Kundli Tv- इसलिए नवरात्रों में नहीं खाया जाता प्याज-लहसुन

punjabkesari.in Friday, Oct 12, 2018 - 11:01 AM (IST)

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10 अक्टूबर से इस वर्ष के शारदीय नवरात्र आंरभ हो चुके हैं। हर जगह मां की जय-जय शुरू हो गई। कहने का मतलब है कि हर जगह लोग मां की पूजा-अर्चना कर रहे हैं। आप में से बहुत से लोगों ने सुना होगा कि नवरात्रों में कुछ लोग या यूं कहें कि लगभग सभी लोग प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करते। लेकिन क्या आपने सोचा है कि आख़िर क्यों सारी सब्जियों में प्याज और लहसुन को ही खाना मना हैं। अगर आपको भी नहीं पता इसके पीछे का असल कारण तो आइए आज हम आपको बताते हैं कि क्यों नवरात्रों में प्याज और लहसुन नहीं खाना चाहिए।
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अगर आप ये सोचते हैं कि इनका सेवन न करने के पीछे कोई धार्मिक मान्यता है तो आपको बता दें कि इनको न खाने का कारण शापित या धर्म के विरुद्ध नहीं है। असल में इनकी तासीर या गुणों के कारण ही इनका त्याग किया गया है। लहसुन और प्याज दोनों ही गर्म तासीर के होते हैं। ये शरीर में गर्मी पैदा करते हैं इसलिए इन्हें तामसिक भोजन की श्रेणी में रखा गया है। दोनों ही अपना असर गर्मी के रूप में दिखाते हैं, शरीर को गर्मी देते हैं जिससे व्यक्ति की काम वासना में बढ़ोत्तरी होते हैं। ऐसे में उसका मन पूजा-पाठ में नहीं लग पाता क्योंकि अध्यात्म में मन को एकाग्र करने के लिए, भक्ति के लिए वासना से दूर होना ज़रूरी होता है। केवल लहसून प्याज ही नहीं वैष्णव और जैन समाज ऐसी सभी चीजों से परहेज करते हैं जिससे की शरीर या मन में किसी तरह की तामसिक प्रवृत्ति को बढ़ावा मिले।
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प्राचीन मिस्त्र के पुरोहित प्याज और लहसुन को नहीं खाते थे। चीन में रहने वाले बौद्ध धर्म के अनुयायी भी इन कंद सब्जियों को खाना पसंद नहीं करते। हिंदू धर्म के आधार यानि वेदों में उल्लेखित है कि प्याज और लहसुन जैसी कंदमूल सब्जियां निचले दर्जे की भावनाओं जैसे जुनून, उत्तजेना और अज्ञानता को बढ़ावा देती हैं। चीन और जापान में रहने वाले बौद्ध धर्म के लोगों ने कभी इसे अपने धार्मिक रिवाजों का हिस्सा नहीं बनाया। जापान के प्राचीन खाने में कभी भी लहसुन का प्रयोग नहीं किया जाता था।
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Jyoti

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