क्या आपका समय खराब चल रहा है तो पढ़ें...

punjabkesari.in Saturday, Sep 24, 2016 - 08:36 AM (IST)

ज्योतिष में योगायोगों की महत्वपूर्ण भूमिका है। ग्रहों के एक विशेष क्रम में जमे होने पर उनके विशिष्ट परिणाम भी मिलते हैं। ग्रहों की स्थिति, युति या दृष्टि संबंधों के आधार पर प्राचीन भारतीय ज्योतिष में अनेक योग बताए गए हैं। जब हम किसी ग्रह विशेष के किसी विशेष राशि अथवा भाव में बैठे होने के फलादेश देखते हैं तो वे फलादेश इन योगायोगों से अलग होते हैं।
 
हो सकता है कि नवम भाव में बैठा चंद्रमा भाग्य को बढ़ाता हो, लेकिन यदि चंद्रमा के दूसरे और बारहवें स्थान पर कोई ग्रह न हो तो इसे केमद्रुम योग कहते हैं। ऐसी स्थिति में चंद्रमा कमजोर हो जाता है।

ज्योतिष में ऐसे हजारों योग हैं। इन योगों के फलादेश भी विशिष्ट होते हैं। कुछ लोग ज्योतिष के इन योगों का भी गलत इस्तेमाल करते हैं। 

 

सदा एक जैसे नहीं रहते योग 
कई बार ज्योतिषी ऐसे फलादेश देते हैं जो ज्योतिषीय न होकर सहज बुद्धि से उपजे वाक्य होते हैं। जातक को ऐसे वाक्यों के जाल में आने से बचना चाहिए। सही फलादेश राशियों, ग्रहों और भावों की सटीक गणना और दशाओं के आधार पर किए जाते हैं। प्रत्येक जातक के लिए ज्योतिषीय फलादेश का कथन सटीक और अद्वितीय होगा भले ही सामान्य समस्याएं जैसे पढ़ाई, शादी, नौकरी या वित्तीय स्थिति जैसे मामलों में एक जैसे दिखाई देने वाले कथन हों लेकिन दशाओं के अनुसार उनके समय अवधि भी तय होती है। किसी भी योग को पूरे जीवन अवधि पर एक जैसा लागू नहीं किया जा सकता।
मसलन किसी भी व्यक्ति को कहा जाए कि ‘आपने जिंदगी में बहुत संघर्ष किया है’। दरअसल संघर्ष शब्द के मायने हर किसी के लिए विशिष्ट हैं। कोई सांस लेने के लिए संघर्ष कर रहा है, तो कोई एवरैस्ट पर चढऩे के लिए। हर किसी का अपना संघर्ष है। हर किसी के लिए उसके खुद के मायने हैं। इसलिए यह फलादेश हर किसी पर एक जैसा फिट होता है।

 

मेहनत का फल नहीं मिलता 
किसी जातक को कहा जाए कि आपको मेहनत का सही प्रतिफल नहीं मिलता। भवन निर्माण में मजदूरी कर रहे श्रमिक से लेकर किसी कम्पनी के सी.ई.ओ. तक को यह फलादेश दिया जा सकता है। ऐसा हर किसी को लगता है। नौकरीपेशा लोगों के लिए यह एक आम समस्या हो ऐसी बात नहीं है, व्यवसायी भी कभी अपेक्षित लाभ अर्जित नहीं कर पाते हैं। ऐसे में कुछ अपवादों को छोड़ दें तो अधिकांश पर यह युक्ति सटीक बैठती है।

इसी तरह आपके गुप्त शत्रु हैं। ऐसा फलादेश है जो जातक को यकायक साधारण से विशिष्ट बना देता है। बिना आगा-पीछा सोचे जातक तुरंत मान लेता है कि हो न हो उसके कुछ गुप्त शत्रु हैं। ऐसे में फलादेश सटीक न होते हुए भी सटीक बन जाता है।
आपके भाग्य में यश नहीं है किसी जातक को यह कहा जाए कि आपके भाग्य में यश नहीं लिखा तो वह यह बात तुरंत मान लेगा। हो सकता है कि वह ज्योतिषी को कुछ ऐसे किस्से भी बता दे जिनमें उसने बहुत अधिक यश प्राप्त करने वाला कार्य किया हो और उसे किसी ने यश न दिया हो।

सही गलत के संबंध में किसी जातक को फलादेश दिया जाए कि ‘दूसरों के लिए अच्छी भावना रखने के बावजूद आपको हमेशा गलत समझ लिया जाता है।’ मनोविज्ञान के अनुसार हर इंसान वही काम करता है जो उसके खुद के अनुसार सही होता है। चाहे वह हत्यारा ही क्यों न हो। इसी कारण जब ज्योतिषी उक्त कथन कहता है तो हर जातक इसे तुरंत मान लेता है।

 

हाथ में पैसा नहीं टिकता 
किसी जातक को कहा जाए कि ‘आपके हाथ में पैसा टिकता नहीं है’ तो यह कथन सही और गलत दोनों हो जाता है। यदि जातक पैसे को सही काम में नहीं लगाएगा तो वह अन्य कार्यों में खर्च हो जाएगा और लगाएगा तो वैसे भी उसके खुद के पास पैसा नहीं रहेगा। इसलिए यह वाक्य हमेशा सही ही रहेगा। 

 

 

काम होते-होते रुक जाता है 
इसी तरह के मनोवैज्ञानिक वाक्यों में पिता को कहा जा सकता है कि ‘आपका पुत्र आपके कहने में नहीं है’ किसी भी जातक को कहा जा सकता है कि ‘आपका काम होते होते रुक जाता है।’

इसी तरह नब्बे प्रतिशत मामलों में ज्योतिषी के पास आए जातक को कहा जा सकता है। ‘आपका समय अभी खराब चल रहा है।’

ध्यान देने योग्य बात यह है कि अगर जातक का समय सही चल रहा होता तो वह ज्योतिषी के पास आता ही क्यों? कुछ अंतर्मुखी दिखाई देने वाले जातकों से कहा जा सकता है कि ‘आप अपने दिल की बात किसी से कह नहीं पाते और खुद को अतिरिक्त होशियार सिद्ध कर रहे जातकों के लिए आप राज को राज रखना  जानते हैं बहुत ही लुभावना सिद्ध होता है। 


 


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