नोबेल पुरस्कार जीता है तो क्या हुआ, देना पड़ेगा सैट टेस्ट

punjabkesari.in Monday, Sep 14, 2015 - 05:45 PM (IST)

न्यूयार्क: महिलाओं की शिक्षा के लिए पूरी शिद्दत से आवाज उठाने के लिए सबसे कम उम्र में नोबेल पुरस्कार जीतने वाली पाकिस्तान की नागरिक मलाला युसुफजई को अमेरिका के स्टैंडफोर्ड विश्विद्यालय में दाखिला लेने के लिए सैट टेस्ट देना पड़ेगा। शांति का नोबेल पुरस्कार जीतने के बावजूद उन्हें इसमें कोई रियायत नहीं मिलने वाली।  मलाला उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका के स्टैंडफोर्ड विश्वविद्यालय में दाखिला लेना चाहती हैं। यह विश्वविद्यालय अमेरिका के चंद सबसे मशहूर विश्वविद्यालयों में से एक है ,जिसमें प्रवेश के लिए सैट परीक्षा में बैठना पड़ता है। इसे अमेरिका की शिक्षा व्यवस्था के कड़े मानक कह लीजिए या फिर वहां की हठधर्मिता। 

यूं तो ख्यातिप्राप्त लोगों को अमेरिका के कयी विश्वविद्यालयों में मानद उपाधि से सम्मानित किया जाता है लेकिन बात जब दाखिला लेने की होती है तो फिर सारे कायदे कानून लागू हो जाते हैं। परीक्षा के लिए छात्रों का पंजीकरण करने वाली अधिकारी लौरी कोहेलर का कहना है कि मलाला को भी इन नियमों का पालन करना है। सैट परीक्षा में वह जितने अंक लाएंगी, उसके आधार पर यह तय होगा कि उन्हें किस विश्विद्यालय में दाखिला मिलेगा। यदि अंक अच्छे आए तब तो वह मनचाही जगह पढ पाएंगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो दिल मसोस कर रहना पड़ेगा। 

परीक्षा में उन्हें 40 हजार छात्र छात्राओं के बीच खुद को साबित करना होगा और यहां नोबेल पुरस्कार उनके कोई काम नहीं आएगा।  अमेरिका के कुछ मानवााधिकार संगठनों ने मलाला के लिए टेस्ट की अनिवार्यता की आलोचना की है। उनका कहना है कि इतनी छोटी से उम्र में महिलाओं की शिक्षा के लिए जान जोखिम में डालकर मलाला ने जो कुछ किया है उसे देखते हुए उसे हर तरह की रियायत मिलनी चाहिए। 

 

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