बिना नियमन वाली जमा योजनाओं से जुड़े मामलों के लिये अलग अदालत पर दिल्ली सरकार से मांगा जवाब
punjabkesari.in Wednesday, Apr 01, 2020 - 03:56 PM (IST)
नयी दिल्ली, एक अप्रैल (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने पोंजी घोटाले जैसी बिना नियमन वाली जमा योजनाओं पर रोक लगाने वाले कानून का उल्लंघन करने के मामलों पर सुनवाई के लिये अलग से नामित अदालत गठित करने की मांग करने वाली याचिका पर दिल्ली सरकार से उसकी राय मांगी गई है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.एन.पटेल और न्यायमूर्ति सी.हरि शंकर की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार को 22 मई तक अपना पक्ष रखने को कहा है।
वित्तीय अर्थशास्त्री अभिजीत मिश्रा ने यह याचिका दायर की है। उन्होंने इस संबंध में विशेष अदालत गठित करने समेत गैर- नियमन वाली जमा योजनाओं पर रोक अधिनियम 2019 के तहत सक्षम प्राधिकार नियुक्त करने की भी मांग की है। इसके अलावा उन्होंने इस अधिनियम के क्रियान्वयन के लिये नियम बनाने की भी मांग की है।
मिश्रा ने अपनी याचिका में कहा कि यह कानून पिछले साल फरवरी में ही प्रभावी हो गया, लेकिन दिल्ली सरकार ने अभी तक सक्षम प्राधिकार की नियुक्ति नहीं की है, न ही इस अधिनियम के तहत विशेष अदालत बनाई गई है। इस अधिनियम के क्रियान्वयन के लिये अभी तक नियम भी नहीं बनाये गये हैं।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.एन.पटेल और न्यायमूर्ति सी.हरि शंकर की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार को 22 मई तक अपना पक्ष रखने को कहा है।
वित्तीय अर्थशास्त्री अभिजीत मिश्रा ने यह याचिका दायर की है। उन्होंने इस संबंध में विशेष अदालत गठित करने समेत गैर- नियमन वाली जमा योजनाओं पर रोक अधिनियम 2019 के तहत सक्षम प्राधिकार नियुक्त करने की भी मांग की है। इसके अलावा उन्होंने इस अधिनियम के क्रियान्वयन के लिये नियम बनाने की भी मांग की है।
मिश्रा ने अपनी याचिका में कहा कि यह कानून पिछले साल फरवरी में ही प्रभावी हो गया, लेकिन दिल्ली सरकार ने अभी तक सक्षम प्राधिकार की नियुक्ति नहीं की है, न ही इस अधिनियम के तहत विशेष अदालत बनाई गई है। इस अधिनियम के क्रियान्वयन के लिये अभी तक नियम भी नहीं बनाये गये हैं।
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