सरकार को इस वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में नई पूंजी डालने की जरूरत नहीं

punjabkesari.in Sunday, Aug 16, 2020 - 07:07 PM (IST)

नयी दिल्ली, 16 अगस्त (भाषा) रिजर्व बैंक की ओर से बैंकों को एकबारगी ऋण पुनर्गठन की अनुमति दिये जाने के बाद ऐसा माना जा रहा है कि बैंकों की अतिरिक्त धन की जरूरत कम हुई हैं और ऐसे में चालू वित्त वर्ष के दौरान सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) में नयी पूंजी डालने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

सूत्रों का कहना है कि इसके अलावा कोरोना वायरस महामारी के कारण कर्ज लेने में कमी आयी है। इससे भी बैंकों के समक्ष चालू वित्त वर्ष में पूंजी की आवश्यकताएं कम हो सकती हैं।

उन्होंने कहा कि कर्ज की किस्तें चुकाने से दी गयी छह महीने की छूट इस महीने समाप्त हो रही है। हालांकि, इसके बाद भी गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में अचानक से इजाफा नहीं होगा, क्योंकि अब इसके बाद ऋण का पुनर्गठन होने वाला है। ऋण पुनर्गठन वाले खातों के लिये अलग से प्रावधान करने की जरूरतें भी काफी कम हैं।

हालांकि, अधिकांश सरकारी बैंकों ने चालू वित्त वर्ष में जरूरत के हिसाब से टिअर-1 और टिअर-2 बांड से पूंजी जुटाने की अग्रिम मंजूरियां ले ली हैं।

सूत्रों ने कहा, इन सब के बाद भी यदि कुछ बैंकों को चालू वित्त वर्ष के अंत तक नियामकीय पूंजी जरूरतें होती हैं, तो सरकार यह वैसे ही मुहैया करायेगी जैसा पहले करा चुकी है।

सरकार ने अर्थव्यवस्था को सहारा देने के उद्देश्य से ऋण वितरण में तेजी लाने के लिये 2019-20 में सरकारी बैंकों में 70 हजार करोड़ रुपये डाले थे। लेकिन सरकार ने 2020-21 के बजट में किसी नयी पूंजी की प्रतिबद्धता नहीं की है। सरकार को उम्मीद है कि बैंक जरूरत पड़ने पर बाजार से स्वयं पूंजी जुटायेंगे।

दूसरी तिमाही के आंकड़े आ जाने के बाद सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा करेगी और उनकी पूंजी की स्थिति का आकलन कर सकती है।

एक सरकारी बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, कोविड-19 के कारण संकट से गुजर रही अर्थव्यवस्था के लिये ऋण पुनर्गठन मरहम का काम करेगा।

उन्होंने कहा कि कई कर्जदार संकट से गुजर रहे हैं, क्योंकि उनका व्यवसाय अपनी क्षमता के पचास प्रतिशत पर काम कर रहा है। इससे कर्ज की किस्तें भरने की उनकी क्षमता भी प्रभावित हुई है। ऐसे में बैंक ऋण पुनर्गठन कार्यक्रम के जरिये किस्तें चुकाने की अवधि बढ़ाकर, ब्याज दरें घटाकर अथवा किस्तें चुकाने से राहत की अवधि को विस्तार देकर ऐसे खातों को बचा सकते हैं।

अधिकारी ने कहा कि इन सब के बाद भी कुछ ऋण खाते एनपीए हो जायेंगे, खासकर वे खाते जो महामारी से पहले से ही चुनौतियों से जूझ रहे हैं। बैंक इस संकट का सामना करने की तैयारी कर रहे हैं।




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PTI News Agency

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