आखिर क्यों भीम पुत्र घटोत्कच के वध से खुश हुए थे भगवान कृष्ण ?

punjabkesari.in Thursday, Apr 25, 2019 - 05:20 PM (IST)

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ये बात तो सब जानते ही हैं कि महाभारत का युद्ध ऐतिहासिक युद्ध रहा है और ये युद्ध कौरवों व पांडवो के बीच में रहा है। वैसे तो महाभारत का हर पात्र ही प्रमुख रहा है। लेकिन आज हम बात करेंगे भीम पुत्र घटोत्कच के बारे में। कहते हैं कि जिसका जन्म हुआ है उसकी मौत भी निश्चित होती है। महाभारत युद्ध के दौरान घटोत्कच की मृत्यु हुई और उसकी मौत के बाद सब शोक में थे लेकिन केवल भगवान कृष्ण उसकी मृत्यु से खुश थे। अर्जुन ने जब इसकी कारण पूछा तो भगवान ने कहा आज कर्ण के हाथों से उसका वध हुआ है अगर कर्ण ऐसा न करता तो भविष्य में उसकी मौत मेरे हाथों होनी तय थी। 
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जब श्रीकृष्ण के कहने पर घटोत्कच कर्ण से युद्ध करने गया तो उनके बीच भयानक युद्ध होने लगा। घटोत्कच और कर्ण दोनों ही पराक्रमी योद्धा थे, इसलिए वे एक-दूसरे के प्रहार को काटने लगे। जब कर्ण ने देखा की घटोत्कच को किसी प्रकार पराजित नहीं किया जा सकता तो उसने अपने दिव्यास्त्र प्रकट किए। ये देखकर घटोत्कच ने भी अपनी माया से राक्षसी सेना प्रकट कर दी। कर्ण ने अपने शस्त्रों से उसका भी अंत कर दिया। इधर घटोत्कच कौरवों की सेना का भी संहार करने लगा। यह देख कौरवों ने कर्ण से कहा कि तुम इंद्र की दी हुई शक्ति से अभी इस राक्षस का अंत कर दो, नहीं तो ये आज ही कौरव सेना को समाप्त कर देगा। कर्ण ने ऐसा ही किया और घटोत्कच का वध कर दिया।
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कहते हैं कि जब घटोत्कच की मृत्यु हो गई तो पांडवों की सेना में शोक छा गया, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न हो गए। अर्जुन ने श्रीकृष्ण से पूछा कि वे घटोत्कच की मृत्यु इतने प्रसन्न क्यों दिख रहे हैं? श्रीकृष्ण ने कहा कि जब तक कर्ण के पास इंद्र के द्वारा दी गई दिव्य शक्ति थी, उसे पराजित नहीं किया जा सकता था। उसने वह शक्ति तुम्हारा वध करने के लिए रखी थी, लेकिन वह शक्ति अब उसके पास नहीं है। ऐसी स्थिति में तुम्हें उससे कोई खतरा नहीं है। इसके बाद श्रीकृष्ण ने ये भी कहा कि यदि आज कर्ण घटोत्चक का वध नहीं करता तो एक दिन मुझे ही उसका वध करना पड़ता क्योंकि वह ब्राह्मणों व यज्ञों से शत्रुता रखने वाला राक्षस था। 
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