाले लोगों की मित्रता कर्क, धनु व मीन से तथा वृष, तुला, मिथुन व कन्या राशि से शत्रुता होती है।
बुध : इस ग्रह के सूर्य, गुरु व चंद्र मित्र होते हैं। शनि से इनकी शत्रुता होती है। इस प्रकार मिथुन व कन्या राशि वाले लोगों की मित्रता सिंह, कर्क, धनु व मीन राशि के लोगों से होती है। मकर व कुंभ राशि से असामान्य संबंध होते हैं।
गुरु : गुरु के मंगल, चंद्र, शनि मित्र व शुक्र तथा बुध से शत्रुता होती है। इस प्रकार धनु व मीन राशि के लोगों की मेष, वृश्चिक, कर्क, मकर व कुंभ से मित्रता तथा वृष, तुला व मिथुन, कन्या से शत्रुतापूर्ण संबंध होते हैं। गुरु स्वयं मर्यादा में रहना सिखाते हैं जबकि बुध व शुक्र दोनों ही आदतन इससे दूर रहने वाले होते हैं।
शुक्र : इसके गुरु, सूर्य मित्र व मंगल शत्रु होते हैं। इस प्रकार शुक्र की राशि वृष व तुला वाले लोगों की मित्रता, सिंह, धनु व मीन राशि वालों से तथा मेष व वृश्चिक राशि के लोगों से शत्रुतापूर्ण संबंध होते हैं। चंद्रमा, बुध व शनि के साथ इनके समानता के संबंध होते हैं।
शनि : इस ग्रह की गुरु, चंद्र, मंगल से मित्रता व शनि सूर्य से शत्रुता रखते हैं। अत: मकर व कुंभ राशि वाले लोगों की मित्रता मेष, वृश्चिक, कर्क, धनु व मीन राशि के लोगों से होती है। सिंह राशि के लोगों से मित्रता नहीं होती है।
ज्योतिष के अनुसार मैत्री के प्रमुख भाव
ज्योतिष के अनुसार मित्रता का प्रमुख भाव एकादश भाव है जो आय भाव भी है जिसके जितने अच्छे मित्र होंगे, आय भाव उतना ही मजबूत होगा। अन्यथा कमजोर होगा। इस भाव में यदि सूर्य हो तो ऐसे जातक की उच्च पदासीन, सत्तासीन व राजनीतिक लोगों से मित्रता होगी। चंद्रमा इस भाव में होने पर मित्र कलाकार, वायुयान चालक, जहाज के कैप्टन, नाविक आदि मित्र होंगे। यदि एकादश भाव में मंगल है तो मित्र खिलाड़ी, पहलवान, कुक आदि प्रकृति के लोग होंगे व बुध इस भाव में होने पर व्यावसायिक वृत्ति के लोग, गुरु इस भाव में होने पर बैंकिंग, वित्त धार्मिक आस्था, दार्शनिक आदि मित्र होंगे। शुक्र इस भाव में होने पर अभिनय क्षेत्र, स्त्री जातक, कलाकार आदि मित्रों की संख्या अधिक होगी। शनि एकादश भाव में होने पर नौकरी पेशा, सेवावृत्ति, अपनी आयु से अधिक उम्र वाले लोगों से मैत्री संबंध होते हैं। यदि इस भाव में राहु या केतू हो तो ऐसे व्यक्ति के छद्म मित्रों व अपनी जाति से इतर लोगों से मित्रों की संख्या अधिक होती है। वह अपने लोगों से दूर-दूर रहता है।