खाद्य तेल-तिलहनों में सामान्य कारोबार

punjabkesari.in Saturday, Jan 28, 2023 - 05:29 PM (IST)

नयी दिल्ली, 28 जनवरी (भाषा) सामान्य कारोबारी रुख के बीच किसानों के सस्ते में अपनी ऊपज की बिकवाली नहीं करने से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को लगभग सभी तेल तिलहन कीमतों में स्थिरता बनी रही और भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए।

सूत्रों ने कहा कि विदेशी बाजारों के शनिवार को बंद होने और घरेलू स्तर पर सामान्य कारोबार होने के बीच बाजार में कोई घट-बढ़ नहीं हुई। सोमवार को बाजार खुलने पर कारोबार के मिजाज का पता लगेगा। शिकागो एक्सचेंज शुक्रवार को 0.2 प्रतिशत गिर गया था।

सूत्रों ने कहा कि पाम और पामोलीन से देश के तिलहन कारोबार पर कोई विशेष फर्क नहीं पड़ता है। ये दोनों ही तेल भारी तेल में गिने जाते हैं और इसका औद्योगिक मांग और कमजोर आयवर्ग के उपयोग के लिए आयात किया जाता है और ये नरम तेलों से सस्ते भी होते हैं। भारत के तिलहन कारोबार पर सबसे अधिक असर सूरजमुखी और सोयाबीन के आयात से पड़ता है। इन तेलों की घट-बढ़ का देशी तेल तिलहनों पर भरपूर असर पड़ता है और इससे देशी तेलों के दाम तय होते हैं। देश में पाम तेल का आयात औसतन सालाना लगभग 90-95 लाख टन का होता है जबकि हल्के तेल में सूरजमुखी और सोयाबीन खाद्यतेल का आयात सालाना औसतन लगभग 45-50 लाख टन का होता है। रेपसीड पर सरकार ने पहले ही 38.5 प्रतिशत का आयात शुल्क लगा रखा है।

सूत्रों के मुताबिक, देश में सूरजमुखी तेल की खपत हर महीने पौने दो लाख से दो लाख टन की होती है जबकि शुल्क-मुक्त आयात की कोटा व्यवस्था के तहत जनवरी 2023 में इसका आयात काफी बढ़कर लगभग चार लाख 70 हजार टन हो गया। सूरजमुखी तेल के साथ सोयाबीन तेल का भी जनवरी में अधिक आयात हुआ। सूरजमुखी तेल का थोक भाव बंदरगाह पर लगभग 100 रुपये प्रति लीटर आता है। लगभग 15-20 दिनों के भीतर देश के सरसों की नयी फसल बाजार में आ जाएगी। इसका भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के हिसाब से लगभग 115 रुपये लीटर बैठना चाहिए जबकि पिछले साल अप्रैल मई में सूरजमुखी से सरसों तेल लगभग 40 रुपये लीटर नीचे था। सोयाबीन तेल से भी सरसों तेल लगभग 25 रुपये लीटर सस्ता था।
सूत्रों ने कहा कि खाद्यतेलों की जरूरत पूरा करने के लिए 60 प्रतिशत आयात पर निर्भर देश में तेल तिलहन उद्योग का नुकसान में चलना अफसोसजनक हो सकता है। देश के तेल तिलहन उद्योग के लिए सबसे बड़़ी बाधा अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) की व्यवस्था है जिसकी वजह से वैश्विक तेल कीमतों में आई गिरावट का लाभ ले पाने से उपभोक्ता वंचित हो रहे हैं। खुदरा बिक्री करने वाली तेल कंपनियों द्वारा एमआरपी लागत से लगभग 40-100 रुपये अधिक रखे जाने के कारण ग्राहकों को तेल कीमतों में आई गिरावट का लाभ नहीं मिल रहा है।
सूत्रों ने कहा कि बंदरगाह पर जब शुल्कमुक्त आयात कोटा वाले सोयाबीन और सूरजमुखी तेल लगभग एक ही भाव (लगभग 100 रुपये प्रति लीटर) बैठता है तो फिर खुदरा बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध इन दोनों तेलों के बीच 35-40 रुपये प्रति लीटर का अंतर क्यों है? उन्होंने कीमत में इस अंतर की निगरानी किए जाने की भी मांग की।

शनिवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे: सरसों तिलहन - 6,290-6,340 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली - 6,480-6,540 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,460 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,435-2,700 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 12,900 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,060-2,090 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,020-2,145 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 12,650 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,450 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,700 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,350 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,950 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,900 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 9,000 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना - 5,505-5,585 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 5,245-5,265 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।



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PTI News Agency

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