Cervical Cancer: भारत में सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम में बड़ी कदम, 10.18 करोड़ महिलाओं की हुई जांच, सरकार ने संसद में दी जानकारी
punjabkesari.in Saturday, Jul 26, 2025 - 05:42 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत सरकार देश में सर्वाइकल कैंसर और इससे होने वाली मौतों को रोकने के लिए लगातार बड़े कदम उठा रही है। संसद के मानसून सत्र के दौरान सरकार ने जानकारी दी कि अब तक देशभर में 30 साल या उससे अधिक उम्र की 10.18 करोड़ से ज़्यादा महिलाओं की सर्वाइकल कैंसर की जाँच की जा चुकी है। यह जाँच सरकार द्वारा शुरू किए गए स्वास्थ्य केंद्र, आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में की गई है।
यह उपलब्धि भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि दुनिया भर में सर्वाइकल कैंसर से होने वाली मौतों में से 25% भारत में होती हैं, जिसका मुख्य कारण देर से जानकारी मिलना और इलाज में देरी होना है।
आँकड़े क्या कहते हैं?
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने 20 जुलाई तक के नेशनल एनसीडी पोर्टल के आँकड़ों का हवाला देते हुए बताया, "भारत में 30 साल या उससे ज़्यादा उम्र की कुल 25.42 करोड़ महिलाएँ ऐसी हैं जिन्हें कैंसर की जाँच की ज़रूरत है। अब तक 10.18 करोड़ महिलाओं की जाँच हो चुकी है।"
उन्होंने आगे कहा कि ये आँकड़े दिखाते हैं कि सरकार आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के ज़रिए लोगों को बीमारी से पहले ही बचाने और जाँच करने की सुविधा दे रही है। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत एक बड़े अभियान का हिस्सा है, जिसका मकसद पूरे देश की आबादी में बीमारियों की जाँच करना, उन्हें रोकना और उनका इलाज करना है।
कैसे की जा रही है जाँच?
जाधव ने लोकसभा में बताया कि यह योजना 30 से 65 साल की महिलाओं को ध्यान में रखकर बनाई गई है। इन महिलाओं की सर्वाइकल कैंसर की जाँच वीआईए (विजुअल इंस्पेक्शन विद एसिटिक एसिड) नाम की एक आसान और सस्ती जाँच विधि से की जाती है। यह जाँच आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के तहत बने सब-हेल्थ सेंटर और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) में की जाती है। यदि किसी महिला की रिपोर्ट वीआईए पॉज़िटिव आती है, तो उसे आगे की जाँच और इलाज के लिए बड़े अस्पतालों में भेजा जाता है।
आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका
सरकार ने ग्रामीण और छोटे इलाकों में सर्वाइकल कैंसर को रोकने के लिए आशा कार्यकर्ताओं को भी इस अभियान से जोड़ा है। ये कार्यकर्ता घर-घर जाकर महिलाओं को जाँच के लिए जागरूक करती हैं और उन्हें जाँच कराने में मदद करती हैं, ताकि बीमारी को समय पर पकड़ा जा सके और उसे बढ़ने से रोका जा सके।