कभी 5 स्‍टार होटल तो कभी अपनी कार में बनाए यौन संबंध, महिला टीचर का बड़ा दावा- स्टूडेंट मुझे...

punjabkesari.in Thursday, Jul 24, 2025 - 11:33 AM (IST)

नेशनल डेस्क। महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में एक नामी स्कूल की शिक्षिका पर अपने ही नाबालिग छात्र के यौन शोषण के गंभीर आरोपों ने काफी सुर्खियां बटोरी थीं। छात्र के माता-पिता की शिकायत पर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए शिक्षिका को गिरफ्तार किया था। अब मुंबई की एक स्थानीय अदालत ने इस मामले में आरोपी 40 वर्षीय महिला टीचर को जमानत दे दी है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि सब कुछ आपसी मर्जी से हुआ था। हालांकि कोर्ट ने शिक्षिका को जमानत देते हुए उन पर कुछ सख्त शर्तें भी लगाई हैं।

अदालत का फैसला और जमानत की शर्तें

एक विशेष अदालत ने पॉक्सो कानून के तहत दर्ज इस मामले में आरोपी शिक्षिका को 50,000 रुपये के व्यक्तिगत मुचलके और इतनी ही राशि की एक या अधिक सॉल्वेंट जमानतें पेश करने पर रिहा करने का आदेश दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में इस तथ्य पर गौर किया कि आरोपी दो नाबालिग बच्चों की मां हैं और इस मानवीय आधार को जमानत स्वीकार करने का एक कारण माना गया।

जमानत की शर्तों के तहत:

➤ महिला टीचर बेल पीरियड के दौरान पीड़ित छात्र से किसी भी तरह का संपर्क नहीं साध सकेंगी।

➤ वह छात्र को धमका नहीं सकेंगी और न ही किसी भी गवाह को प्रभावित करने का प्रयास करेंगी।

➤ उन्हें मुंबई से बाहर जाने से पहले अदालत की अनुमति लेनी होगी।

➤ उन्हें नियमित रूप से ट्रायल में उपस्थित रहना होगा।

➤ यदि इनमें से किसी शर्त का उल्लंघन होता है तो आरोपी की जमानत तुरंत रद्द कर दी जाएगी।

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शिक्षिका पर लगे आरोप और बचाव पक्ष का तर्क

पुलिस के अनुसार पीड़ित छात्र की मां की शिकायत पर शिक्षिका को 28 जून को गिरफ्तार किया गया था। आरोप था कि जनवरी 2024 से फरवरी 2025 के बीच आरोपी ने 16 साल के छात्र के साथ कई बार पांच सितारा होटलों और अपनी कार में यौन संबंध बनाए। शिक्षिका उस स्कूल में पढ़ाती थीं जहां छात्र कक्षा 11 में पढ़ रहा था। छात्र के परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने स्कूल से इस्तीफा दे दिया था।

शिक्षिका के वकीलों ने अदालत में दलील दी कि उनकी मुवक्किल का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है वह जांच में पूरी तरह सहयोग कर रही हैं और उनके फरार होने की कोई आशंका नहीं है। उन्होंने अदालत को अपनी नाबालिग बेटी की मेडिकल रिपोर्ट भी सौंपी ताकि मानवीय आधार पर जमानत मिल सके।

जमानत याचिका में सभी आरोपों से इनकार करते हुए शिक्षिका ने दावा किया कि एफआईआर छात्र की मां के कहने पर दर्ज की गई क्योंकि वह उनके आपसी संबंध से नाखुश थीं। शिक्षिका ने अदालत में यह भी दावा किया कि छात्र उन्हें ‘पत्नी’ कहकर संबोधित करता था और दोनों के बीच भावनात्मक लगाव था, जिसे प्राथमिकी में जानबूझकर नहीं दर्शाया गया। पुलिस ने भी पहले बयान दिया था कि पूछताछ के दौरान आरोपी ने छात्र से ‘सच्चे प्रेम’ का इज़हार किया था।

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जमानत याचिका में पुलिस जांच पर भी सवाल उठाए गए इसे एकतरफा और पूर्वाग्रही बताया गया। याचिका में एक सह-अभियुक्त का उल्लेख किया गया जिस पर छात्र को आरोपी से मिलने के लिए उकसाने का आरोप है लेकिन एफआईआर में नामित होने के बावजूद उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसे "पक्षपातपूर्ण और भेदभावपूर्ण रवैया" करार दिया गया।

पीड़ित परिवार का असंतोष और आगे की राह

इस फैसले से पीड़ित छात्र का परिवार खुश नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार परिवार से जुड़े सूत्रों ने अदालत के फैसले को गंभीर अन्याय बताया और सवाल उठाया कि एक यौन अपराध के आरोपी को कैसे खुला छोड़ा जा सकता है? उन्होंने यह भी बताया कि परिवार कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहा है और जल्द ही इस जमानत आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है।

यह मामला नाबालिगों के प्रति यौन अपराधों के मामलों में कानूनी और सामाजिक दृष्टिकोण से बेहद संवेदनशील बना हुआ है। आने वाले दिनों में इस मामले की सुनवाई और इससे जुड़े कानूनी फैसलों पर सबकी नजरें टिकी रहेंगी।


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Content Editor

Rohini Oberoi

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