मालदीव में सत्ता परिवर्तन से भारत को होगा फायदा, सरकार की हैं नजर
punjabkesari.in Tuesday, Sep 25, 2018 - 01:02 AM (IST)
इंटरनेशनल डेस्कः मालदीव में सोमवार को लंबे वक्त से चली आ रही राजनीतिक उठापटक थम गई। मालदीव ने सोमवार को अपने नए राष्ट्रपति का चुनाव कर लिया है। यहां विपक्षी उम्मीदवार इब्राहिम मोहम्मद सोहिल ने निवर्तमान राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन गयूम को हरा दिया। सोहिल की जीत के साथ ही भारत को बिगड़े संबंधों को सुधारने का एक बड़ा मौका मिल गया है। मालदीव में राजनीतिक समीकरण पूरी तरह पलट गए हैं। चीन वहां अपना सामरिक विस्तार बहुत तेजी से कर रहा है। ऐसे में ये नतीजे चीन के लिए किसी झटके से कम नहीं हैं। दूसरे देशों की तरह चीन यहां भी कर्ज का बोझ लादकर देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है। बता दें कि निवर्तमान राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के कार्यकाल में भारत से संबंध कई बार तनावपूर्ण हो गए थे। माना जा रहा था कि यह सब चीन से प्रभावित फैसले थे।
सोमवार को जैसे ही तस्वीर साफ हुई कि मालदीव में प्रजातंत्र की वापसी हो गई है। इधर, भारतीय विदेश मंत्रालय ने तुरंत नतीजों का स्वागत किया। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन कर इब्राहिम मोहम्मद को जीत की बधाई दी। इस पर इब्राहिम ने भी उनका शुक्रिया अदा किया। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि भारत उम्मीद करता है कि वहां का चुनाव आयोग जल्द से जल्द आधिकारिक रूप से नतीजों की पुष्टि करेगा। बयान में कहा गया कि यह चुनाव मालदीव में सिर्फ लोकतांत्रिक ताकतों की जीत को ही नहीं दर्शाता, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों और कानूनी शासन की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। साथ ही भरोसा दिलाया गाय कि पड़ोसी प्रथम की नीति को ध्यान में रखते हुए, मालदीव के साथ संबंध और बेहतर होंगे।
Prime Minister Narendra Modi called Ibrahim Mohamed Solih and congratulated him on his victory in the Presidential elections held in Maldives yesterday. Solih thanked the Prime Minister for his greetings and good wishes. (File pics) pic.twitter.com/SKmdJN4qKQ
— ANI (@ANI) September 24, 2018
5 फरवरी को राष्ट्रपति यामीन ने जब मालदीव में आपातकाल की घोषणा की थी, तब भारत और मालदीव के संबंध तनावपूर्ण हो गए थे। इसके बाद वहां के उच्चतम न्यायालय ने विपक्षी नेताओं के एक समूह को रिहा करने का आदेश दिया था। इन नेताओं पर चलाए गए मुकदमों पर व्यापक आलोचना हुई थी। यामीन सरकार के आपातकाल लगाने की भारत सरकार ने आलोचना की थी और उससे राजनीतिक कैदियों को रिहा करके चुनावी और राजनीतिक प्रक्रियाओं की विश्वसनीयता बहाल करने को कहा था। मालदीव से 45 दिनों बाद आपातकाल हटाया गया था।
सत्ता परिवर्तन से पिघलेगी रिश्तों पर जमीं बर्फ
जानकारों की माने तो सोहिल की जीत से भारत-मालदीव के संबंधों पर जमी बर्फ पिघलेगी, बल्कि डेमोक्रैसी को भी मजबूत करने वाली है। लेकिन जब तक नई सरकार का गठन नहीं हो जाए, तब तक निवर्तमान राष्ट्रपति यामीन के प्रति सजग रहना होगा। चुनाव से पहले जिस तरह उन्होंने विपक्षी नेताओं को दबाने के अलावा संस्थानों को कब्जे में लेने की कोशिश की। उससे इसकी आशंका ज्यादा है कि वह अब भी अंतिम कोशिश कर सकते हैं। इस मामले में चीन भी उनकी मदद कर सकता है।
विपक्षी दलों की यह जीत चीन के लिए बड़ा झटका है। बता दें कि राष्ट्रपति यामीन का झुकाव चीन के प्रति अधिक रहा है। तो वहीं विपक्षी दल लगातार चीन के निवेश पर संदेह जताते रहे हैं। उनका कहना है कि चीन देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है। चुनाव परिणाम के बाद नई सरकार का गठन भारत के लिए सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण मालदीव में अपनी साख को दोबारा स्थापित करने का सुनहरा मौका मिल जाएगा। बता दें कि वहां करीब एक दर्जन से अधिक दलों ने एक-साथ मिलकर संयुक्त रूप से चुनाव लड़ा था।