'इमरान के हाथ से निकलता पाकिस्तान', सिंध पाक अधिकृत कश्मीर आदि में बढ़ा असंतोष

punjabkesari.in Tuesday, Jan 19, 2021 - 11:14 AM (IST)

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने 18 अगस्त, 2018 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी और आम चुनावों में लगभग 32 प्रतिशत वोटों के साथ 149 सीटें हासिल करके वह एक लोकप्रिय नेता के नाते सत्ता में आए थे लेकिन अभी उनके राजनीतिक मैच की आधी पारी भी पूरी नहीं हुई है और उनके शासनकाल में पाकिस्तान जलने लगा है तथा सिंध, पाक अधिकृत कश्मीर और गिलगित-बाल्तिस्तान, बलूचिस्तान आदि इसके हाथ से निकलते जा रहे हैं।

 

*17 जनवरी को पाकिस्तानी शासकों की दमनकारी नीतियों का विरोध करते आ रहे सिंध प्रांत के ‘जमसौरो’ जिले में ‘जीए सिंध आंदोलन’ के जन्मदाता जी.एम. सैयद के गृह नगर में विशाल रैली आयोजित की गई। इस रैली में सिंध की आजादी के लिए अमरीका के नए राष्ट्रपति ‘जो बाइडेन’, सऊदी अरब के ‘क्राऊन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान’, संयुक्त राष्ट्र के अध्यक्ष ‘एंटोनियो गुटारेस’, जर्मनी की चांसलर ‘एंजेला मार्केल’, न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री ‘जेसिंडा आरड्रन’, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ‘अशरफ गनी’ के अलावा भारत के प्रधानमंत्री ‘नरेंद्र मोदी’ का भी समर्थन मांगा गया है। रैली में भाषण करने वालों ने दावा किया,‘‘सिंध प्रांत सिंधु घाटी सभ्यता और वैदिक धर्म का सार है जिसे अवैध कब्जा करके अंग्रेज शासकों ने 1947 में भारत से जाते-जाते इस्लामिक पाकिस्तान के हाथों में सौंप दिया।’’

 

* इससे पूर्व 16 जनवरी को पाक अधिकृत कश्मीर (पी.ओ.के.) में चीनी सेना द्वारा 33 किलोमीटर लम्बी सड़क बनाए जाने के विरुद्ध प्रदर्शन कर रहे लोगों ने न सिर्फ पुलिस पर पथराव किया बल्कि एक चैकपोस्ट को भी आग के हवाले कर दिया। 

 

* 13 जनवरी को इमरान सरकार द्वारा लोगों को आटे पर दी जाने वाली ‘सबसिडी’ समाप्त करने के विरुद्ध पी.ओ.के. के रावलकोट में गुस्साई भीड़ ने भारी विरोध प्रदर्शन किया तथा एक पुलिस थाने को आग लगा दी जिससे पुलिस की कई गाडिय़ां जल कर राख हो गईं। प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज करने और गोलियां चलाने के बावजूद उन्हें नियंत्रित करने में पुलिस को भारी मशक्कत करनी पड़ी। पाकिस्तान सरकार द्वारा इसे देश का पांचवां प्रांत घोषित किए जाने के विरुद्ध भी भारी रोष व्याप्त है। पी.ओ.के. के साथ-साथ गिलगित-बाल्तिस्तान आदि में सरकार विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं परंतु पाकिस्तानी मीडिया इसकी कोई खबर नहीं दे रहा। एक निर्वासित मानवाधिकार कार्यकत्र्ता ‘अमजद अयूब मिर्जा’ के अनुसार, ‘‘पाक अधिकृत कश्मीर (पी.ओ.के.) की निर्वाचित सरकार इस्लामाबाद में बैठी है जबकि इस क्षेत्र की जनता चीनी घुसपैठ के विरुद्ध युद्ध लड़ रही है।’’ हालांकि अल्पसंख्यकों के उत्पीडऩ को लेकर विश्व भर में पाकिस्तान की आलोचना हो रही है परंतु इसके बावजूद यह सिलसिला जारी है। 

 

‘ह्यूमन राइट्स फोकस पाकिस्तान’ के अध्यक्ष ‘नावेद वालटर’ का कहना है कि : ‘‘पाकिस्तान में ईसाई, हिन्दू, सिख, अहमदिया, शिया व अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की लड़कियों के अपहरण के नवीनतम आंकड़े एक दिन में 8 से 10 मामलों तक पहुंच गए हैं और उनके बलात्कार, जबरन धर्म परिवर्तन, मुसलमानों के साथ विवाह तथा हत्याएं रोकने में अधिकारी विफल हो रहे हैं।’’  हाल ही में जारी ‘वल्र्ड वाच लिस्ट’ के अनुसार विश्व में ईसाइयों का सर्वाधिक उत्पीडऩ करने वाले शीर्ष पांच देशों में पाकिस्तान का नाम शामिल हो गया है। पाकिस्तान सीनेट के उपाध्यक्ष ‘सलीम मांडवीवाला’ ने कहा है कि ‘‘राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो’ जैसी सरकारी संस्थाओं द्वारा उत्पीडऩ किए जाने के कारण ही लम्बे समय तक पाकिस्तान की सेना व सरकार के साथ काम करने वाले रिटायर्ड ब्रिगेडियर ‘असद मुनीर’ ने पिछले दिनों आत्महत्या की है।’’

 

इमरान के शासनकाल में पाकिस्तान की आॢथक हालत भी पतली हो गई है। वर्ष 2018 में पाकिस्तान की जी.डी.पी. 5 प्रतिशत की दर से बढ़ रही थी जो 2020 में गिर कर 0.50 प्रतिशत पर आ गई है। इसी दौरान पाकिस्तान में महंगाई की दर ने 14.6 प्रतिशत का शीर्ष आंकड़ा छू लिया और लोग दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं। विदेश नीति के मामले में भी इमरान को कश्मीर के मसले पर इस्लामी देशों तक का समर्थन हासिल नहीं हो पा रहा और देश के आंतरिक हालात भी उनके काबू में नहीं हैं। पाकिस्तान की सत्ता में सेना का दखल बढ़ता जा रहा है और क्रिकेट के माहिर खिलाड़ी रहे इमरान खान राजनीति की पिच पर पूरी तरह अनाड़ी सिद्ध हो रहे हैं। (विजय कुमार)


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News